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LokSabha Election 2019: शेरे बिहार भागवत झा आजाद की राजनीतिक बुलंदी ने दिलाई गोड्डा को पहचान

अपने जमाने में बिहार की राजनीति में शेरे बिहार कहेे जाने वाले भागवत झा आजाद गोड्डा के पहले सांसद थे। उनकी राजनीतिक बुलंदी से गोड्डा को भी पहचान मिली।

By mritunjayEdited By: Published: Wed, 27 Mar 2019 02:50 PM (IST)Updated: Wed, 27 Mar 2019 02:50 PM (IST)
LokSabha Election 2019: शेरे बिहार भागवत झा आजाद की राजनीतिक बुलंदी ने दिलाई गोड्डा को पहचान
LokSabha Election 2019: शेरे बिहार भागवत झा आजाद की राजनीतिक बुलंदी ने दिलाई गोड्डा को पहचान

देवघर, राजीव। बिहार की सीमा से बिल्कुल सटा है झारखंड का गोड्डा लोकसभा। इसके कई इलाके तो बिहार के दायरे में इस कदर घुले-मिले हैं कि यहां के लोगों का मिजाज भी झारखंडी होने के बजाए बिहारीपन-सा ही है। छह विधानसभा महगामा, गोड्डा, पोडैयाहाट, देवघर, मधुपुर और जरमुंडी में समाहित गोड्डा लोकसभा की भौगोलिक स्थिति के साथ यहां का सामाजिक तानाबाना भी विशिष्ट है। महगामा विधानसभा का दायरा बिहार की सीमा को छूता है। इसी विधानसभा के बिहार सीमा से सटा गांव है कसबा। इसी गांव के मूल निवासी थे भागवत झा आजाद जिन्हें बिहार के मुख्यमंत्री बनने का गाैरव प्राप्त है। 

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अपने जमाने में बिहार की राजनीति में शेरे बिहार कहेे जाने वाले भागवत झा आजाद गोड्डा के पहले सांसद थे। उनकी राजनीतिक बुलंदी से गोड्डा को भी पहचान मिली। भागवत झा आजाद के ही बेटे हैं क्रिकेट खिलाड़ी और हाल ही में भाजपा के कांग्रेस में शामिल होने वाले दरभंगा के सासद क्रीर्ति आजाद। 

चोरा गंगटी भी खासः कसबा के साथ ही लगे हाथ ठाकुरगंगटी प्रखंड की भी बात कर लेते हैं। पहले इसे चोरा गंगटी के नाम से पुकारा जाता था। वजह यहां के लोगों ने एक अमीन की छाता चोरी कर ली थी। बाद में इसी गांव के निवासी रामेश्वर ठाकुर ओड़िसा के राज्यपाल बनाए गए। गोड्डा और पोडैयाहाट में संताली संस्कृति की पुट है। गोड्डा का वंदनवार गांव इसलिए जाना जाता है क्योंकि इस गांव से कई लोग प्रशासनिक क्षेत्र में उच्च पदों पर आसीन हुए हैं।  

कपिल मुनी के मठ से मधुपुर की पहचानः मधुपुर विधानसभा की पहचान भी खास रही है। मधुपुर कपिल मुनी के मठ और सांख्य योग की साधना भूमि के लिए जाना जाता है। इतना ही नहीं मधुपुर कभी सैलानियों के लिए भी मुफीद रहा है। यहां के लोग बताते हैं कि कभी यहां 1060 कोठियां हुआ करती थीं और बड़ी संख्या में सैलानी यहां समय बिताने आते थे। सैलानी यहां के कूपों का पानी कोलकाता तक ले जाते थे। खैर, समय के साथ यहां की आबोहवा बिगड़ती चली गई और अब सैलानियों की भीड़ छंट गई है और अब यह शहर भू-माफिया की दबंगई के लिए भी चर्चित हो चला है।

बहरहाल, समय के साथ मधुपुर अनुमंडल का शक्ल अख्तियार कर चुका है। ला-ओपाला जैसी नामचीन क्राकरी का निर्माण मधुपुर के गौरव से जुड़ा है। शक्तिपीठ पथरौल से इस इलाके की धार्मिक आस्था जुड़ी है। जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र में तो फौजदारी दरबार बासुकीनाथ हैं और यहां की मिलीजुली आबादी एक अपनी जीवनशैली व पहचान है। देवघर तप और साधाना की भूमि है। संस्कृति व धर्म की पराकाष्ठा के कारण इसे सांस्कृतिक राजधानी के नाम से पुकारा जाता है। देवाधिदेव महादेव की इस धरती पर सर्वधर्म समभाव, हिंदूत्व और वसुधैव कुटुंबकम की भाषा सर्वाधिक स्थापित है। जाहिर है ये तमाम खासियत यहां के मतदाताओं के मिजाज और जेहन में भी है और इसका असर यहां के चुनावों पर भी दिखता है।

हर जाति को मिला प्रतिनिधित्व का माैकाः गोड्डा लोकसभा चुनाव के अब तक के नतीजों पर अगर गौर किया जाए तो सबसे खास बात यह कि इस लोकसभा सीट से हर समुदाय व जाति के लोगों को प्रतिनिधित्व का अवसर दिया है। 1952 से 2014 के बीच हुए चुनावों के नतीजों पर गौर करें तो गोड्डा लोकसभा के मतदाताओं ने ब्राह्मण, वैश्य, मुस्लिम, यादव समुदाय के प्रत्याशियों को संसद भेज अब बारी है 2019 लोकसभा चुनाव की और इसके लिए भी यहां के मतदाता अपने मिजाज के अनुरुप ही मतदान करेंगे यह तय है।

गोड्डा लोकसभा क्षेत्र से चुने गए सांसद 

वर्ष -   प्रत्याशी का नाम 

-1952 - भागवत झा आजाद

-1957 - एसी चौधरी

-1962 - प्रभुदयाल हिम्मतसिंहका

-1967 - प्रभुदयाल हिम्मतसिंहका

-1971- शमीउद्दीन अंसारी 

-1977- शमीद्दीन अंसारी 

-1980 - शमीउद्दीन अंसारी 

-1985 -  सलाउद्दीन अंसारी 

-1989 - जर्नादन यादव 

-1991 - सूरज मंडल 

-1996- जगदंबी प्रसाद यादव 

-1999 - जगदंबी प्रसाद यादव 

-2003 - प्रदीप यादव 

-2004 - फुरकान अंसारी

-2009 - निशिकांत दुबे 

-2014 - निशिकांत दुबे 


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