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Loksabha Election 2019 : बड़ा मुद्दा : सियासी शोर में दब गई सफारी पार्क के शेरों की दहाड़

इटावा में 16 साल बाद भी सफारी पार्क पर्यटकों के लिए खोला नहीं जा सका।

By AbhishekEdited By: Published: Wed, 10 Apr 2019 05:35 PM (IST)Updated: Wed, 10 Apr 2019 05:35 PM (IST)
Loksabha Election 2019 : बड़ा मुद्दा : सियासी शोर में दब गई सफारी पार्क के शेरों की दहाड़
Loksabha Election 2019 : बड़ा मुद्दा : सियासी शोर में दब गई सफारी पार्क के शेरों की दहाड़
सियासत की अंधी दौड़ कुछ नहीं देखती, भले ही विकास पीछे क्यों न छूट जाए। उद्योगविहीन जिले में पर्यटन के बल पर समृद्धि लाने के लिए वर्ष 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की निगाह में यमुना नदी का फिशर वन फॉरेस्ट आया। उन्होंने लायन सफारी (शेरों के लिए) बनाने का प्रस्ताव किया था। अब यह अन्य वन्य जीवों जैसे तेंदुआ, भालू, काला हिरन, चीतल सफारी के साथ मिलकर इटावा सफारी पार्क के नाम से जाना जाता है। इस परियोजना का उद्देश्य यह था कि चंबल-यमुना की नैसर्गिक खूबसूरती को वन्य जीवों के साथ आकर्षण का केंद्र बनाया जाए ताकि आगरा आने वाले पर्यटक यहां खिंचे चले आएं। मगर, सियासी प्रतिद्वंद्विता के चलते 16 साल बाद भी इटावा सफारी पार्क आम लोगों के लिए खोला नहीं जा सका। इटावा सफारी की हकीकत बयां करती गौरव डुडेजा की रिपोर्ट...

2014 में छह शेरों की पहली खेप अाई
इटावा को पर्यटन हब बनाने का ख्बाव लेकर वर्ष 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा था। केंद्र सरकार ने चंबल सेंक्चुअरी क्षेत्र में लायन सफाई बनाने की मंजूरी दी थी। कागजों से निकलकर यह परियोजना वर्ष 2006 में धरातल पर शुरू हुई। लेकिन, वर्ष 2007 में प्रदेश में बसपा की सरकार बनते ही परियोजना ठंडे बस्ते में चली गई। वर्ष 2012 में अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने और पिता के सपने को आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाया। प्रोजेक्ट काफी तेजी से आगे बढ़ा और वर्ष 2014 में छह शेरों की पहली खेप लायन सफारी में पहुंचाई गई। प्रोजेक्ट को विस्तार देते हुए वर्ष 2015 में इसे इटावा सफारी पार्क का नाम दिया गया और इसके अंतर्गत चार और सफारी शामिल कर ली गईं। काले हिरन, चीतल, भालू व तेंदुआ भी इटावा सफारी पार्क में लाए गए।
पर्यटकों के लिए खोला नहीं जा सका सफारी पार्क 
तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 6 अक्टूबर 2016 को डियर (चीतल) सफारी का शुभारंभ भी कर दिया, लेकिन अन्य सफारी का प्रोजेक्ट अधूरा रह गया। मार्च 2017 में प्रदेश में योगी सरकार बनी। जिसके बाद इस प्रोजेक्ट को खास तवज्जो नहीं मिली। हालांकि जनप्रतिनिधियों की मांग पर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, वन मंत्री दारा सिंह चौहान ने सफारी का निरीक्षण किया और उसे शीघ्र चालू कराने का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक जून 2018 को इटावा दौरे पर नुमाइश पंडाल से उद्घाटन भी कर दिया। सफारी पार्क अबतक पर्यटकों के लिए खोला नहीं जा सका।

यहां आया पेंच
इटावा सफारी पार्क को खोलने को लेकर वन विभाग के अधिकारी शासन की हरी झंडी का इंतजार कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कई बार इटावा सफारी पार्क पर की गई टिप्पणी को लेकर सरकार बैक फुट पर आ गई। सरकार ने एक बार खोलने का मन भी बनाया, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री ने बयान दे दिया कि प्रोजेक्ट तो उनका बनाया हुआ है, सरकार ने क्या किया। उनके इस बयान के बाद सफारी पार्क खोलने की कवायद पर ब्रेक लग गया।
सफारी परियोजना एक नजर में
कुल क्षेत्रफल : 350 एकड़
लागत : 265 करोड़
मौजूद वन्य जीव
शेर : 8
काला हिरन : 45
चीतल : 28
भालू : 3
तेंदुआ : 3
उत्तर भारत की इकलौती परियोजना
पूरे देश में एशियाटिक शेर केवल गुजरात में गिर के जंगलों में पाए जाते हैं। वहां से इन्हें उत्तर भारत में इटावा सफारी पार्क में लाया गया है। यहां लाने का उद्देश्य इनकी संख्या में वृद्धि करना है। शेरों के लिए यहां ब्रीडिंग सेंटर भी बनाया गया है।

इनकी भी सुनिए
सफारी परियोजना के चालू हो जाने पर शहर की अर्थव्यवस्था में बदलाव आएगा। पर्यटन कारोबार निश्चित तौर पर बढ़ेगा। होटल व वाहन उद्योग को भी मुनाफा होगा। -प्रो. आरके अग्रवाल, अर्थशास्त्री
इटावा सफारी पार्क को खोले जाने के प्रयास चल रहे हैं। संभवत: चुनाव के बाद सारी व्यवस्थाएं पूर्ण करके सफारी को आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा। -वीके सिंह, निदेशक इटावा सफारी पार्क

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