आचार संहिता में बस नाम की सरकार
मतदान के बाद लागू आचार संहिता के कारण प्रदेश सरकार को प्रत्येक कार्य के लिए चुनाव आयोग से मंजूरी लेनी पड़ती है। प्रदेश में बीस दिसबंर तक आचार संहिता लागू रहेगी।
हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान प्रक्रिया हो चुकी है और नतीजे आने में अभी करीब सवा महीने का समय शेष है। जानिए सामान्य तौर पर मुख्यमंत्री व सरकार की क्या रहती है भूमिका और आचार संहिता के दौरान कैसी रहेगी सरकार की कार्यप्रणाली:-
सामान्यत: मुख्यमंत्री के कर्तव्य व अधिकार
-मुख्यमंत्री राज्य के शासन का वास्तविक अध्यक्ष है। वह मंत्रियों तथा संसदीय सचिवों के चयन, उनके विभागों के वितरण व पदमुक्ति और लोक सेवा आयोग अध्यक्ष, अन्य सदस्यों एवं महाधिवक्ता व महत्वपूर्ण पदाधिकारियों की नियुक्ति के लिए राज्यपाल को परामर्श देता है।
- असैनिक पदाधिकारियों के तबादले के लिए मुख्यमंत्री आदेश जारी करता है।
- राज्य की नीति से संबंधित विषयों के बारे में निर्णय करता है।
- राष्ट्रीय विकास परिषद में राज्य का प्रतिनिधित्व करता है।
- मुख्यमंत्री मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता करता है व सामूहिक उत्तरदायित्व के सिद्धांत का पालन करता है।
-यदि कोई सदस्य मंत्रिमंडल की नीतियों से भिन्न मत रखता है तो मुख्यमंत्री उसे त्यागपत्र
देने के लिए कहता है या राज्यपाल से उसे बर्खास्त करने की सिफारिश कर सकता है।
-वह राज्यपाल को प्रशासन तथा विधायन संबंधी सभी प्रस्तावों की जानकारी देता है।
-मुख्यमंत्री राज्यपाल को विधानसभा भंग करने की सलाह दे सकता है।
आचार संहिता में ऐसी है सरकार की भूमिका
-मतदान के बाद लागू आचार संहिता के कारण प्रदेश सरकार को प्रत्येक कार्य के लिए चुनाव आयोग से मंजूरी लेनी पड़ती है। प्रदेश में बीस दिसबंर तक आचार संहिता लागू रहेगी।
-प्रदेश सरकार बीस दिसंबर तक अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादलों का निर्णय स्वयं नही ले सकती।
-मुख्यमंत्री और मंत्री बिना चुनाव आयोग की अनुमति के किसी समारोह, मेले के कार्यक्रम में भाग नहीं ले सकते हैं।
-सरकार किसी भी नई योजना की घोषणा नहीं कर सकती है और न ही भर्ती या
परीक्षा का परिणाम घोषित कर सकती है।
-छोटे से छोटे कार्य के लिए चुनाव आयोग से मंजूरी लेनी होती है। मंजूरी मिलने के बाद ही वह कार्य किया जा सकता है।
-मुख्यमंत्री आचार संहिता के दौरान मंत्रिमंडल की बैठक भी नहीं बुला सकता।
-मतदान के बाद भी आचार संहिता लागू होने चलते मंत्रियों को शिमला में स्थित सरकारी घर से लेकर सचिवालय तक ही सरकारी वाहन मिलेगा। शिमला से बाहर सरकारी वाहन को ले जाने की अनुमति नहीं है।
-आपात परिस्थितियों (आपदा, हादसे) में भी मुख्यमंत्री अपने स्तर पर किसी वर्ग को राहत नहीं दे सकते। इसके लिए चुनाव आयोग की अनुमति लेनी ही होगी।
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