हरियाणा चुनाव में केंद्रीय मंत्री को झटका, प्रतिष्ठा से जुड़ी रेवाड़ी सीट गंवाई; लालू यादव के दामाद पड़े भारी
Haryana Assembly Election result राव इंद्रजीत सिंह के पसंदीदा प्रत्याशी को लालू प्रसाद यादव के दामाद ने हराकर उन्हें बड़ा झटका दे दिया। ...और पढ़ें

रेवाड़ी [महेश कुमार वैद्य]। Haryana Assembly Election Result 2019: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 के चुनाव 90 सीटों पर आए परिणाम ने भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) के कई क्षत्रपों को भी झटका दिया है। इन्हीं में एक हैं केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह। जिनके दो खास सिपहसालार विधानसभा चुनाव जीत गए हैं। उनके आशीर्वाद से जिन्हें टिकट दिए गए, उनमें से भी दो चेहरे विधानसभा में पहुंचने में कामयाब रहे, मगर चार सीटों पर खुद के नाम का ठप्पा होने के बावजूद राव इंद्रजीत को जश्न मनाने की खुशी नसीब नहीं हुई।
राव इंद्रजीत सिंह को पांच महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव के दौरान गुड़गांव लोकसभा की 9 विस सीटों में से छह पर बड़ी जीत मिली थी। नूंह जिले की मुस्लिम बहुल तीन सीटों पर तब भी हार हुई थी और इस बार भी, मगर चिंता रेवाड़ी व बादशाहपुर सीट हाथ से निकलने से बढ़ी है। इस बार उनके लोकसभा क्षेत्र की 9 सीटों में से भाजपा केवल 4 सीटें ही जीत पाई है।
रेवाड़ी में टूटा सपना
राव इंद्रजीत सिंह का जश्न मनाने का सपना कहीं टूटा है तो वह रेवाड़ी विधानसभा सीट है। यह सीट उनके लिए सबसे प्रतिष्ठा की थी। यहां पर राव ने ठीक उसी तर्ज पर सुनील यादव मुसेपुर को टिकट दिलवाई थी, जिस तरह वर्ष 2014 में बावल, नारनौल, कोसली व पटौदी सीटों के लिए चहेतों को उतारा था।
अकेले सुनील यादव का ही नाम ऐसा था, जिनकी जीत के लिए राव इंद्रजीत सिंह ने सार्वजनिक मंचों से यह कह दिया था कि यह सीट हमारी मूंछों की लड़ाई है। पहले जेपी नड्डा, फिर मनोहरलाल और इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यहां आए, परंतु रेवाड़ी सीट राव के हाथ से निकल गई। महज 1317 वोटों ने राव की खुशियां छीन ली। हालांकि, यहां पर राव इंद्रजीत के लिए राहत की बात यह है कि वह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे रणधीर सिंह कापड़ीवास को विधायक बनने से रोकने में कामयाब हो गए।

जो जीते वह भी राव इंद्रजीत सिंह विरोधी
रेवाड़ी में जिनको जीत नसीब हुई है, वह चिरंजीव राव भी राव इंद्रजीत सिंह विरोधी खेमे के नए नायक हैं। कप्तान अजय सिंह यादव से राव इंद्रजीत सिंह परिवार का पुराना राजनीतिक टकराव है। चिरंजीव का जीतना भी राव इंद्रजीत सिंह की टीस बढ़ा रहा है।

वहीं, रणधीर सिंह कापड़ीवास राव इंद्रजीत सिंह को लेकर तो आक्रामक थे ही उनकी बेटी आरती राव को लेकर भी एक बार शब्दों की सीमाएं तोड़ दी थी। इसका रणधीर सिंह कापड़ीवास को नुकसान हुआ।
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बादशाहपुर में अपने धुर विरोधी राव नरबीर सिंह की टिकट कटवाने में अहम भूमिका निभाने वाले राव इंद्रजीत यहां से मनीष यादव की जीत चाहते थे, परंतु यहां राकेश दौलताबाद ने मैदान जीत लिया।

राव के चार समर्थक जीते
बावल से राव इंद्रजीत सिंह के खास सिपहसालार जन स्वास्थ्य राज्यमंत्री डॉ. बनवारीलाल फिर चुनाव जीत गए हैं। राव को गुड़गांव लोस क्षेत्र से बाहर भी टिकटें दी गईं थीं। नारनौल से उनके खास समर्थक ओमप्रकाश एडीओ दूसरी बार चुनाव जीतने में सफल रहे हैं, परंतु उनके विरोधी यह कहकर राव का कद कम करने का प्रयास कर रहे हैं कि इन दोनों को टिकट राव के कारण नहीं पार्टी के कारण मिला था। अटेली से सीताराम व कोसली से लक्ष्मण सिंह यादव बेशक राव के भाजपाई बनने से पहले के भाजपाई हैं, परंतु इन दोनों को राव की सहमति से ही टिकट दिया गया था। सीधे तौर पर राव के आशीर्वाद से चारों को विधायक बनने का मौका मिला है, लेकिन राव इंद्रजीत सिंह को राजनीति में बौना करने का प्रयास करने वाले यह कहकर केंद्रीय मंत्री के खेमे का गुस्सा बढ़ा देते हैं कि राव के पास उतनी ताकत नहीं है, जितनी प्रचारित की जाती है। अगर ऐसा होता तो न तो नांगल चौधरी से अभय सिंह यादव विधायक बनते न रेवाड़ी से चिरंजीव राव की जीत होती। राव विरोधियों का कहना है कि रेवाड़ी सहित अपने लोकसभा क्षेत्र की पांच विस सीटों पर हार के कारण अब तमाम राव विरोधी फिर सक्रिय होंगे और अहीरवाल में एंटी राव की बागडोर थामने के लिए घमासान तेज होगा, लेकिन इंद्रजीत को कमजोर आंकना जल्दबाजी होगा।
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