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BJP ने हरियाणा में क्यों गढ़ा ‘अबकी बार 75 पार’ का नारा, पढ़िए- इसके पीछे की सच्चाई

Haryana Assembly Election 2019 BJP ने चुनावों से कई माह पूर्व ही आपरेशन-75 की तैयारी शुरू कर दी थी। लक्ष्य हासिल करने के लिए एक साथ कई चरणों की कार्ययोजना पर अमल किया गया।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 09 Oct 2019 10:10 AM (IST)Updated: Wed, 09 Oct 2019 11:08 AM (IST)
BJP ने हरियाणा में क्यों गढ़ा ‘अबकी बार 75 पार’ का नारा, पढ़िए- इसके पीछे की सच्चाई
BJP ने हरियाणा में क्यों गढ़ा ‘अबकी बार 75 पार’ का नारा, पढ़िए- इसके पीछे की सच्चाई

रेवाड़ी [महेश कुमार वैद्य]। Haryana Assembly Election 2019: हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए 21 अक्टूबर को मतदान होना है। संगठन की दृष्टि से हरियाणा में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी अगर फ्रंटफुट पर खेलती दिख रही है तो इसके पीछे कहीं न कहीं दूरगामी सोच को ध्यान में रखकर तैयार की गई रणनीति है। भाजपा के ‘अबकी बार 75 पार’ के नारे का गणित भी बहुत गहरा है। पार्टी ने चुनावों से कई माह पूर्व ही आपरेशन-75 की तैयारी शुरू कर दी थी। लक्ष्य हासिल करने के लिए एक साथ कई चरणों की कार्ययोजना पर अमल किया गया। सबसे बड़ी रणनीति थी एक-एक करके भाजपा विरोधी दमदार चेहरों को अपना बनाना।

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भाजपा की पहली रणनीति थी चुनाव लड़ने के इच्छुक भाजपा विरोधी चेहरों को टिकट का आश्वासन दिए बिना ही अपने पाले में लाना। दूसरी रणनीति प्रदेश के उन विधानसभा क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देना जहां पर भाजपा का अपना चेहरा कमजोर था। ऐसे क्षेत्र नेशनल हाईवे नंबर-9 से सटे जिलों में अधिक है जहां वर्ष 2014 में भाजपा कमजोर रही थी। कुछ जगहों पर टिकट का प्रयास करने के आश्वासन दिए गए।

पार्टी की तीसरी रणनीति थी चुनाव लड़ने के इच्छुक नए राजनीतिक खिलाड़ियों को अपने पाले में लाकर खड़ा करना। इसके पीछे चुनाव से पहले ही विपक्ष को कमजोर करना और खुद को मजबूत करना रहा। पार्टी की चौथी रणनीति उन सीटों पर केंद्रित रही जहां पर खुद का विधायक नहीं था।

भाजपा ने पहले इन सीटों पर मौजूदा विधायक को अपना बनाने का प्रयास किया। जहां पर मामला अटका वहां पर दूसरे व तीसरे सबसे अधिक सशक्त चेहरों को भाजपाई बनाया गया। लोकसभा चुनावों से पूर्व व चुनावों के दौरान ही नहीं बल्कि लोस चुनाव के बाद व विस चुनाव से पहले भी दूसरे नेताओं को साथ लाने की मुहिम जारी रही।

इस तरह पूरा किया ऑपरेशन

भाजपा के ऑपरेशन-75 को समझने के लिए कुछ उदाहरण पर्याप्त हैं। अंबाला जिले में इनेलो के पूर्व विधायक राजबीर बराड़ा को पार्टी में शामिल कर टिकट दिया गया। रोहतक जिले में इनेलो व जजपा के जिला प्रधान भाजपा में शामिल किए गए। इनेलो के जिला प्रधान सतीश नांदल को किलोई से चुनाव मैदान में उतारा गया। वर्ष 2014 के चुनाव में गुरुग्राम से गोपीचंद गहलोत दूसरे स्थान पर थे। उन्हें भाजपा में शामिल किया गया। रेवाड़ी में सतीश यादव दूसरे स्थान पर थे।

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