मोदी को अस्मिता का दांव चलने का मौका नहीं देना चाहती कांग्रेस
पार्टी सूत्रों का कहना है गुजरात की जमीनी फीडबैक से भाजपा नेतृत्व की सियासी बेचैनी कम नहीं है और इसीलिए उनकी पूरी कोशिश चुनाव को पीएम मोदी की शख्सियत ...और पढ़ें

संजय मिश्र, नई दिल्ली। गुजरात की चुनावी जंग के आसमान चढ़ते सियासी पारे के बीच कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निजी हमले नहीं करने की अपने नेताओं को दी गई हिदायत पार्टी की सतर्क राजनीतिक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
दरअसल कांग्रेस गुजरात में इस बार 2007 के चुनाव में मोदी को मौत का सौदागर बताने जैसी कोई चूक नहीं करना चाहती। गुजरात के अब तक के फीडबैक के आधार पर पार्टी का मानना है कि कोई बड़ी राजनीतिक गलती नहीं हुई तो चुनावी मुकाबले में भाजपा को वह पीछे छोड़ सकती है।
पार्टी यह भी मान रही कि चुनावी टक्कर को देखते हुए पीएम मोदी गुजराती अस्मिता का कार्ड खुलकर खेलेंगे और इसीलिए कांग्रेस की ओर से ऐसा कोई मौका नहीं दिया जाना चाहिए जो उसकी चुनावी संभावनाओं पर पानी फेर दे।
गुजरात के अपने चुनाव अभियान के दौरान रविवार को बनासकाठा में राहुल गांधी की पार्टी कार्यकर्ताओं को पीएम पर निजी हमले नहीं करने की हिदायत से साफ है कि कांग्रेस चुनाव प्रचार के दौरान मोदी पर निजी आक्षेप करने से बचेगी। पार्टी सूत्रों का कहना है गुजरात की जमीनी फीडबैक से भाजपा नेतृत्व की सियासी बेचैनी कम नहीं है और इसीलिए उनकी पूरी कोशिश चुनाव को पीएम मोदी की शख्सियत के ईद-गिर्द लाने की है। ताकि गुजरात के दो दशक की भाजपा सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी माहौल की दशा और दिशा बदली जा सके।
ऐसे में कांग्रेस को आक्रामक चुनावी अभियान चलाने के साथ ही भाजपा की रणनीति को नाकाम करने के लिए मोदी को लेकर सावधानी बरतने की खास जरूरत पड़ रही है।
पार्टीजनों को गुजरात भाजपा सरकार की दो दशक की नाकामी पर हमलावर होने की सलाह के साथ प्रधानमंत्री पद की गरिमा का ख्याल रखने की राहुल की नसीहत कांग्रेस की इसी सर्तकता को दर्शाती है। राहुल ने मुख्यमंत्री रहते हुए मोदी के पीएम पद की गरिमा का ख्याल नहीं रखने की बात उठाते हुए कहा कि भले ही उन्होंने ऐसा नहीं किया हो मगर हम निजी आक्षेप में पीएम पद की मर्यादा पर प्रहार नहीं करेंगे।
मोदी को लेकर कांग्रेस की यह सर्तकता 2007 के मौत के सौदागर बयान के प्रसंग की वजह से है। तब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने चुनावी भाषण में मोदी को परोक्ष रुप से मौत का सौदागर बताया था और इसके बाद मोदी ने इस बयान के जवाबी पलटवार में गुजराती अस्मिता के भावनात्मक दांव से चुनाव अभियान की दशा-दिशा बदल दी थी।
इस चुनाव में हार के बाद कांग्रेस की अंदरुनी आकलन रिपोर्ट में भी मौत के सौदागर बयान को शिकस्त की बड़ी वजह माना गया था। जाहिर तौर पर गुजरात की राजनीति में वापसी की उम्मीद पाल रहा कांग्रेस नेतृत्व अबकी बार ऐसा कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहता।

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