Bihar Election: दशहरे की धूम में घुल रहा अनोखा चुनावी रंग, दुर्गा पंडाल बने राजनीति का अखाड़ा
पूर्णिया में इस बार दशहरे की रौनक में राजनीतिक रंग घुल गया है। दुर्गा पंडालों में जहाँ एक ओर मां दुर्गा की आराधना हो रही है वहीं दूसरी ओर संभावित प्रत्याशी इसे अपनी चुनावी जमीन बनाने में जुटे हैं। उम्मीदवार पंडालों में बैनर लगाने और सहयोग देने का वादा कर रहे हैं जिससे दुर्गा पूजा एक राजनीतिक मंच बन गया है।

मनोज कुमार, पूर्णिया। दशहरे की रौनक इस बार कुछ अलग है। प्रतिमाओं की चमक और पंडालों की सजावट के बीच राजनीतिक रंग भी घुलने लगा है। शहर से लेकर गांव तक मां दुर्गा की आराधना के साथ-साथ विधानसभा चुनाव का उत्साह भी चरम पर है।
जहां एक ओर कलाकार पंडालों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं, वहीं दूसरी ओर संभावित प्रत्याशी उसी पंडाल को अपनी चुनावी जमीन बनाने के प्रयास में हैं।
सुबह आरती और पूजा तो दिनभर जनसंपर्क, टिकट के दावेदारों की इन दिनों यही दिनचर्या है। ये कभी समिति की बैठक में भाग लेते दिख जाते हैं, तो कभी मूर्तिकारों की मेहनत की तारीफ करते। उद्देश्य साफ है, श्रद्धा और सियासत को एक साथ साधना।
भीड़ वही झंडे अलग
गांव की गलियों में जहां प्रत्याशियों की चमचमाती गाड़ियां धूल उड़ाती निकल रही हैं, वहीं आसमान में नेताओं के हेलीकाप्टर गड़गड़ाने लगे हैं। सभा की तारीखें तय हो रही हैं, भीड़ जुटाने के लिए ठेकेदार किस्म के लोग सक्रिय हो गए हैं। एक सभा खत्म होती नहीं कि दूसरी की तैयारी शुरू हो जाती है।
टोपियां, झंडे और नारे बदलते हैं, भीड़ वही रहती है। यह चुनावी बाजार का नया ठेका तंत्र है, जहां हर सभा लक्ष्मी की बरसात करती है। इस बार दिलचस्प यह भी है कि हर सीट पर उम्मीदवारों की भीड़ उमड़ पड़ी है।
एक ही पार्टी से आधा-आधा दर्जन दावेदार मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। नेताओं की नजर में जगह बनाने के लिए वे चौक-चौराहों पर बड़े-बड़े पोस्टर-बैनर टांग रहे हैं। उनके चेहरे पूजा पंडालों की लाइटिंग से भी ज्यादा चमकदार दिखाई देने लगे हैं।
दुर्गा पंडाल बने राजनीतिक सभास्थल
पूजा समितियों के सदस्य बताते हैं कि रोजाना अलग-अलग दलों के लोग उनसे संपर्क कर रहे हैं। कोई बैनर लगाने की गुजारिश करता है, तो कोई पंडाल के खर्च में सहयोग देने का आश्वासन। समिति की बैठकों में प्रत्याशियों की मौजूदगी अब आम हो चुकी है।
वे हर समस्या का समाधान, हर काम की गारंटी और हर सहयोग का वादा करते हैं। यानी इस बार की दुर्गापूजा सिर्फ धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि राजनीतिक पंडाल भी बन चुकी है।
मां दुर्गा की प्रतिमा के आगे जहां भक्त आशीर्वाद मांग रहे हैं, वहीं नेताजी वोटों का वरदान पाने की जुगत में हैं। दशहरा की धूम में चुनावी घमासान का तड़का लग चुका है, और दोनों मिलकर इस मौसम को और खास बना रहे हैं।
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