Bihar Assembly Election 2025: गठबंधन दलों के बीच मचा घमासान, हर विधानसभा सीट पर कई-कई दावेदार
बिहार में विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। सारण प्रमंडल में 24 सीटों के लिए दावेदारों की फौज खड़ी है। गठबंधनों में सीटों का बंटवारा नहीं होने के बावजूद हर दल के कई उम्मीदवार जनता के दरवाजे खटखटा रहे हैं। सीटों के गणित और सियासी समीकरणों को लेकर चर्चाएं जारी हैं।

राजीव रंजन, छपरा(सिवान)। बिहार विधानसभा चुनाव भले ही अभी औपचारिक रूप से घोषित नहीं हुई हो, लेकिन राज्य का सियासी तापमान तेजी से चढ़ता जा रहा है। खासकर राजनीति सुचिता वाले सारण प्रमंडल के तीन जिलों सारण, सिवान और गोपालगंज में चुनावी माहौल पूरी तरह गर्म हो चुका है। इन जिलों के 24 विधानसभा सीटों पर दावेदारों की फौज खड़ी हो चुकी है।
दिलचस्प बात यह है कि किस गठबंधन का कौन सा दल किस सीट पर उम्मीदवार देगा अभी तय नहीं है। बावजूद हर विधानसभा क्षेत्र में प्रत्येक दल के एक से अधिक दावेदार पहले से ही जनता के दरवाजे खटखटाने लगे हैं। हर का यही दावा है कि उसी का गठबंधन यहां चुनाव लड़ेगा और उसका टिकट फाइनल है।
सारण प्रमंडल में राजनीति की यह तस्वीर इस बार कुछ अजब और खास है। महागठबंधन हो या एनडीए के दल या फिर तीसरा कोण बनाने वाली जनसुराज पार्टी। इन सभी सियासी दलों में हर सीट पर कई-कई दावेदार सक्रिय हैं। कुछ तो ऐसे भी हैं जो 2020 में चुनाव हार गए थे, पर इसबार फिर किस्मत आजमाने को तैयार बैठे हैं।
कई नए चेहरे भी खुद को जनता का असली प्रतिनिधि साबित करने की मुहिम में जुटे हैं। जनता के बीच जनसंपर्क, इंटरनेट मीडिया पर सक्रियता, जातिगत समीकरणों की गणना और इलाके में व्यक्तिगत पकड़ के सहारे हर दावेदार अपनी जीत की गाथा खुद रचने में जुटा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि जब गठबंधनों के सीटों का बंटवारा होगा, तो इनमें से कितने चेहरे मैदान में टिक पाएंगे और कितनों की दावेदारी हवाबाजी तक ही सीमित रह जायेगी। आजकल सभी चाय की दुकान व पान गुमटी पर यही राजनीतिक चर्चा बनी हुई है।
सीटों की गणित और सियासी समीकरण
सारण प्रमंडल के 24 विधानसभा सीटों में फिलहाल राजद के पास सबसे अधिक 11 सीटें हैं। भाजपा सात, जदयू दो, भाकपा माले दो, कांग्रेस और सीपीआई एम के पास एक-एक सीट है। वहीं 2015 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो तब राजद के पास नौ, जदयू के पास सात, भाजपा के पास पांच, कांग्रेस के पास दो और भाकपा माले के पास एक सीट थी।
इस तरह 2015 के चुनाव में राजद सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी और 2020 में दो सीट कम होने के बावजूद सारण प्रमंडल में बड़ी पार्टी रही। इन दोनों चुनावों की तुलनात्मक अध्ययन करें तो भाजपा बढ़कर पांच से सात पर चली गई और जदयू का सीट घटकर सात से दो हो गया। कांग्रेस ने भी अपनी एक सीट गंवाई और भाकपा माले का एक सीट बढ़ कर दो हो गया। हां सीपीआई एम ने एक सीट लेकर अपना खाता जरूर खोला। अब इन दलों की तैयारी मौजूदा चुनाव की है। गठबंधनों में सीटों को लेकर घमासान मचा हुआ है। ऐसे में यह अनुमान कठिन है कि किस गठबंधन का ऊंट किस करवट बैठेगा।
सारण के दस सीटों पर उलट-फेर संभव
सारण के दस सीटों में छह एकमा, बनियापुर, मढ़ौरा, गड़खा, परसा और सोनपुर पर राजद का कब्जा है। बनियापुर के राजद विधायक केदारनाथ सिंह अब वैचारिक रूप से जदयू के हो गये हैं। यहां राजद का नया चेहरा होना या फिर गठबंधन के दूसरे दल के जिम्मे सीट जाना तय है। राजद की सीटिग सीट वाली अन्य पांच सीटों सहित हारी हुई तीन सीटों पर भी पार्टी के नये चेहरों और गठबंधन दलों के सियासी खलीफों की दावेदारी है।
महागठबंधन के सीपीआईएम की एक की सीटिंग सीट मांझी पर भी राजद सहित उसके अन्य दलों के दावेदारों की निगाह लगी है। छपरा, अमनौर और तरैया सीट पर भाजपा के विधायक हैं, पर इन तीनों सीटों पर भाजपा सहित एनडीए गठबंधन के अन्य दावेदार जोर लगाये हुए हैं। जदयू के पास फिलहाल सारण जिले में एक भी सीट नहीं है, पर इस दल के भी एक से अधिक दावेदार सभी दस सीटों पर हैं।
सिवान और गोपालगंज में सियासी हलचल
सिवान के आठ और गोपालगंज के छह विधानसभा सीटों पर चुनाव को लेकर सियासी हलचल है। सिवान जिले के आठ में तीन सिवान, रघुनाथपुर और बड़हरिया सीट पर राजद का कब्जा है। वहीं दो सीट जीरादेई और दरौली में भाकपा माले तथा महाराजगंज में कांग्रेस के विधायक हैं। दो सीट दरौंदा और गोरेयाकोठी भाजपा के कब्जे में हैं।
वहीं गोपालगंज जिले के दो सीट बैकुंठपुर और हथुआ राजद, भोरे और कुचाकोट जैसे दो सीट जदयू, और दो सीट बरौली और गोपालगंज पर भाजपा का कब्जा है। दोनों जिले के इन सीटों पर भी दावेदारों की लंबी कतार है। दलों के पराजित सीट की बात कौन कहें, सीटिंग विधायको के खिलाफ उन्हीं के दल और गठबंधन के कई दावेदार ताल ठोक रहे हैं।
लोगों की राय
ऐसी सरकार व जनप्रतिनिधि चाहिए जो पारदर्शी हो, ईमानदारी से काम करे और जाति-धर्म से ऊपर उठकर विकास की सोच रखे। शिक्षा और स्वास्थ्य पर निवेश बढ़ाना सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
मारुति करुणाकर, सवर्ण
हमारी नजर में सरकार वही सही होगी जो किसानों की तकलीफ समझे। खाद-बीज समय पर मिले, सिंचाई की व्यवस्था हो और फसल का दाम ठीक-ठाक मिले, जनप्रतिनिधि जमीन से जुड़े हों और किसानों के लिए आवाज बुलंद करें।
अरविंद कुमार, पिछड़ा वर्ग
बिहार में ऐसी सरकार बने जो गरीब और मेहनतकश लोगों को रोज़गार और सुविधा दे। छोटे कामधंधों के लिए सस्ता कर्ज और बच्चों की पढ़ाई के लिए मदद सबसे अहम है। हमारा प्रतिनिधि हम जैसे आम लोगों से दूरी न बनाए।
महेश साह, अतिपिछड़ा वर्ग
सरकार दलित और वंचित परिवारों को सम्मान के साथ जीने का अवसर दे। जातीय भेदभाव खत्म करने और सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे हम तक पहुंचाने वाले प्रतिनिधि ही सच्चे होंगे।
वीरेन्द्र बैठा, अनुसूचित जाति
सरकार और जनप्रतिनिधि ऐसा हों जो सबको बराबरी का हक दें। अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों की पढ़ाई, रोजगार और सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाए।
मेंहदी हसन, अल्पसंख्यक
हमारे घर के पुरुष रोज़गार के लिए पंजाब और दिल्ली जाते हैं। हम चाहते हैं कि बिहार में ही काम के अवसर बनें ताकि परिवार बिखरने न पाए। ऐसी सरकार और नेता चाहिए जो रोज़गार पर ठोस नीति बनाए और महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाने का रास्ता खोले।
रीता देवी, गृहणी
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