CG Election 2023: चिकित्सकों की कमी बनेगा चुनावी मुद्दा, मेडिकल कॉलेजों में 5699 पद खाली
CG Election 2023 जिला अस्पतालों की बात करें तो यहां मेडिसिन आब्स एंड गायनी जैसे विशेषज्ञ चिकित्सक ही नहीं हैं। ट्रामा सेंटर आइसीयू की भी कमी है। प्रदेश के कुछ अस्पतालों में कैंसर की सिंकाई सर्जरी किडनी ट्रांसप्लांट हार्ट की बाइपास सर्जरी बोन मेरो ट्रासप्लांट जैसी सुविधाएं हैं मगर विशेषज्ञों की कमी से निजी अस्पतालों की ओर दौड़ लगानी पड़ती है।

रायपुर, जेएनएन। छत्तीसगढ़ में पिछले पौने पांच वर्षों की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में चिकित्सकों - स्वास्थ्य कर्मियों की बड़ी संख्या में भर्ती हुई है। काफी हद तक विशेषज्ञों को नियुक्त भी किया गया है मगर अभी भी चिकित्सा कर्मियों की कमी से इलाज प्रभावित हो रहा है। गांवों के लोगों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भवन, बेड, कुर्सियां तो मिल रही हैं मगर चिकित्सक नहीं होने के कारण उन्हें शहरों तक आना पड़ रहा है। जेएनएन ने पड़ताल की तो पाया कि प्रदेश के शासकीय मेडिकल व नर्सिंग कालेजों में स्वास्थ्य कर्मियों के 5,699 पद खाली हैं। मेडिकल कालेजों में सुपर स्पेश्यालिटी व जिला अस्पतालों चिकित्सा विशेषज्ञों की सुविधा बढ़ाने की दरकार है। रायपुर के मेडिकल कालेज को छोड़कर बाकी अन्य मेडिकल कालेजों में चिकित्सा विशेषज्ञों की कमी है। प्रदेश के मेडिकल कालेज, अस्पताल समेत 23 शासकीय संस्थानों में तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के 3,047 पद भरने की स्वीकृति है मगर इन्हें अभी तक भरा नहीं जा सका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानक के अनुसार छत्तीसगढ़ में सेटअप से 15 गुना ज्यादा चिकित्सकों की जरूरत है।
स्वास्थ्यकर्मी की कमी से अस्पताल बेकार
जिला अस्पतालों की बात करें तो यहां मेडिसिन, आब्स एंड गायनी जैसे विशेषज्ञ चिकित्सक ही नहीं हैं। ट्रामा सेंटर, आइसीयू की भी कमी है। प्रदेश के कुछ अस्पतालों में कैंसर की सिंकाई, सर्जरी, किडनी ट्रांसप्लांट, हार्ट की बाइपास सर्जरी, बोन मेरो ट्रासप्लांट जैसी सुविधाएं हैं मगर विशेषज्ञों की कमी से निजी अस्पतालों की ओर दौड़ लगानी पड़ती है।
पिछले वर्षों में इस तरह बढ़ी सुविधा
‘हमर लैब’ से जांच हुई आसान
जिला अस्पतालों के हमर लैब में 120 तरह की और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के हमर लैब में 60 प्रकार की जांच की सुविधाएं हैं। राज्य के 20 हमर लैब में अब तक कुल 76 लाख पैथोलाजी, माइक्रोबायोलाजी और बायोकेमिस्ट्री जांच की गई हैं।
100 से अधिक अस्पतालों का गुणवत्ता सर्टिफिकेशन
प्रदेश की 100 से अधिक अस्पतालों को गुणवत्ता सर्टिफिकेशन हुआ है। इनमें बलरामपुर से लेकर सुकमा तक के जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उप स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं। एक अप्रैल 2018 तक राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक प्रमाण पत्र प्राप्त एक भी अस्पताल नहीं था।
हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर
इन सेंटर में लोगों को 12 तरह की प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही हैं। इन केंद्रों में प्रसव पूर्व देखभाल व प्रसव, नवजात शिशु स्वास्थ्य व टीकाकरण, परिवार नियोजन व प्रजनन स्वास्थ्य, राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम व संचारी रोग- गैर संचारी रोग स्क्रीनिंग एवं प्रबंधन, मानसिक स्वास्थ्य स्क्रीनिंग एवं प्रबंधन, सामान्य रोगों के लिए बाह्य रोगी देखभाल एवं प्रबंधन, आंख-नाक-कान-गला संबंधी सामान्य देखभाल, मुख स्वास्थ्य संबंधी देखभाल, वयोवृद्ध स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं तथा आपातकालीन चिकित्सकीय सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। अब तक राज्य में 5372 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर स्थापित किए जा चुके हैं।
निश्शुल्क डायलिसिस
27 जिला चिकित्सालयों में डायलिसिस की सुविधा है। इससे किडनी रोगों से पीड़ितों को अब उनके जिला मुख्यालय में ही निश्शुल्क डायलिसिस की सुविधा मिल रही है।
पीएससी से विशेषज्ञों की भर्ती कराया और 400 से भी अधिक भर्ती के लिए चयनित हुए मगर 200 लोगों ने ज्वाइन नहीं किया। फिर भी काफी हद तक पद भर लिए गए हैं। (टीएस सिंहदेव, स्वास्थ्य मंत्री, छत्तीसगढ़)
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