Triveniganj Vidhan Sabha 2025: चुनावी रणभूमि में फिर गरमाई सियासत, टिकट के दावेदारों में बढ़ी हलचल
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नज़दीक आते ही त्रिवेणीगंज सीट पर राजनीतिक गतिविधियाँ तेज़ हो गई हैं। यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। जदयू का यहां दबदबा रहा है लेकिन महागठबंधन भी कड़ी टक्कर देने को तैयार है। टिकट के लिए दावेदारों की संख्या बढ़ रही है जिससे मुकाबला और भी दिलचस्प होने की संभावना है। युवाओं रोजगार और किसानों के मुद्दों पर सबकी नजर रहेगी।

संवाद सूत्र, त्रिवेणीगंज (सुपौल)। बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) की घोषणा में अब कुछ ही दिन शेष हैं, लेकिन त्रिवेणीगंज (अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित) विधानसभा सीट पर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। यह सीट 1957 में अस्तित्व में आई थी और 2008 के परिसीमन के बाद इसे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया।
शुरुआती दौर में इस सीट पर कांग्रेस और वामपंथी दलों का प्रभाव रहा, लेकिन बाद के वर्षों में जनता दल और फिर जदयू ने यहां अपनी पकड़ मजबूत कर ली। इस सीट से सबसे अधिक बार विधायक चुने जाने वाले नेता अनूपलाल यादव रहे हैं, जो कई दलों से चुनाव जीते। वे बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता, मंत्री और मुख्यमंत्री पद के दावेदार भी रहे।
अंदरूनी हलचल के बीच कई चेहरे टिकट के दावेदार
2015 से इस सीट पर जदयू की विधायक वीणा भारती हैं, जो क्षेत्र में लगातार जनसंपर्क अभियान चलाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उपलब्धियों को गिना रही हैं। हालांकि, हाल के दिनों में कई नेता की दावेदारी सामने आ रही है। सोनम सरदार और पूनम पासवान काफी चर्चा में है।
2005 से जदयू इस सीट पर लगातार जीत दर्ज कर रहा है, जिससे पार्टी के भीतर टिकट के लिए मुकाबला तेज हो गया है। सूत्रों की मानें तो लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की नजर भी इस सीट पर है। एलजेपी से पूर्व प्रत्याशी अनंत कुमार भारती उर्फ विजय पासवान को पार्टी का प्रमुख चेहरा माना जा रहा है।
महागठबंधन की ओर से भी कई चेहरे
महागठबंधन की ओर से यह सीट राजद के खाते में जाना तय माना जा रहा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद ने जिलाध्यक्ष संतोष सरदार को मैदान में उतारा था, जिन्होंने कड़ी टक्कर दी, लेकिन मामूली अंतर से पराजित हो गए।
इस बार फिर से टिकट के प्रबल दावेदार हैं। वे पिछले पांच वर्षों से क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं। उनके पिता भी राजद से सांसद रह चुके हैं। टिकट के लिए अन्य की दावेदारी भी मजबूती से हो रही है।
जदयू का लगातार वर्चस्व
2009 में लोकसभा चुनाव जीतकर विश्वमोहन कुमार के विधायक पद छोड़ने के बाद हुए उपचुनाव में जदयू के दिलेश्वर कामैत ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद 2010 में अमला देवी ने जदयू प्रत्याशी के रूप में एलजेपी के अनंत कुमार भारती को 19,023 वोटों से हराया।
2015 में वीणा भारती ने एनडीए प्रत्याशी के रूप में महागठबंधन के मुकाबले बड़ी जीत दर्ज की और अनंत कुमार भारती को 52,400 वोटों से हराया। 2020 में राजद के संतोष सरदार ने जबरदस्त चुनौती दी और वीणा भारती महज 3,031 वोटों से जीत सकी। वीणा भारती को 79,458 वोट और संतोष सरदार को 76,427 वोट प्राप्त हुए।
कड़ा मुकाबला तय, मुद्दों पर होगी असली परीक्षा
2025 के विधानसभा चुनाव में त्रिवेणीगंज सीट पर मुकाबला बेहद दिलचस्प होने जा रहा है। एक ओर सत्ता पक्ष नीतीश सरकार के विकास कार्यों के सहारे चुनावी नैया पार लगाना चाहता है, वहीं महागठबंधन युवा, रोजगार, पलायन और किसान मुद्दों को लेकर मैदान में डटा है।
हालांकि, जनता किसे मौका देती है विकास कार्यों को या बदलाव की चाह को यह आने वाला चुनाव तय करेगा। फिलहाल हर कोई विधानसभा चुनाव को लेकर क्षेत्र में आमजनों के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं।
राजनीतिक इतिहास
- 1957 : त्रिवेणीगंज एक द्वि-सदस्यीय सीट थी। कांग्रेस के योगेश्वर झा और तुलमोहन राम विजयी हुए।
- 1962 : खूब लाल महतो (कांग्रेस) ने जीत दर्ज की।
- 1967-1977: अनूप लाल यादव ने तीन बार संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी और फिर जनता पार्टी से जीत दर्ज की।
- 1980 : कांग्रेस के जगदीश मंडल विजयी हुए।
- 1985 : अनूप लाल यादव (लोकदल)
- 1990 : अनूप लाल यादव (जनता दल)
- 1995 : विश्वमोहन कुमार (कांग्रेस)
- 2000 : अनूप लाल यादव (राजद)
- 2005 : विश्वमोहन कुमार (एलजेपी)
- 2005:विश्वमोहन कुमार (जदयू)
- 2009 : दिलेश्वर कामैत (जदयू)
- 2010 से अब तक सीट पर जदयू का कब्जा बरकरार।
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