नीतीश के माइनॉरिटी कैंडिडेट्स को BJP से नुकसान? आंकड़ों ने कर दिया 'दूध का दूध पानी का पानी'
आमतौर पर माना जाता है कि भाजपा के साथ गठबंधन के कारण जदयू अल्पसंख्यक उम्मीदवारों को सफलता नहीं मिलती। 2010 में जदयू के 6 अल्पसंख्यक उम्मीदवार जीते जब भाजपा के साथ थे। 2015 में राजद के साथ गठबंधन में 5 सीटें मिलीं। 2020 में जदयू के 11 में से कोई भी अल्पसंख्यक उम्मीदवार नहीं जीता पर 7 दूसरे स्थान पर रहे।

भुवनेश्वर वात्स्यायन, पटना। आम तौर पर यह धारणा रही है कि भाजपा के साथ गठबंधन रहने की वजह से जदयू के अल्पसंख्यक प्रत्याशियों को उम्मीद के हिसाब से सफलता नहीं मिल पाती है। वहीं आंकड़े यह कह रहे कि 2020 के विधानसभा चुनाव को अगर छोड़ दें तो लगातार दो विधानसभा चुनाव क्रमश: 2005 और 2010 में जदयू पर यह फैक्टर हावी नहीं रहा कि वह भाजपा के साथ है।
वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में जदयूू के आधा दर्जन अल्पसंख्यक प्रत्याशी जीते थे, जबकि वह भाजपा के साथ गठबंधन में थी। वहीं, 2015 में जब जदयू का गठबंधन राजद के साथ था तो उसे पांच सीटें ही मिलीं। वहीं, 2020 का विधानसभा चुनाव अल्पसंख्यक प्रत्याशियों के मामले में जदयू के लिए बहुत ही खराब रहा।
जदयू के 11 प्रत्याशियों में एक को भी जीत नहीं मिली। वैसे जदयू के लिए यह संतोष की बात रही कि 11 में सात सीटों पर उसके प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार अल्पसंख्यक समाज के् लिए चल रही योजनाओं की बात करते रहते हैंं। सांप्रदायिक सद्भाव की बात भी होती है। ऐसे में 2025 के विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यक समाज के वोटरों का क्या रूख रहेगा इस पर खूब चर्चा है।
2020 में जदयू ने अपनी 10 प्रतिशत सीटों पर अल्पसंख्यक प्रत्याशी दिए थे
वर्ष 2020 में जदयू ने अपनी 10 प्रतिशत सीटें यानी 11 सीटें अल्पसंख्यक समाज के प्रत्याशियो को उपलब्ध कराए थे। इनमें से शिवहर से शर्फुद्दीन, अररिया से शगुफ्ता अजीम, कोचाधामन से मुजाहिद आलम, अमौर से सबा जफर, दरभंगा ग्रामीण से फराज फातिमी, महुआ से आस्मां परवीन व डुमरांव से अंजुम आरा दूसरे नंबर पर रहीं।
वहीं, सिकटा से खुर्शीद उर्फ फिराेज, ठाकुरगंज से नौशाद आलम, कांटी से जमाल तथा मढ़ौरा से अल्ताफ राजू को दूसरे नंबर पर भी आने में सफलता नहीं मिली थी।
2015 में जदयू के पांच अल्पसंख्यक प्रत्याशी जीते थे
वर्ष 2015 में जदयू ने राजद के साथ गठबंधन कर विधानसभा चुनाव लड़ा था। उस चुनाव में जदयू के पांच अल्पसंख्यक प्रत्याशी चुनाव जूीते थे। इनमें सिकटा से खुर्शीद उर्फ फिरोज, शिवहर से शर्फुद्दीन, ठाकुरगंज से नौशाद आलम, कोचाधामन से मुजाहिद आलम तथा जोकीहाट से सरफराज आलम को जीत मिली थी। कल्याणपुर से जदयू प्रत्याशी रजिया खातून दूसरे नंबर पर थीं।
2010 मे 13 अल्पसंख्यक प्रत्याशियाें को जदयू ने दिया था टिकट
जदयू ने 2010 विधानसभा चुनाव में 13 अल्पसंख्यक प्रत्याशियों को चुनाव में उतारा था। यह संख्या अब तक सर्वाधिक है। इनमें छह को जीत भी मिली थी। डुमरांव से दाउद अली, गौरा बौराम से इजहार अहमद, साहेबपुर कमाल से परवीन अमानुल्लाह, जोकीहाट से सरफराज अहमद, शिवहर से शर्फुद्दीन तथा कल्याणपुर से रजिया खातून को जीत मिली थी।
ढाका से फैसल रहमान, बेलागंज से मो. अमजद, दरभंगा ग्रामीण से अशरफ हुसैन, कोचाधामन से मुजाहिद आलम, बहादुरगंज से मो. मस्वार आलम, सिकटा से खुर्शीद तथा कहलगांव से कहकशां परवीन चुनाव हार गयीं थीं।
जदयू के अल्पसंख्यक प्रत्याशियों की जीत 2005 से पकड़ी थी रफ्तार
जदयू के अल्पसंख्यक प्रत्साशियों की जीत ने 2005 से ही रफ्तार पकड़ ली थी। उस वर्ष पुरपी से शाहिद अली खान, मुंगेर से मोनाजिर हसन, जीकीहाट से मंजर आलम, बलिया से जमशेद अशरफ को जीत मिली थी। वही बेलागंज से मो. अमजद, जहानाबाद से अकबर इमाम व केसिरया से जदयू की प्रत्याशी रजिया खातून चुनाव हार गयीं थीं।
वर्ष 2005 में जदयू के अल्पसंख्यक प्रत्याशी को जहां से जीत मिली
- पुपरी
- बलिया
- जोकीहाट
- मुंगेर
2010 के विधानसभा चुनाव में जहां से जदयू के प्रत्याशी जीते
- साहेबपुर कमाल
- डुमरांव
- कल्याणपुर
- गौरा बौराम
- जोकीहाट
- शिवहर
2015 के विधानसभा चुनाव में जिन सीटों पर जदयू के अल्पसंख्यक प्रत्याशी जीते
- जोकीहाट
- कोचाधामन
- ठाकुरगंज
- शिवहर
- सिकटा
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