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    चाल देख के हाल पूछ रहे नेताजी...चुनाव में ध्यान दीजिएगा, सब काम होगा

    Updated: Sat, 08 Nov 2025 04:17 PM (IST)

    बगहा में चुनावी माहौल गरमा गया है। नेता मतदाताओं को लुभाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं, पहले जिन्हें पहचानते भी नहीं थे, अब उनसे गले मिल रहे हैं। जनसंपर्क के दौरान उन्हें लोगों की खरी-खोटी भी सुननी पड़ रही है, लेकिन वे मुस्कुराहट के साथ जवाब दे रहे हैं। डिजिटल प्रचार भी खूब चल रहा है, जिससे गांव के लोग भी ऑनलाइन चर्चा में भाग ले रहे हैं।

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    अमित शुक्‍ल, बगहा। चुनाव में एक तरफ जहां इंटरनेट मीडिया पर शोर है। वहीं, दूसरी ओर प्रचार के और भी रंग हवा में हैं। चुनाव के कारण नेता और उनके कार्यकर्ताओं की बोली में मिठास घुली है। पहले जिसे बगल से गुजरने के बाद भी सलाम - प्रणाम नहीं करते थे, उन्हें अब पकड़ रहे गले मिल रहे, चाल देखकर हाल पूछ रहे। हां, चलते-चलते वोट देने की बात कहना नहीं भूल रहे हैं।
     
    आशीर्वाद बनाए रखने की बात कर रहे नंबर व छाप बताकर वोट की अपील की जा रही है। ऐसा नहीं कि हर जगह उन्हें मान-सम्मान ही मिल रहा, जनसंपर्क के दौरान लोगों की खरी-खोटी भी सुन रहे हैं, पर जवाब के रूप में मुस्कुराहट बांट रहे । उनपर भी प्यार लुटा रहे, जो उनके लिए कटु व्यवहार कर रहे हैं। मतदाताओं की प्रतिक्रिया भी खूब मिल रही।
     

    अच्छा कह लीजिए...लेकिन ध्यान रखिएगा : बगहा अनुमंडल क्षेत्र के

     
    तीन विधानसभा में आजकल चुनावी चर्चा जोरों पर है। समीकरण का क्या है, हर रोज बनता - बिगड़ता है। गांवों में राजनीतिक बयार ऐसी बह चली कि जहां दो लोग जुटे कि चुनावी बात शुरू हो जा रही है। एक उम्मीदवार ने जैसे ही कहा कि ध्यान है न, आशीर्वाद दीजिए, सब काम होगा। तब तक जनता जनार्दन के बीच से सवाल का दनदनाता गोला आया, वोट के बाद भी पूछेंगे न.... या सब वोट तक ही है।
     
    चुनाव जीतने के बाद हाल-चाल क्या, नेता तो पहचानना भी भूल जाते हैं। ऐसा जवाब सुनने पर भी नेता और उनके कार्यकर्ताओं को गुस्सा नहीं आता, बल्कि वे हाथ जोड़ नतमस्तक नजर आ रहे हैं। इतना ही कहते हैं, अच्छा कह लीजिए, पर ध्यान रखिएगा । नेताजी अपने मन का गुस्सा त्याग दिए हैं, राजनीति के ये माहिर खिलाड़ी हैं।
     

    डिजिटल प्रचार का भी जोर, गांव भी अछूता नहीं

     
    इंटरनेट युग में क्या शहर, क्या गांव सब एक समान । इसकी बढ़ती पहुंच से गांव के वोटर भी आनलाइन चर्चा में शिरकत कर रहे। वाट्सएप पर चुनावी बहस या लाइव मोड में चर्चा तक हर प्लेटफार्म पर चुनाव की सरगर्मी है।
     
    मोबाइल स्क्रीन पर प्रचार के नए रंग बिखर रहे लोग इसे देख खुश भी हो रहे और चर्चा करने से पीछे नहीं हैं। युवाओं के मोबाइल स्क्रीन पर भी इनके प्रचार पहुंच रहे हैं। इंटरनेट मीडिया पर लोकतंत्र का शोर ज्यादा गुंजायमान हो चुका है। करीब सब प्रत्याशी अपने उपस्थिति के साथ इस नए प्रचार के सहारे अपनी चुनावी नैया पार कराने में लगे हैं।
     

    खाली हाथ जोड़ के आशीर्वाद मंगाता, जितला के बाद सभे भुला जाला

     
    बगहा के बनकटवा निवासी राजेंद्र कुमार कहते हैं कि अब के नेता एकदम से राजनीति के अखाड़े के बेहतर और पके खिलाड़ी हो चले हैं। चुनाव के समय अपना वोट बनाने व लोगों को अपने साथ जोड़ने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जा रहे हैं, जीतने के बाद तो आप हम जानते ही हैं...!
     
    रामनगर के बेला गोला निवासी मनोज गुप्ता कहते हैं कि नेता जो भी चुनाव लड़ रहे हैं, उन्हें पता है कि 10-15 दिन ही लोगों का खुशामद कर उनकी कड़े बातों को सुनकर सिर्फ वोट ले लेना है। उसके बाद तो पांच साल अपना ही है। रमिता देवी कहती हैं कि चुनाव में कहता लोग कि सब विकास होई लेकिन इ लोग चुनाव जितला के बाद सब भुला जाला । खाली हाथ जोड़ के आशीर्वाद मंगाता ।

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