Bihar Election 2025: कांग्रेस को अपने ही दिखा रहे आईना, क्या विधानसभा चुनाव में भी करना होगा त्याग?
बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच वामपंथी दलों ने कांग्रेस को उसकी सीटों की दावेदारी पर आईना दिखाया है। वामदलों ने कहा है कि सीटों का फैसला महागठबंधन की समन्वय समिति करेगी और कांग्रेस को अपनी क्षमता के अनुसार ही सीटों की मांग करनी चाहिए। वामदलों ने तेजस्वी यादव को महागठबंधन का सीएम चेहरा मान लिया है जिससे कांग्रेस पर दबाव बढ़ गया है।

दीनानाथ साहनी, पटना। बिहार विधानसभा की 70 सीटों पर चुनाव लड़ने की जिद पर अड़ी कांग्रेस को वामपंथी दलों ने आईना दिखाया है। वामपंथी दलों ने स्पष्ट कर दिया है कि बिहार विधानसभा की सभी 243 सीटों पर सिर्फ महागठबंधन के समन्वय समिति की बैठक में फैसला होगा कि किस घटक दल को कितनी सीटें दी जाएंगी।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपनी क्षमता को देखते हुए सीटों की मांग रखे। कांग्रेस द्वारा 70 सीटों पर दावेदारी करने का कोई औचित्य नहीं है। कम लड़ें, ज्यादा जीतें, यही प्रयास होना चाहिए।
वहीं वामपंथी दलों ने तेजस्वी प्रसाद यादव को महागठबंधन का सीएम फेस मान लिया है। जाहिर है, इससे अब कांग्रेस पर दबाव बढ़ गया है क्योंकि तेजस्वी को मुख्यमंत्री उम्मीदवार होने के नाम पर कांग्रेस ने मौन साध रखा है या टालमटोल वाला रूख अपना रखा है।
पिछली बार से कम सीटों पर लड़ने की सलाह
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि महागठबंधन में 243 सीटों पर घटक दलों के बीच बंटवारे को लेकर जो फार्मूला सेट किया गया है, उसे कांग्रेस ने 70 सीटों पर दावेदारी करके उलझा दिया है, जबकि वामपंथी दलों की इच्छा जल्द से जल्द सीट शेयरिंग की है।
चूंकि कांग्रेस पुरानी व बड़ी पार्टी है तो उसे बड़ा त्याग करना होगा क्योंकि 2020 में कांग्रेस का सबसे खराब स्ट्राइक रेट रहा। इसे लेकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) यानी भाकपा-माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि कांग्रेस नेताओं द्वारा 70 सीटों की मांग की जा रही है। पिछली बार कांग्रेस सिर्फ 19 सीटों पर जीत हासिल की।
जाहिर है, वो अपनी क्षमता से ज्यादा पर लड़ी थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लिए पिछली बार से कम सीटें लड़ना और ज्यादा सीटें जीतना कांग्रेस के हित में होगा। यह निश्चित रूप से विपक्षी महागठबंधन के फायदे में होगा।
चुनाव में महागठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा को लेकर दीपंकर ने कहा कि भले ही सीएम उम्मीदवार की घोषणा न हुई हो, लेकिन यह स्पष्ट है कि सरकार बनी तो सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी राजद के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ही मुख्यमंत्री बनेंगे।
समन्वय समिति लेगी फैसला
कांग्रेस के 70 सीटों की दावेदारी पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय ने कहा कि महागठबंधन में सीट शेयरिंग पर किसी एक पार्टी की दावेदारी से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि हर दल को उसकी क्षमता के आधार पर सम्मान मिले।
समन्वय समिति ही सीट शेयरिंग पर अंतिम निर्णय लेगी। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी माकपा के राज्य सचिव ललन चौधरी ने भी भाकपा और भाकपा-माले से सहमति जताते हुए कहा कि सीट शेयरिंग पर दावेदारी से ज्यादा महत्वपूर्ण है, जीत। आखिर सत्रह सदस्यीय समन्वय समिति किस लिए बनी है? वही तय करेगी सीट शेयरिंग क्या हो।
उन्होंने कहा कि किसी एक दल की क्षमता से ज्यादा दावेदारी करना गठबंधन के हित में नहीं होगा। स्पष्ट है कि कांग्रेस की ज्यादा सीटों पर लड़ने जिद ने वामदलों को असहज कर रहा है। विश्लेषक तो यह भी मान रहे हैं कि सीएम फेस तेजस्वी यादव को बताकर वामदलों ने राजद की राह आसान कर दी है।
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