Darauli Election 2020: दरौली में सीधा मुकाबला, भाजपा प्रत्याशी के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता उनका हमनाम, 52.80 फीसद हुआ मतदान
Darauli Election News 2020 सिवान जिले के अंतर्गत दरौली विधानसभा सीट आरक्षित है। यहां भाजपा और भाकपा माले के बीच सीधे मुकाबले की उम्मीद है हालांकि भाजपा उम्मीदवार के लिए बड़ी मुश्किल उनका हमनाम एक निर्दलीय उम्मीदवार बन सकता है।
जेएनएन, सिवान। दरौली से इस बार भाजपा ने रामायण मांझी को अपना प्रत्याशी बनाया है, जबकि सत्यदेव राम माले से यहां चुनावी दंगल में हैं। वे वर्तमान में विधायक भी हैं। यह सुरक्षित सीट भी है। मंगलवार को यहां 52.80 फीसद मतदान हुआ। भाजपा का कैडर वोट यहां ज्यादा है तो माले का यह एक तरह गढ़ है। ऐसे में जनता रामायण मांझी के साथ जाती है या सत्यदेव को फिर से अपना जनप्रतिनिधि बनाती है, इसको लेकर दुविधा है। दोनों प्रत्याशियों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। यह सीट एससी/एसटी के लिए आरक्षित है। 1977 में हुए पहले चुनाव में यहां कांग्रेस के कृष्ण प्रताप विजयी रहे थे।खास बात यह है कि भाजपा प्रत्याशी का एक हमनाम प्रत्याशी यहां निर्दलीय मैदान में है। इससे कुछ वोटों का नुकसान भाजपा को हो सकता है। इस तरह की रणनीति पहले भी कई चुनावों में अपनाई जाती रही है।
प्रमुख प्रत्याशी
सत्यदेव राम (भाकपा माले)
रामायण मांझी (भाजपा)
रामायण मांझी, निर्दलीय
कुमार शशिरंजन, निर्दलीय
प्रमुख मुद्दे
1- शिक्षा : दरौली विधानसभा क्षेत्र में उच्च शिक्षा के लिए कॉलेज नहीं है। छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए या तो यूपी जाना पड़ता है या फिर पटना।
2- स्टेडियम : खेलकूद को प्रोत्साहन देने के लिए स्टेडियम का निर्माण तो कर दिया गया है, लेकिन रखरखाव व खेल सामग्री के अभाव में बच्चे खेल के क्षेत्र में बेहतर नहीं कर पाते हैं।
3- पर्यटन स्थल : गुठनी प्रखंड के सोहागरा स्थिल बाबा हंसनाथ शिवमंदिर में लाखों श्रद्धालु बिहार, यूपी समेत अन्य प्रदेशों से आते हैं, लेकिन इसे पर्यटन स्थल घोषित नहीं किए जाने से इसका समुचित विकास नहीं पा रहा है।
4. स्वास्थ्य : दरौली विधानसभा क्षेत्र के सभी अस्पतालों में इलाज की व्यवस्था नहीं होने से यहां के लोगों को यूपी अथवा जिला मुख्यालय जाना पड़ता है।
5- बिजली की समस्या : प्रखंड में विद्युत कार्यालय नहीं होने से लोगों को बिल सुधार कराने के लिए मैरवा जाना पड़ता है।
अब तक जीते विधायक
1951-रामायण शुक्ला - कांग्रेस
1957-राजेंद्र प्रसाद सिंह- सीएनपीएस
1957-बसावन राम- कांग्रेस
1962- रामायण शुक्ला- कांग्रेस
1967-केपी सिंह- जनसंघ
1969-लक्षमण रावत-एसएसपी
1972- केपी सिंह- जनसंघ
1977- कृष्ण प्रताप सिंह- कांग्रेस
1980-चंद्गिका पांडेय- कांग्रेस
1985-शिवशंकर यादव- लोकदल
1990-शिवशंकर यादव-जनतादल
1995-अमरनाथ यादव-भाकपा माले
2000- शिवशंकर यादव-राजद
2005-अमरनाथ यादव-भाकपा माले
2005-अमरनाथ यादव-भाकपा माले
2010 - रामायण मांझी - भाजपा
2015-सत्यदेव राम-भाकपा माले