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    अनुकरण

    By Edited By:
    Updated: Tue, 02 Dec 2014 05:50 AM (IST)

    अनुकरण का अर्थ है नकल करना। बच्चे भी अपने सभी नित्य कर्मो को बड़ों के अनुकरण के द्वारा ही सीखते हैं।

    अनुकरण का अर्थ है नकल करना। बच्चे भी अपने सभी नित्य कर्मो को बड़ों के अनुकरण के द्वारा ही सीखते हैं। जहां गाय आदि पशुओं के बछड़े पैदा होते ही कुलांचे भरने लगते हैं, वहां मनुष्य का बच्चा लगभग एक साल का होने पर ही अनुकरण के द्वारा चलना सीखता है। अगर किसी बच्चे को समाज से अलग करके रख दिया जाए, तो वह किसी का भी अनुकरण कर सकने में असमर्थ होने के कारण असहाय और अज्ञान स्थिति में ही रह जाएगा। शिशु को किसी भी क्त्रिया को सीखने के लिए पूछने की आवश्यकता नहीं होती, वह केवल अन्य लोगों का अनुकरण कर सीख जाता है। अनुकरण के द्वारा ही हम अपनी मातृभाषा सीख पाते हैं। हम अपने आसपास विभिन्न प्रकार की जीवन-शैलियां देखकर उनकी नकल करना चाहते हैं। समाज में उच्च श्रेणी के लोग जिस प्रकार का खान-पान, उठना-बैठना, व्यवहार आदि करते हैं, उसी की नकल करना चाहते हैं और यह नहीं सोचते कि इस प्रकार के व्यवहार हमारी जीवन पद्धति के अनुकूल हैं या नहीं। हम देखते हैं कि अनुकरण के लिए उस कार्य या व्यवहार का हमारे लिए अनुकूल होना भी आवश्यक है। आज सारे संसार में इंटरनेट के माध्यम से विभिन्न प्रकार की जीवन-शैलियों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के कारण पाश्चात्य देशों के आचार-विचारों और तौर-तरीकों की नकल करने की होड़ लग गई है। यहां तक कि गृहस्थ जीवन में किए जाने वाले अत्यंत निजी व गोपनीय व्यवहारों को भी सार्वजनिक और सामूहिक रूप से करने में गौरव माना जा रहा है। हमें अपनी सभ्यता और संस्कृति के मूल तत्वों को सदा याद रखते हुए इस भेड़चाल से अपने को बचाना चाहिए।

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    एक समय था, जब हमारे आदर्श भगवान राम, कृष्ण, हमारे शिक्षक, जीवन में सफलता प्राप्त करने वाले खिलाड़ी, वैज्ञानिक या सैनिक होते थे, लेकिन आज उनका स्थान फिल्मी सितारों ने ले लिया है। हमें भावी पीढ़ी को इस प्रकार की शिक्षा देनी चाहिए कि वे स्वयं विवेकशील बनें और हमारी सभ्यता और संस्कृति के अनुसार अपना आदर्श स्थापित कर उनका अनुकरण करें। हमारे शास्त्रों में तो कहा ही गया है कि महाजन यानी गुणी लोग जिस मार्ग से जाते हैं, वही श्रेष्ठ मार्ग है। हमें उसी का अनुकरण करते हुए, चलना चाहिए।

    [कृष्णकांत वैदिक]