अश्विनी वैष्णव। नया भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। देश की प्रगति अब सिर्फ जीडीपी जैसे आंकड़ों से तय नहीं होती, बल्कि आम लोगों को सम्मान से जीने और आगे बढ़ने के मिले अवसरों से भी होती है। इसके उदाहरण दूर-दराज के गांवों, कस्बों और शहरों में आम हैं। यह बदलाव उस नेतृत्व की बदौलत संभव हुआ, जो हर नागरिक को सशक्त बनाने में विश्वास रखता है। शुरू से ही अंत्योदय यानी पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति का उत्थान हमारी प्रेरणा रहा है। पिछले 11 वर्षों में हमारी हर नीति, हर निवेश और नवाचार इसी सोच पर आधारित रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में यह सोच चार स्तंभों पर आधारित है।

पहला, ऐसा इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाना, जो देश को जोड़े। दूसरा, ऐसा विकास, जो सबको साथ लेकर चले। तीसरा, मैन्यूफैक्चरिंग जो लोगों को रोजगार दे। चौथा, सरकारी कामकाज को इतना आसान बनाना कि आम आदमी को ताकत मिले। पिछले 11 वर्षों में पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) तेजी से बढ़ा है और 2025-26 में यह 11.2 लाख करोड़ तक पहुंच गया। यह बढ़ता हुआ निवेश सबसे अधिक बुनियादी ढांचे-फिजिकल, डिजिटल और सामाजिक में दिखता है।

इसी दौरान करीब 59,000 किमी नए राजमार्ग बने और 37,500 किमी रेलवे ट्रैक बिछाए गए। हाल में चिनाब और अंजी पुल का उद्घाटन हुआ, जो आधुनिक भारत की इंजीनियरिंग क्षमता का प्रतीक हैं। जब वंदेभारत ट्रेन इन पुलों से होकर श्रीनगर पहुंची, तो एक यात्री ने कहा, ‘यह किसी सपने के सच होने जैसा है।’ उसकी आंखों में आंसू थे। कनेक्टिविटी अब सिर्फ सड़कों और रेल तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह डिजिटल क्षेत्र में भी फैल चुकी है। भारत का डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर दुनिया में मिसाल बन चुका है। यूपीआइ, आधार और डिजीलाकर जैसे प्लेटफार्म आम लोगों की जिंदगी को सरल बना रहे हैं। इनकी सफलता और व्यापक उपयोगिता देखते हुए कई देश इनका अध्ययन कर रहे हैं।

हमारा उद्देश्य है टेक्नोलाजी को हर आम आदमी तक पहुंचाना। यह सोच अब इंडिया एआइ मिशन को भी दिशा दे रही है। अब 34,000 से अधिक हाई स्पीड कंप्यूटर चिप्स-जीपीयू सभी के लिए उपलब्ध हैं और बाकी देशों की तुलना में सिर्फ एक-तिहाई लागत पर। एआइ माडल को ट्रेन करने में इन चिप्स की बड़ी भूमिका होती है। शोध और नवाचार को आसान बनाने के लिए एआइकोष प्लेटफार्म पर 370 से ज्यादा डाटा सेट और 200 से अधिक तैयार एआइ माडल सभी के लिए उपलब्ध हैं।

शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सेवाओं को सबके लिए आसान बनाने पर भी इतना ही जोर दिया गया है। इन 11 वर्षों में मेडिकल कालेजों की संख्या 387 से बढ़कर 780 हो गई है। एम्स सात से बढ़कर 23 हो चुके हैं। एमबीबीएस और पीजी की सीटें भी दोगुनी से अधिक हो गई हैं। हमारे विकास माडल की सबसे बड़ी ताकत यह है कि इसने करोड़ों लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाया है।

आज देश में 53 करोड़ से ज्यादा जन-धन खाते हैं, जो यूरोप की आबादी से भी ज्यादा हैं। चार करोड़ घर, 12 करोड़ शौचालय बने हैं और 10 करोड़ परिवार लकड़ी की जगह स्वच्छ एलपीजी गैस से खाना बना रहे हैं। ‘हर घर जल’ योजना के तहत 14 करोड़ घरों तक नल का पानी पहुंच चुका है। आयुष्मान भारत योजना 35 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य सुरक्षा देती है। 11 करोड़ किसान अब पीएम-किसान योजना से सीधी आर्थिक मदद पा रहे हैं। उज्ज्वला की 10 करोड़वीं लाभार्थी मीरा मांझी के बैंक खाते में बिना किसी बिचौलिए के 2.5 लाख रुपये सीधे जमा हुए। उनके घर में नल से पानी आता है, हर महीने मुफ्त राशन मिलता है और उन्हें धुएं से छुटकारा भी मिला है। इतने बड़े स्तर पर समावेशी विकास का उदाहरण हाल के इतिहास में और कहीं नहीं मिलता।

सरकार ने 2015 में ‘मेक इन इंडिया’ की शुरुआत की, जिससे उद्योग बढ़े और लोगों को रोजगार मिले। आज भारत में इलेक्ट्रानिक्स उत्पाद का उत्पादन 6 गुना बढ़कर 12 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है। इलेक्ट्रानिक्स उत्पाद का निर्यात भी आठ गुना बढ़ा है। यह सबसे बड़े निर्यातित उत्पादों में शामिल है। भारत अब मोबाइल फोन बनाने वाला दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। हम सिर्फ फोन नहीं, उनके अंदर इस्तेमाल होने वाले चिप और दूसरे इलेक्ट्रानिक पार्ट्स भी बना रहे हैं। भारत का पहला चिप बनाने वाला बड़ा प्लांट (फैब) बन रहा है और 5 ओसैट यूनिट्स पर काम भी शुरू हो गया है। देश के 270 कालेजों को सबसे आधुनिक डिजाइन टूल्स दिए गए हैं, ताकि बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ इलेक्ट्रानिक डिजाइन में भी आगे बढ़ें।

पिछले 11 सालों में सरकार का काम करने का तरीका बदला है। 1,500 से ज्यादा पुराने कानून हटाए गए और 40,000 से अधिक बेवजह की प्रक्रियाएं खत्म की गईं। टेलीकाम और डीपीडीपी एक्ट जैसे नए कानून इस सोच पर बने हैं कि आम लोगों और उद्यमियों पर शक नहीं, भरोसा किया जाए। इससे सिस्टम आसान बना, निवेश को बढ़ावा मिला और नए विचारों को आगे बढ़ने का मौका मिला।

भारत का आतंकवाद के प्रति भी नजरिया बदला है। सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट और अब आपरेशन सिंदूर में ‘मोदी सिद्धांत’ झलकता है। इसके आधार हैं-भारत का अपनी शर्तों पर जवाब, परमाणु धमकियों के लिए जीरो टालरेंस और आतंकियों एवं उनके मददगारों में कोई फर्क नहीं। इस बार हमारी जवाबी कार्रवाई में देश की अपनी तकनीक और ताकत का इस्तेमाल हुआ। जो देश विकसित बनना चाहता है, उसे आत्मनिर्भर होकर अपनी जनता की रक्षा करनी चाहिए और भारत ने यही किया।

पहले विकास को आंकड़ों में मापा जाता था। अब इसे जिंदगी में आए बदलाव से। 2004 में अटल जी के कार्यकाल के अंत में भारत 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। 2014 तक यही स्थिति रही, लेकिन पिछले एक दशक में भारत ने फिर रफ्तार पकड़ी। आज हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में इन 11 वर्षों में लोगों को सबसे बड़ी सौगात मिली है-भरोसा और यही भरोसा ‘विकसित भारत’ के सपने को साकार करने में सबसे बड़ी ताकत बनेगा।

(लेखक केंद्रीय रेल, इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना प्रसारण मंत्री हैं)