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    Women Reservation Bill से बदलेगी दिल्ली विधानसभा की तस्वीर, कभी भी 10 नहीं हुई महिला MLAs की संख्या

    By Santosh Kumar SinghEdited By: Abhishek Tiwari
    Updated: Wed, 20 Sep 2023 09:39 AM (IST)

    Women Reservation Bill महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा के साथ ही दिल्ली सहित अन्य राज्यों की विधानसभाओं में 33 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने का प्रस्ताव है। इसके कानून बनने से दिल्ली विधानसभा की तस्वीर पूरी तरह से बदल जाएगी। 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में अभी तक महिला विधायकों की संख्या 10 नहीं पहुंच सकी है। अब इस बिल के बाद स्थिति में बदलाव आएगा।

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    Women Reservation Bill से बदलेगी दिल्ली विधानसभा की तस्वीर

    नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पेश किया गया है। इसमें लोकसभा के साथ ही दिल्ली सहित अन्य राज्यों की विधानसभाओं में 33 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने का प्रस्ताव है।

    इसके कानून बनने से दिल्ली विधानसभा की तस्वीर भी बदल जाएगी, क्योंकि इससे महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा। अभी 12 प्रतिशत से भी कम महिला विधायक हैं। इसका कारण राजनीतिक पार्टियों द्वारा इनकी नेतृत्व क्षमता को नकारना है।

    दिल्ली नगर निगम में 50 प्रतिशत वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। कई सामान्य वार्ड से भी चुनाव जीतकर महिला निगम में पहुंचती हैं। बावजूद इसके विधानसभा चुनाव में राजनीतिक पार्टियां इन्हें नजरअंदाज करती हैं।

    आरक्षण लागू होने के बाद बदलेगी यह स्थिति

    यही कारण है कि नाम मात्र की महिलाएं विधानसभा में पहुंचती हैं। सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित यहां की मुख्यमंत्री रहीं, लेकिन स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ। दीक्षित तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं, लेकिन कभी भी महिला विधायकों की संख्या 10 तक नहीं पहुंच सकी।

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    सबसे अधिक वर्ष 1998 में नौ महिलाएं विधानसभा पहुंचने में सफल रही थीं। आरक्षण लागू होने के बाद यह स्थिति बदलेगी, क्योंकि 70 विधानसभा क्षेत्रों में से 23 महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगे। इससे राजनीतिक पार्टियां इन्हें नजरअंदाज नहीं कर सकेंगी।

    2020 विधानसभा चुनाव में महिला प्रत्याशियों की स्थिति

    दिल्ली विधानसभा में इस समय आठ महिला विधायक हैं। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में कुल 672 उम्मीदवार थे जिनमें से 79 महिलाएं थीं। कांग्रेस ने सबसे अधिक 10 महिलाओं को मैदान में उतारा, लेकिन एक भी चुनाव नहीं जीत सकीं।

    आम आदमी पार्टी ने नौ को मैदान में उतारा और आठ विधानसभा पहुंच गईं। भाजपा ने सबसे कम तीन महिलाओं को टिकट दिया था और सभी हार गईं।

    विधानसभा चुनाव महिला विधायकों की संख्या
    1993 3
    1998 9
    2003 7
    2008 3
    2013 3
    2015 6
    2020 8

    नेतृत्व क्षमता साबित करने का अवसर

    दिल्ली नगर निगम की पूर्व महापौर और भाजपा नेता आरती मेहरा का कहना है कि पुरुष प्रधान समाज का असर राजनीति पर भी है। सभी पार्टियों में पुरुषों का वर्चस्व है। स्थानीय निकाय में पहले 33 प्रतिशत और उसके बाद 50 प्रतिशत आरक्षण से स्थिति बदली है।

    आरक्षण लागू होने पर शुरुआत में अधिकांश महिला पार्षदों के पति या कोई अन्य पुरुष सदस्य ही राजनीतिक जिम्मेदारी निभाते थे, लेकिन आहिस्ता-आहिस्ता स्थिति सुधरी है। महिला पार्षद अपनी भूमिका समझने लगी हैं।

    राजनीतिक दलों में महिला नेतृत्व को महत्व मिलने लगा है। लोकसभा व विधानसभा में आरक्षण मिलने पर राजनीतिक तस्वीर बदलेगी। महिलाओं को अपने पति, पिता के सहारे राजनीति करने की जगह स्वयं सशक्त बनना पड़ेगा जिससे कि इस विधेयक का उद्देश्य पूरा हो सके।

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