शहरों के नाम के पीछे ‘पुर’ या ‘बाद’ क्यों लगाया जाता है? आखिर क्या है इसके पीछे की वजह
आपने कई जगहों के नाम सुने होंगे जिनके अंत में पुर या बाद लगा होता है जैसे कानपुर मुरादाबाद आदि। लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि इन शहरों के नाम के पीछे पुर या बाद क्यों लगा होता है (Meaning of Pur and Bad in City Names)? दरअसल यह सिर्फ एक संयोग नहीं है बल्कि इसके पीछे काफी गहरा मतलब छिपा है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में अनगिनत शहर और कस्बे हैं और अगर आप उनके नामों पर गौर करें, तो आपको एक दिलचस्प पैटर्न देखने को मिलेगा। बहुत से शहरों के नाम के लास्ट में या तो 'पुर' लगा होता है, या फिर 'बाद'। जैसे - जयपुर, कानपुर, गोरखपुर, या फिर हैदराबाद, अहमदाबाद, फरीदाबाद आदि।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों है? शहरों के नाम के अंत में पुर या बाद लगा होना सिर्फ संयोग है या इसके पीछे कोई वजह भी है। आपको बता दें कि ये दोनों ही शब्द अलग-अलग भाषाओं और संस्कति से आए हैं। आइए जानते हैं कि इन दोनों शब्दों के मतलब क्या हैं (Meaning of Pur and Bad in City Names) और क्यों इन्हें शहरों के नाम के अंत में जोड़ा जाता है।
'पुर' का क्या मतलब है?
(Picture Courtesy: India Railway Info)
'पुर' शब्द संस्कृत भाषा से आया है। संस्कृत में 'पुर' का मतलब होता है 'नगर', 'शहर', 'बस्ती' या 'किला'। यह शब्द इतना पुराना है कि इसका उल्लेख हिंदू धर्म के सबसे पुराने ग्रंथ ऋग्वेद में भी मिलता है, जहां यह सुरक्षित बस्तियों या किलों के लिए इस्तेमाल होता था। महाभारत में भी हस्तीनापुर के अंत में पुर शब्द जुड़ा हुआ मिलता है।
प्राचीन और मध्यकाल में, जब राजा-महाराजा किसी नए शहर या राजधानी की स्थापना करते थे, तो वे अक्सर अपने नाम के बाद 'पुर' शब्द जोड़कर उसका नामकरण करते थे। यह न केवल उस जगह को एक पहचान देता था, बल्कि उस राजा के नाम और शक्ति को भी अमर करता था, ताकि जब भी लोग इस जगह को और उसके इतिहास को याद करें, तो उस राजा का नाम भी स्मरण में आए, जैसे-
- जयपुर- राजा जयसिंह के नाम पर
- उदयपुर- महाराणा उदय सिंह के नाम पर
'पुर' का इस्तेमाल यह भी दिखाता था कि वह जगह एक सुरक्षित, बसा हुआ और किलेबंद क्षेत्र है। इस तरह, 'पुर' भारतीय सभ्यता की पुरानी टाउन प्लानिंग और शाही विरासत का प्रतीक है।
'बाद' शब्द का क्या मतलब है?
(Picture Courtesy: eRail.in)
शहरों के नाम के अंत में 'बाद' शब्द भी बहुत आम है, जैसे - हैदराबाद, अहमदाबाद, गाजियाबाद आदि। यह शब्द दरअसल फारसी भाषा के शब्द 'आबाद' का अपभ्रंश रूप है। फारसी में 'आबाद' का मतलब होता है 'बसाया हुआ', 'आबाद किया गया', 'फलने-फूलने वाला' या 'रहने योग्य जगह'। 'आब' का मतलब पानी होता है, इसलिए 'आबाद' का मतलब एक ऐसी जगह से भी जोड़ा जाता है जहां पानी आसानी से मिल जाता हो और खेती की जा सके, यानी रहने के लिए बसाई गई बस्ती।
जब भारत में मुस्लिम शासकों, खासतौर से मुगलों ने, नए शहरों की स्थापना की या मौजूदा शहरों का दोबारा नामकरण किया, तो उन्होंने फारसी परंपरा के अनुसार अपने नाम या किसी अहम व्यक्ति के नाम के साथ
'आबाद' जोड़ा, जैसे-
- हैदराबाद- यह शहर मुहम्मद कुली कुतुब शाह ने बसाया था और इसका नाम हजरत अली के नाम पर रखा गया, जिनका एक नाम 'हैदर' भी था और नाम पड़ा हैदराबाद।
- अहमदाबाद- सुल्तान अहमद शाह के नाम पर।
- मुरादाबाद- रुस्तम खान द्वारा स्थापित, जो मुराद बख्श के नाम पर रखा गया।
'बाद' का इस्तेमाल उन जगहों में ज्यादा देखने को मिलता है जहां फारसी और मुगल संस्कृति का प्रभाव गहरा रहा है। यह शब्द एक संपन्न और बसे हुए समृद्ध शहर को दर्शाता है।
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