‘विहार’ से ‘बिहार’ तक का सफर, आखिर कैसे बुद्ध-महावीर की भूमि को मिला उसका नाम?
क्या आपने कभी सोचा है कि बिहार का नाम बिहार ही क्यों पड़ा कुछ और क्यों नहीं? दरअसल इस नाम के पीछे इस राज्य का सदियों पुराना इतिहास और गौरव छिपा है (Bihar History)। वैशाली के वैभव से लेकर नालंदा का ज्ञान अपने भीतर समेटे बिहार के नाम के पीछे काफी दिलचस्प कहानी है। आइए जानें इस बारे में।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत में बिहार (Bihar) का खास स्थान है। यह राज्य न केवल महान साम्राज्यों की जन्मभूमि रहा है बल्कि शिक्षा, अध्यात्म और संस्कृति का भी केंद्र रहा है।
आज जिस राज्य को हम बिहार के नाम से जानते हैं, उसके नाम के पीछे भी एक लंबी ऐतिहासिक और भाषाई यात्रा जुड़ी हुई है (Bihar Name Origination)। आइए जानते हैं कि कैसे बिहार को उसका नाम मिला।
‘विहार’ से ‘बिहार’ तक का सफर
‘बिहार’ शब्द की उत्पत्ति संस्कृत और पालि भाषा के शब्द “विहार” से हुई है। ‘विहार’ का मतलब होता है- निवास स्थान या मठ। बौद्ध काल में जब सम्राट अशोक और अन्य शासकों ने इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म को संरक्षण दिया, तब यहां बड़ी संख्या में बौद्ध विहार, मठ और शिक्षण केंद्र स्थापित किए गए। नालंदा, विक्रमशिला और ओदंतपुरी जैसे महाविहार न केवल भारत, बल्कि पूरे एशिया में ज्ञान और अध्यात्म का प्रसार करने वाले केंद्र बने।
विदेशी यात्री जैसे ह्वेनसांग और इत्सिंग ने भी अपने यात्रा वृत्तांत में इन विहारों के बारे में लिखा है। इन शिक्षा केंद्रों और विहारों के कारण पूरा क्षेत्र ‘विहारों की भूमि’ कहलाने लगा। धीरे-धीरे आम बोलचाल में ‘विहार’ शब्द के उच्चारण में बदलाव हुआ और विहार ‘बिहार’ बन गया और यही नाम आगे चलकर स्थायी हो गया।
बिहार: संस्कृति और इतिहास की पहचान
नाम केवल एक शब्द नहीं, बल्कि इतिहास और संस्कृति का आईना होता है। बिहार का नाम उसकी महान परंपरा और शिक्षा केंद्रित पहचान को दर्शाता है। यह वह भूमि है जहां से भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त कर बौद्ध धर्म की नींव रखी। यही भूमि महावीर की भी कर्मभूमि रही। शिक्षा और आध्यात्मिकता से जुड़े इन विहारों ने न केवल क्षेत्र का नाम तय किया, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी एक नई दिशा दी।
आज भले ही समय बदल चुका हो, लेकिन ‘बिहार’ नाम अपने भीतर हजारों साल की गौरवशाली परंपरा समेटे हुए है। यह नाम हमें यह याद दिलाता है कि कभी यह भूमि ज्ञान, शिक्षा और धर्म का वैश्विक केंद्र थी। इसीलिए जब हम ‘बिहार’ कहते हैं, तो उसके साथ केवल एक राज्य की भौगोलिक पहचान नहीं, बल्कि उसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गौरव भी जुड़ा होता है। इस प्रकार ‘विहार’ से ‘बिहार’ बनने की यह यात्रा भारतीय इतिहास के सबसे अहम अध्यायों में से एक है।
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