Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Leap Year 2024: फरवरी में ही क्यों जुड़ता है एक दिन? जानें क्या है लीप ईयर का गणित

    Updated: Wed, 28 Feb 2024 06:51 PM (IST)

    Leap Year हर चार साल में एक बार आता है। इस दौरान फरवरी के महीने में एक अतिरिक्त दिन जुड़ जाता है। यानी हर साल फरवरी में 28 दिन होते हैं लेकिन लीप ईयर में 29 दिन हो जाते हैं। ऐसे ही साल में भी 365 की जगह 366 दिन हो जाते हैं। आइए जानें लीप ईयर चार साल में ही क्यों आता है?

    Hero Image
    हर 4 साल में ही क्यों आता है लीप ईयर?

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Leap Year 2024: साल 2024 का दूसरा महीना फरवरी खत्म हो ही गया। यह साल लीप ईयर है, यानी फरवरी में इस बार 28 की जगह 29 दिन होंगे और साल में 365 की जगह 366 दिन होंगे। लीप ईयर हर चार साल में एक बार आता है और साल में एक एक्स्ट्रा दिन फरवरी में जुड़ जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हर चार साल में ही क्यों आता है लीप ईयर और इस दौरान फरवरी के महीने में ही क्यों जुड़ जाता है एक दिन? तो आइए जानते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कैसे हुई लीप ईयर की शुरुआत?

    यह तो हम सब जानते हैं कि पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करती है। और इसे एक चक्कर पूरा करने में एक साल का समय लगता है। इसी बीच दिन से रात होती है और मौसम भी बदलते हैं। इस चक्कर को पूरा करने में पृथ्वी को 365 दिन, 5 घंटे, 48 मिनट और 46 सेकंड का समय लगता है। हालांकि, कैलेंडर ईयर में इस समय को 365 दिन और 6 घंटे माना जाता था। सोलर ईयर और कैलेंडर ईयर के दिनों के अंतर को कम करने के लिए 4 सालों तक हर साल 6 घंटे जुड़ते हैं। इसलिए चार साल में एक बार ही लीप ईयर आता है, जिसमें एक दिन जुड़ जाता है यानी 366 दिन होते हैं। और इसे ही लीप ईयर कहा जाता है।

    फरवरी में ही क्यों जुड़ता है एक दिन?

    दरअसल, जूलियन कैलेंडर में दिसंबर की जगह फरवरी का महीना आखिरी माना जाता था। इसी वजह से एक अतिरिक्त दिन फरवरी के महीने में ही जोड़ा जाता था।

    ऐसे शुरू हुआ ग्रेगोरियन कैलेंडर

    16वीं शताब्दी में पोप ग्रेगरी-8 ने बताया कि अतिरिक्त समय की वजह से सोलर ईयर और कैलेंडर ईयर के बीच में 10 दिन का अंतर आ गया है। उन्होंने जूलियन कैलेंडर में बदलाव करते हुए 24 फरवरी 1582 में 10 दिनों को कम कर दिया था। आज हम जो कैलेंडर यूज करते हैं उसका नाम इन्हीं के नाम पर रखा गया- 'ग्रेगोरियन कैलेंडर'। हालांकि, उनका यह आइडिया समय को एडजस्ट करने में नाकाम रहा था।

    लीप ईयर का होना क्यों जरूरी है?

    ग्रेगोरियन कैलेंडर की शुरुआत जह बुई तो उसके चार साल बाद पहली बार लीप ईयर मनाया गया। अगर हर 4 साल में लीप ईयर न फॉलो किया जाए, तो हम समय चक्र से आगे निकल जाएंगे। चार साल में एक अतिरिक्त दिन अगर कैलेंडर में शामिल किया जाए, तो सौ साल के बाद हम 25 दिन आगे हो जाएंगे। अगर ऐसा होता है तो मौसम में बदलाव का भी पता नहीं चल पाएगा।