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    लगभग 1000 मील प्रति घंटा की रफ्तार से घूम रही है धरती, फिर भी हमें क्यों नहीं होता घूमने का एहसास?

    Updated: Tue, 22 Jul 2025 03:51 PM (IST)

    आपने भी बचपन में अपने दोस्तों के साथ हाथ पकड़कर गोल-गोल घूमने वाला गेम तो खेला ही होगा। अगर तेज-तेज घूमें तो थोड़ी ही देर में बैलेंस बिगड़ने लगता है और चक्कर आने लगता है। लेकिन कभी सोचा है कि धरती के कई मील प्रति घंटा की रफ्तार (How Fast Earth Rotates) से घूमने का एहसास हमें क्यों नहीं होता।

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    क्यों नहीं चलता धरती के घूमने का पता?

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आपने कभी अपने किसी दोस्त के साथ गोल-गोल चक्कर लगाया है या एक-दूसरे का हाथ पकड़कर तेज-तेज घूमे हैं (Earth Rotation Facts)? अगर हां, तो आपको पता होगा कि थोड़ी ही देर में चक्कर आने लगता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस धरती पर हम रहते हैं वह सूरज के चारों ओर लगभग 100 मील प्रति घंटा की रफ्तार (Earth Spins 1000 mph) से घूम रही है।

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    इतनी तेजी से घूमने के बाद भी हमें इसका पता नहीं चलता। वहीं कम स्पीड पर कुछ सेकंड गोल-गोल घूमने से ही हमें चक्कर आने लगता है। फिर ऐसा क्यों होता कि धरती के घूमने का हमें पता नहीं लगता (Why No Effect of Earth Spinning)। आइए समझते हैं इसकी वजह।

    रिलेटिव मोशन का प्रिंसिपल

    हमें धरती की गति इसलिए महसूस नहीं होती क्योंकि हम और हमारे आस-पास की सभी चीजें एक साथ उसी स्पीड से घूम रही हैं। जिस तरह एक चलती हुई ट्रेन में बैठे यात्री को ट्रेन की स्पीड का एहसास नहीं होता, जब तक बाहर देखा न जाए, उसी तरह पृथ्वी पर हम भी उसकी गति के साथ घूम रहे हैं।

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    ग्रैविटी का एहसास

    धरती की ग्रैविटेशनल फोर्स हमें सतह पर बांधे रखता है। अगर धरती अचानक रुक जाए, तो हम सभी उसी स्पीड से आगे बढ़ जाएंगे, जैसे- कार के अचानक रुकने पर आगे की ओर झटका लगता है। लेकिन क्योंकि धरती लगातार एक कॉन्सटेंट स्पीड से घूम रही है, इसलिए हमें कोई झटका या बदलाव महसूस नहीं होता।

    धरती का विशाल आकार

    धरती का आकार इतना बड़ा है कि इसकी रोटेशनल स्पीड धीमी महसूस होती है। हालांकि, इसकी स्पीड 1000 मील प्रति घंटा है, लेकिन क्योंकि यह एक बड़े गोले पर फैली हुई है, इसलिए एंगुलर वेलोसिटी कम होती है।

    वायुमंडल भी साथ घूमता है

    धरती का वायुमंडल भी उसी गति से घूमता है, इसलिए भी हमें इसकी स्पीड का एहसास नहीं होता है। यहीं कारण है कि इतनी तेजी से घूमने पर भी हमें हवा के तेज झोंके का अनुभव नहीं होता। अगर वायुमंडल पृथ्वी के साथ न घूमे, तो हमें लगातार भयंकर तूफानी हवाएं महसूस होतीं।

    इंसानी शरीर की अडैप्टिबिलिटी

    इंसानों का शरीर स्थिरता के लिए बना है। हमारा कान के अंदर का हिस्सा, जो बैलेंस बनाए रखता है। यह धरती की कॉन्सटेंट स्पीड के आदी हो चुका है। इसलिए हमें घूमने का एहसास नहीं होता, जब तक कि स्पीड में अचानक बदलाव न हो।

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