ये हैं 5 पतिव्रता स्त्रियां, जिनका महाभारत और रामायण में भी मिलता है उल्लेख
Pativrata Nari हिंदू धर्म में सुहागिन स्त्रियों के लिए पतिव्रता होना एक श्रेष्ठ गुण माना गया है। प्राचीन काल में ऐसी कई स्त्रियों की कथा मिलती है जिन्होंने अपने पतिव्रता धर्म का पालन करके इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया है। आइए जानते हैं कुछ ऐसी ही पतिव्रता स्त्रियों का बारे में जिनका उल्लेख महाभारत और रामायण में भी मिलता है।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। महाभारत और रामायण में ऐसी कई कथाएं मिलती हैं जो व्यक्ति को आश्चर्य में डाल सकती हैं। साथ ही इनमें कुछ ऐसी विवाहित स्त्रियों के बारे में भी बताया गया है जिन्हें अपने पतिव्रता धर्म का पालन करने के कारण श्रेष्ठ माना गया है।
1. अनुसूया
पतिव्रता देवियों में अनुसूया को सबसे ऊंचा स्थान प्राप्त है। वे अत्रि ऋषि की पत्नी थीं। इसके पीछे एक पौराणिक कथा मिलती कि एक बार देवी सरस्वती, माता लक्ष्मी और मां दुर्गा में यह विवाद छिड़ा कि विश्व में सर्वश्रेष्ठ पतिव्रता कौन है? अंत में तय हुआ कि अत्रि मुनि की पत्नी अनुसूया ही सर्वश्रेष्ठ पतिव्रता हैं।
इस बात की परीक्षा लेने के लिए एक बार त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु और महेश अनुसूया के आश्रम में ब्राह्मण का रूप धारण करके भिक्षा मांगने के लिए पहुचे। उन्होंने अनुसूया से कहा कि जब आप अपने संपूर्ण वस्त्र उतार देंगी तभी हम भिक्षा स्वीकार करेंगे। तब अनुसूया ने अपने सतीत्व के बल पर उन तीनों देवों को अबोध बालक बनाकर उन्हें भिक्षा दी। माता अनुसूया ने देवी सीता को भी पतिव्रता का उपदेश दिया था।
2. द्रौपदी
द्रौपदी का विवाह पांच पांडवों के साथ हुआ था। लेकिन द्रौपदी को सती के साथ ही पांच कुंवारी कन्याओं में भी शामिल किया जाता है। एक प्रतियोगिता के दौरान अर्जुन ने द्रौपदी को जीत लिया था। जब पांडव द्रौपदी को साथ लेकर माता कुंती के पास पहुंचे और द्वार से ही अर्जुन ने पुकारकर कहा कि आज हम लोग आपके लिए एक अद्भुत भिक्षा लेकर आए हैं। इस पर कुंती ने बिना देखे ही कह दिया कि तुम जो भी लाए हो आपस में उसे बांट लो।
बाद में यह पता चलने पर कि भिक्षा वधू के रूप में हैं, कुंती को अत्यंत दुख हुआ, लेकिन माता के वचनों को सत्य सिद्ध करने के लिए पांडवों ने ठीक वैसा ही किया। एक कीचक और जरासंध ने द्रौपदी के मान को भंग करने का प्रयास भी किया लेकिन द्रौपदी ने विषम परिस्थिति में संयम का पालन किया और अपने सतीत्व की रक्षा की। इसलिए द्रौपदी भी पतिव्रता नारियों में से एक कहलाती हैं।
3. सुलक्षणा
सुलक्षणा रावण के पुत्र मेघनाथ (इंद्रजीत) की पत्नी थीं। जिसे सुलोचना भी कहा जाता था। इन्हें भी पांच सतियों में शामिल किया गया है। रामायण की कथा के अनुसार रावण ने मेघनाथ को रणभूमि में युद्ध के लिए उतारा था। राम की शक्ति से मेघनाथ की पत्नी सुलक्षणा परिचित थी, इसलिए उसने मेघनाथ को रणभूमि में जाने से रोका था। लेकिन मेघनाद नहीं माना और युद्ध में मेघनाथ को मृत्यु प्राप्त हुई। इसके बाद सुलक्षणा भी सती हो गईं।
4. सावित्री
जब पतिव्रता नारियों की बात होती है तो सावित्री का नाम सबसे पहले याद आता है। इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा मिलती है। महाभारत अनुसार सावित्री राजर्षि अश्वपति की पुत्री थी। उनके पति का नाम सत्यवान था, जो वनवासी राजा द्युमत्सेन के पुत्र थे। सावित्री के पति सत्यवान की मृत्यु के बाद, सावित्री ने अपनी तपस्या के बल पर सत्यवान को पुनर्जीवित कर लिया था। जिस कारण सावित्री को पतिव्रता कहा जाता है। इनके नाम से वट सावित्री नामक व्रत प्रचलित है, जो महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं।
5. मंदोदरी
लंकापति रावण की पत्नी का नाम मंदोदरी था। उन्हें में पतिव्रता स्त्रियों में गिना जाता है। रावण की धर्मपत्नी होने के बाद भी मंदोदरी बहुत पवित्र और महान स्त्री थी। मंदोदरी ने हमेशा रावण के गलत कार्यों के लिए रोका, लेकिन रावण ने मंदोदरी की एक नहीं मानी। इसके बाद भी मंदोदरी ने पतिव्रता के नियमों का पूरा पालन किया। मंदोदरी को विद्वान स्त्री भी माना जाता है।
डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।