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    दुनिया की 'सबसे घटिया' कार अब बनी क्लासिक आइकन, क्यों 35 साल बाद सड़कों पर फिर लौटी ट्राबांट

    Updated: Mon, 17 Nov 2025 01:54 PM (IST)

    क्या आप जानते हैं एक समय ऐसा था जब ट्राबांट कार (Trabant Car) को दुनिया की सबसे खराब गाड़ियों में से एक माना जाता था। इसका चौकोर आकार, तंग सीटें और इससे निकलता नीला धुआं लोगों को बिल्कुल पसंद नहीं आता था। इस कार की बॉडी भी स्टील की न होकर, कागज, प्लास्टिक और कॉटन फाइबर की बनी होती थी। लेकिन आज लोग इसे क्लासिक आइकॉन मानते हैं।  

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    क्यों लोगों को अब पसंद आ रही है ट्राबांट कार? (Picture Courtesy: Instagram)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। एक दौर था जब ईस्ट जर्मनी की ट्राबांट (Trabant Car), जिसे प्यार से ट्रॉबी भी कहा जाता है, दुनिया की सबसे घटिया कारों में गिनी जाती थी। इसका चौकोर डिजाइन, तंग सीटें और चलते समय निकलने वाला नीला धुआं लोगों को कभी पसंद नहीं आया। यह कार कम्युनिस्ट दौर की मजबूरी का प्रतीक मानी जाती थी। एक ऐसी कार जिसे लोग खरीदते तो थे, लेकिन पसंद कम ही करते थे।

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    लेकिन अब समय बदल चुका है। आज, लगभग 35 साल बाद, यही ट्रॉबी जर्मनी की सड़कों पर दोबारा चमकती दिखाई देने लगी है। जो कार कभी सबसे घटिया कार कही जाती थी, वही आज एक क्लासिक रेट्रो आइकन (Classic Retro Cars) बन चुकी है। आइए जानें ऐसा कैसे हुआ। 

    क्यों लौट आई ट्रॉबी?

    पिछले कुछ सालों में जर्मनी में विंटेज और ओल्ड-स्कूल चीजों को संजोने का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है। लोग पुरानी चीजों को सिर्फ स्टाइल के लिए नहीं, बल्कि इतिहास और पहचान से जुड़ाव के कारण भी अपनाने लगे हैं। इसी बदलते रुझान में ट्राबांट की किस्मत भी पलट गई। आज कई युवा ट्रॉबी को एक स्टेटमेंट कार की तरह देखते हैं। कुछ इसे वीकेंड ड्राइव के लिए रखते हैं, तो कुछ अपने गैराज में इसे कलेक्शन पीस की तरह सजाते हैं।

    Trabant car

    (AI Generated Image)

    ट्राबांट का दिलचस्प इतिहास

    ट्राबांट का जन्म 1957 में हुआ था, जब ईस्ट जर्मनी में कम्युनिस्ट शासन था। उस समय स्टील की भारी कमी थी। ऐसे में इंजीनियरों ने एक अनोखा समाधान निकाला और गाड़ी की बॉडी को स्टील की बजाय प्लास्टिक, पेपर और कॉटन फाइबर के मिश्रण से तैयार किया गया। यह सामग्री हल्की और सस्ती तो थी, लेकिन बहुत टिकाऊ नहीं। यही वजह थी कि कार आसानी से टूट-फूट जाती और इसे ज्यादा पसंद नहीं किया जाता था। साथ ही,  इसके छोटे से इंजन का शोर और उससे उठते नीले धुएं ने ट्राबांट को ‘दुनिया की सबसे खराब कार’ का टैग दे दिया।

    कैसे बना क्लासिक?

    बर्लिन वॉल के गिरने के बाद यह कार आजादी और बदलाव का प्रतीक बन गई थी। आज जब लोग पुरानी यादों को फिर से जीना चाहते हैं, ट्राबांट उन्हें उस दौर की झलक दिखाती है। रेट्रो डिजाइन का आकर्षण, आसान मैकेनिज्म और इसका अनोखा इतिहास, इसे ऑटोमोबाइल प्रेमियों के बीच खास बनाता है। 

    आज की ट्रॉबी

    चाहे यह कार तकनीकी रूप से कमजोर मानी जाती हो, लेकिन उसके साथ जुड़ी कहानी, संघर्ष और nostalgia ने इसे एक क्लासिक कार मॉडल बना दिया है।

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