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    गांव की गलियों से निकलकर कैसे कबड्डी ने बनाई अपनी ग्लोबल पहचान? पढ़ें सदियों पुराने इस खेल की कहानी

    Updated: Tue, 15 Apr 2025 02:46 PM (IST)

    एक ऐसा खेल जो गांव की धूलभरी गलियों से शुरू हुआ... आज ग्लैमरस स्टेडियम्स की रौनक बन चुका है? जी हां बात हो रही है कबड्डी की जो स्पोर्ट्स की दुनिया में अब ग्लोबल पहचान बन चुका है। कभी नंगे पांव खेतों के पास खेला जाने वाला यह खेल (Kabaddi) आज 30 से भी ज्यादा देशों में प्रोफेशनल लेवल पर ऑर्गेनाइज किया जा रहा है। आइए जानें इसकी दिलचस्प कहानी।

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    Kabaddi History: आज विश्व स्तर पर अपनी पहचान बना रहा है भारत की मिट्टी में फला-फूला यह खेल (Image: Jagran)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Kabaddi कोई साधारण खेल नहीं, बल्कि फुर्ती, दमखम और रणनीति का ऐसा संगम है जिसमें एक खिलाड़ी दुश्मन के इलाके में घुसकर उन्हें छूकर वापस लौटने की कोशिश करता है, वो भी एक ही सांस में "कबड्डी, कबड्डी" कहते हुए!

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    भले ही कुछ लोग इसे केवल ताकत और शारीरिक दमखम का खेल मानते हों, लेकिन वास्तव में यह उससे कहीं बढ़कर है। कबड्डी में फुर्ती, रणनीति, टीमवर्क और सांस रोकने की अद्भुत क्षमता का कॉम्बिनेशन देखने को मिलता है। गांवों की गलियों से लेकर शहरों के मॉडर्न स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स तक, कबड्डी ने अपनी पहचान और लोकप्रियता को बनाए रखा है। आइए इसकी दिलचस्प कहानी (Story of Kabaddi) पर नजर डालते हैं।

    कहां से निकलीं कबड्डी की जड़ें?

    कबड्डी कोई आयातित या मॉडर्न युग का खेल नहीं है। इसकी शुरुआत हमारे ही देश की मिट्टी से हुई है। सदियों पहले भारत के गांवों में बच्चे और जवान यह खेल खेलते थे और वो भी बिना किसी जूते, मैदान या तकनीकी नियमों के। आज भी तमिलनाडु, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में यह खेल लोगों की धड़कनों में बसा हुआ है।

    यह सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि हमारे सांस्कृतिक गर्व का प्रतीक है। यह हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है और बताता है कि असली ताकत फैंसी उपकरणों में नहीं, बल्कि जोश और जुनून में होती है।

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    “कबड्डी-कबड्डी” चिल्लाने का मतलब क्या है?

    कई लोग सोचते हैं कि खिलाड़ी क्यों बार-बार "कबड्डी-कबड्डी" बोलता है? असल में यह खेल की एक अनोखी परंपरा है। यह शब्द 'काई-पिडी' (Kai-Pidi) से आया है, जो तमिल में ‘हाथ पकड़ना’ कहा जाता है। इसका अर्थ है विरोधी को पकड़ना, लेकिन वो भी तब जब आप एक ही सांस में लगातार 'कबड्डी' बोल रहे हों। यानी खेल का हर पल सांस और शक्ति की परीक्षा है- अगर सांस टूटी तो खिलाड़ी आउट!

    महाभारत से भी जुड़ती है कहानी

    कबड्डी की जड़ें इतनी पुरानी हैं कि इसकी झलकें हमें महाभारत जैसी प्राचीन गाथाओं में भी मिलती हैं। अभिमन्यु की चक्रव्यूह में घुसने की कहानी कुछ-कुछ कबड्डी के रेड जैसी लगती है। एक योद्धा दुश्मनों के घेरे में घुसता है, लेकिन रणनीति की कमी से बाहर नहीं निकल पाता। यानी, इस खेल में सिर्फ ताकत ही नहीं, दिमाग और चालाकी की भी बराबर भूमिका होती है। कबड्डी की तकनीक उन तरीकों से मिलती-जुलती है जिनका इस्तेमाल इंसान पुराने समय में खतरनाक हालातों में अपना बचाव करने या हमला करने के लिए करता था।

    कैसे खेलते हैं कबड्डी?

    इस खेल में दो टीमें होती हैं, हर टीम में 7 खिलाड़ी। एक-एक करके दोनों टीमों के रेडर विरोधी पाले में घुसते हैं। उनका लक्ष्य होता है ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ियों को छूकर, बिना पकड़े गए, अपने पाले में लौट आना।

    अगर रेडर को विरोधी टीम पकड़ ले, तो वह आउट हो जाता है, लेकिन अगर वह छूकर सुरक्षित लौट आए, तो जितने खिलाड़ी उसने छुए, वे आउट माने जाते हैं।

    इस पूरी प्रक्रिया में सांस नहीं टूटनी चाहिए और रेडर को लगातार “कबड्डी-कबड्डी” कहना होता है और यही इस खेल की असली चुनौती है।

    प्रो कबड्डी लीग: कबड्डी का नया चेहरा

    जहां पहले कबड्डी को सिर्फ गांवों का खेल माना जाता था, वहीं अब Pro Kabaddi League ने इसे ग्लोबल मंच दे दिया है। लीग की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके पहले सीजन को ही करोड़ों दर्शकों ने देखा और यह IPL के बाद भारत का सबसे लोकप्रिय खेल टूर्नामेंट बन गया। इससे खिलाड़ियों को न केवल पहचान मिली, बल्कि आर्थिक सुरक्षा और इंटरनेशनल लेवल पर खेलने का मौका भी।

    गांवों से निकलकर विश्व मंच पर बनाई जगह

    कबड्डी अब सिर्फ भारत तक सीमित नहीं। ईरान, दक्षिण कोरिया, जापान, केन्या और यहां तक कि अमेरिका में भी यह खेल अपनी जगह बना चुका है। अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और यह खेल देश की शान बन चुका है।

    कबड्डी सिर्फ खेल नहीं, हमारी पहचान है

    आज जब हम क्रिकेट और फुटबॉल जैसे अंतरराष्ट्रीय खेलों की चर्चा करते हैं, तो कबड्डी को भूलना नाइंसाफी होगी। यह हमारे देश की मिट्टी में पैदा हुआ खेल है जिसने दिखा दिया कि अगर जज्बा हो, तो कोई भी देसी खेल अंतरराष्ट्रीय पहचान पा सकता है।

    कबड्डी ने न सिर्फ गांव के बच्चों को सपने देखने की हिम्मत दी, बल्कि दुनिया को दिखा दिया कि भारत की असली ताकत उसकी संस्कृति और परंपरा में है।

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