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    कभी सोचा है कि सिर्फ पहाड़ी इलाकों में ही क्यों होती है बर्फबारी? दिलचस्प है इसके पीछे का साइंस

    Updated: Mon, 23 Dec 2024 03:07 PM (IST)

    कड़ाके की ठंड में जब हम अपनी गर्म चादरों में लिपटे रहते हैं तब प्रकृति एक अलग ही अंदाज में सजती है। खासकर पहाड़ों पर बर्फ की चादर बिछी होती है। हिमाचल और कश्मीर जैसी खूबसूरत वादियों में बर्फबारी (Snowfall On Mountains) का नजारा मन मोह लेता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बर्फबारी क्यों होती है और यह खासकर पहाड़ों पर ही क्यों होती है?

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    सिर्फ पहाड़ों पर ही क्यों होती है बर्फबारी? समझिए इसका पूरा साइंस (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Snowfall On Mountains: बर्फबारी को समझने के लिए आपको सबसे पहले पर्यावरण के चक्र पर गौर करना होगा। आपको मालूम होगा कि सूरज की गर्मी से पानी भाप बनकर ऊपर उड़ता है और बादल बनाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब ये बादल पहाड़ों के ऊपर से गुजरते हैं तो वहां का तापमान बहुत कम हो जाता है। इस ठंड के कारण भाप सीधे बर्फ के छोटे-छोटे क्रिस्टल में बदल जाती है। ये क्रिस्टल आपस में जुड़कर बड़े-बड़े स्नोफ्लेक्स बनाते हैं जो हवा के साथ बहते हुए धरती पर गिरते हैं। पहाड़ों की ऊंचाई के साथ-साथ तापमान भी कम होता जाता है, इसलिए ऊंचे पहाड़ों पर साल भर बर्फ जमी रहती है।

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    बर्फबारी न सिर्फ एक खूबसूरत नजारा होती है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी बहुत जरूरी है। बर्फ पिघलकर नदियों और झीलों को पानी देती है। क्या आप जानते हैं कि कोई भी दो स्नोफ्लेक्स एक जैसे नहीं होते हैं? बर्फबारी के दौरान हवा में नमी की मात्रा बहुत ज्यादा होती है, जिसके कारण हमारी नाक और गला सूख जाता है। आसान भाषा में कहें तो, जब आसमान बहुत ठंडा हो जाता है, तो हवा में मौजूद पानी की बूंदें जमकर बर्फ के छोटे-छोटे टुकड़ों में बदल जाती हैं। ये टुकड़े नीचे गिरते हैं और जमीन पर बर्फ के रूप में जमा हो जाते हैं। इसे ही हम बर्फबारी कहते हैं। आइए इस आर्टिकल में आपको इसके पीछे का साइंस (Why Snow Falls On Mountains) समझाते हैं।

    आसमान में कैसे बनती है बर्फ?

    जब ऊपर का तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस यानी हिमांक बिंदु पर पहुंचता है, तो हवा में मौजूद जलवाष्प ठंड के कारण बर्फ के छोटे-छोटे क्रिस्टल यानी स्नोफ्लेक्स में बदल जाती है। ये स्नोफ्लेक्स धीरे-धीरे भारी होते जाते हैं और गुरुत्वाकर्षण के कारण नीचे की ओर गिरने लगते हैं। गिरते समय ये स्नोफ्लेक्स एक-दूसरे से टकराते हैं, जुड़ते हैं और अलग होते रहते हैं। इस प्रक्रिया में इनका आकार और रूप लगातार बदलता रहता है। यही कारण है कि हम बर्फबारी के दौरान विभिन्न आकारों और प्रकार के स्नोफ्लेक्स देखते हैं।

    वायुमंडल में नमी, तापमान और हवा की गति जैसी अलग-अलग परिस्थितियों के कारण एक ही राज्य में भी अलग-अलग स्थानों पर बर्फबारी के दौरान स्नोफ्लेक्स के आकार और प्रकार में काफी अंतर हो सकता है। उदाहरण के लिए, पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी के दौरान बड़े और घने स्नोफ्लेक्स गिर सकते हैं, जबकि मैदानी इलाकों में छोटे और हल्के स्नोफ्लेक्स गिर सकते हैं।

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    पहाड़ों पर ही क्यों गिरती है बर्फ?

    क्या आपने कभी सोचा है कि बर्फबारी सिर्फ पहाड़ों पर ही क्यों होती है? इसका जवाब है ऊंचाई। समुद्र तल से जितनी ऊंचाई पर हम जाएंगे, तापमान उतना ही कम होता जाएगा। पहाड़ों की ऊंचाई इतनी होती है कि वहां का तापमान हमेशा ही ठंडा रहता है। जब बादलों में मौजूद पानी इन ठंडे इलाकों से गुजरता है, तो वह बर्फ के छोटे-छोटे टुकड़ों में बदल जाता है और धरती पर बर्फ के रूप में गिरता है।

    बर्फ के क्रिस्टल से स्नोफ्लेक्स तक

    जब आसमान से बर्फ गिरती है, तो यह कई चरणों से गुजरती है। सबसे पहले, वायुमंडल में मौजूद जलवाष्प ठंड के कारण बर्फ के छोटे-छोटे क्रिस्टल में बदल जाती है। ये क्रिस्टल आपस में जुड़कर बड़े-बड़े बर्फ के टुकड़े बना लेते हैं। जब ये टुकड़े पृथ्वी की ओर गिरते हैं, तो वे ओजोन परत से गुजरते हैं। ओजोन परत में बहुत कम तापमान होता है, इसलिए ये टुकड़े यहां पिघलते नहीं हैं। जब ये टुकड़े पहाड़ों पर पहुंचते हैं, तो वहां का तापमान बहुत कम होने के कारण ये बर्फ के रूप में ही जमीन पर गिरते हैं। इन्हें हम स्नो फ्लेक्स कहते हैं, लेकिन अगर ये टुकड़े मैदानों पर पहुंचते हैं, तो वहां का तापमान ज्यादा होने के कारण ये पिघलकर बारिश के रूप में गिरते हैं।

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