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    भारत के इस राजा के नाम पर Poland में हैं कई सड़कें, ब्रिटिश सरकार से बगावत का है ये इनाम

    Updated: Mon, 22 Apr 2024 05:44 PM (IST)

    क्या आप जानते हैं कि भारत के एक राजा ऐसे हुए हैं जिन्होंने तत्कालीन ब्रिटिश सरकार के विरोध के बाद भी दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान पोलैंड में  यातनाघरों से भागे महिलाओं और बच्चों को अपने राज्य में शरण दी थी। जिस वक्त उन्हें कोई नहीं अपना रहा था उस वक्त महाराजा ने न सिर्फ उन्हें अपने राज्य में शामिल क्या बल्कि उनके लिए एक महल भी बनवाया। आइए जानें।

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    भारत के इस राजा को आज भी भगवान के बराबर मानते हैं पोलैंड के कई लोग

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Maharaja Digvijay Singh: क्या आप जानते हैं, कि भारत के एक राजा को पोलैंड (Poland) के कई लोग आज भी भगवान से बढ़कर मानते हैं? दरअसल, ये किस्सा भी बेहद रोचक है। हम बात कर रहें हैं जामनगर, गुजरात के महाराजा दिग्विजय सिंह रणजीतसिंह जाडेजा की। बता दें, दूसरे विश्व युद्ध के दौरान आतताइयों ने पोलैंड को तबाह करके यहां के लोगों को बंदी बना लिया था और यातनाघरों में डाल दिया था। आइए आपको बताते हैं कि तब जामनगर के राजा दिग्विजय ने क्या किया था।

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    भाग गए थे कुछ बंदी लेकिन...

    दूसरे विश्व युद्ध में बंदी बनाए गए लोगों में से कुछ महिलाएं और बच्चे तो भाग पाने में सफल हो गए थे, लेकिन वे जिस भी देश में मदद मांगने पहुंचे, वहां से उन्हें निराशा ही हाथ लगी। यानी उन्हें बिना मदद के वापस लौटा दिया गया। ऐसे में जब महिलाओं और बच्चों का ये जहाज मुंबई पहुंचा, तो तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने भी इन्हें शरण देने से मना कर दिया।

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    महाराजा ने बनाया ब्रिटिश सरकार पर दबाव

    जब जामनगर के महाराजा दिग्विजय सिंह रणजीतसिंह जाडेजा को पता चला कि ब्रिटिश सरकार ने भी दूसरे देशों की तरह इन महिलाओं-बच्चों को शरण देने से मना कर दिया है, तो सरकार पर दबाव बनाना शुरू किया, लेकिन जब उन्होंने पाया कि सरकार की ओर से कोई सहयोग नहीं दिख रहा, तो उन्होंने अपने राज्य के रोजी बंदरगाह पर छोटा पौलेंड बनाने की शुरूआत की।

    परिवार की तरह रखते थे ख्याल

    पहले तो महाराजा ने बच्चों को टेंट में ठहराया, लेकिन बाद में अपने ही महल से 25 किमी दूर एक महल बनवाना शुरू किया। बता दें, महाराजा ने उन्हें अपना परिवार बताया और उन्हें वहां करीब 9 सालों तक रोके रखा। मीडिया रिपोर्ट की मानें, तो महाराज से मदद पाने वाले विस्लॉ स्टाइपुला बताते हैं कि महाराजा सभी के खानपान का खास ख्याल रखते थे।

    जब एक बार महाराजा ने एक पार्टी का आयोजन किया, तो उन्हें लोगों की खाने की पसंद नहीं मालूम थी। ऐसे में, उन्होंने देखा कि पार्टी में कोई कुछ खा नहीं रहा है तो उनके तरीके का खाना खिलाने के लिए गोवा से 7 कुक बुलवा लिए। आपको जानकर हैरानी होगी कि पोलैंड में कई योजनाएं और सड़कें राजा दिग्विजय के नाम पर रखी गई हैं।

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