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    Civil Services Day: जब नेहरू ने सिविल सेवा को खत्म करने का दिया था विचार, सरदार पटेल नहीं थे खुश; ऐसे बची सिविल सेवा सर्विस

    Updated: Mon, 22 Apr 2024 05:36 PM (IST)

    देश के प्रशासन की रीढ़ सार्वजनिक सेवा में लगे सिविल सेवकों को सम्मान देने के लिए भारत सरकार हर साल 21 अप्रैल को राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस मनाती है। 21 अप्रैल 1947 का वो दिन जब सरदार वल्लभभाई पटेल भारतीय सिविल सेवा की पहली बैच के अधिकारियों से रूबरू हुए थे। दिल्ली के मेटकॉफ हाउस में हुए कार्यक्रम में उन्होंने सिविल सेवकों को भारत का स्टील फ्रेम कहा था।

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    जब नेहरू ने सिविल सेवा को खत्म करने का दिया था विचार (Image: Jagran)

    ऑनलाइन डेस्क, नई दिल्ली। देश के प्रशासन की रीढ़, सार्वजनिक सेवा में लगे सिविल सेवकों को सम्मान देने के लिए, भारत सरकार हर साल 21 अप्रैल को राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस मनाती है। इस दिन अच्छे काम करने वाले सभी सिविल सेवकों को अवॉर्ड से भी नवाजा जाता है। सवाल है कि आखिर 21 अप्रैल को ही सिविल सेवा दिवस क्यों मनाया जाता है? आखिर इस दिन को चुनने की वजह क्या है?

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    सरदार वल्लभभाई पटेल का वो संबोधन

    दरअसल, यह दिन स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा 1947 में परिवीक्षाधीन अधिकारियों को दिए गए संबोधन की याद दिलाता है। 21 अप्रैल 1947 का वो दिन जब सरदार वल्लभभाई पटेल भारतीय सिविल सेवा की पहली बैच के अधिकारियों से रूबरू हुए थे।

    दिल्ली के मेटकॉफ हाउस में हुए कार्यक्रम में उन्होंने सिविल सेवकों को 'भारत का स्टील फ्रेम' कहा था। पटेल ने सिविल सेवकों को देश की जनता को अपना मानकर चलने की सलाह दी थी। पटेल के अधिकारियों से हुए इस संवाद के सम्मान में 2006 से इस दिन को राष्ट्रीय सिविल सेवा के रूप में मनाया जाने लगा।

    जब नेहरू जी का विचार पटेल को नहीं आया पसंद

    जानकारी के लिए बता दें कि भारत के आजाद होने से पहले देश में इंडियन सिविल सर्विस यानी आईसीएस हुआ करती थी। आजादी के बाद कई पुराने सिविल सेवक के देश छोड़ जाने पर सवाल खड़े होने लगे। सबको इस बात की चिंता होने लगी कि आखिर भारतीय प्रशासन कैसे चलेगा। एमए मथाई की किताब रिमेनिसेंस ऑफ नेहरू एज में लिखा है कि पंडित नेहरू इंडियन सिविल सर्विस को पूरी तरह से खत्म करने का विचार कर रहे थे। हालांकि, पटेल इसके पूरे खिलाफ थे।

    इसलिए मनाया जाता है यह दिन

    आजादी के बाद इंडियन सिविल सेवा इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस की शुरुआत हुई। बता दें कि पटेल को सिविल सेवा का संरक्षक संत भी माना जाता है। राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस भारत के विकास और अपने नागरिकों को आवश्यक सेवाएं प्रदान करने में सिविल सेवकों के प्रयासों को स्वीकार करने और सराहना करने के लिए समर्पित एक अवसर है। यह दिन सार्वजनिक सेवा के महत्व की याद दिलाता है और सिविल सेवकों को लोगों की सेवा के प्रति समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ अपना काम जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करता है।

    • संघ लोक सेवा आयोग का गठन साल 1926 में हुआ।
    • पहले यह संघीय लोक सेवा आयोग कहा जाता था।
    • आजादी के बाद इसका नाम संघ लोक सेवा आयोग हुआ।
    • UPSC हर साल भारतीय सिविल सेवक चुनने के लिए परीक्षा आयोजित करती है।

    कब हुई थी पहली बार परीक्षा?

    पहली बार 1922 में भारत में सिविल सेवा परीक्षा हुई थी

    कौन थे देश के पहले सिविल सेवक?

    रविंद्रनाथ टैगोर के भाई सत्येंद्रनाथ टैगोर भारत के पहले सिविल सेवक बने थे।

    कौन थी देश की पहली महिला सिविल सेवक?

    अन्ना जॉर्ज मल्होत्रा भारत की पहली महिला सिविल सेवक थीं। वहीं, किरण बेदी देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी हैं।

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