दिल्ली: यमुनापार में हर दिन ढाई हजार टन मलबा, निस्तारण सिर्फ एक हजार टन का और बाकी रहता है सड़कों पर
यमुनापार, पूर्वी दिल्ली में निर्माण मलबे की समस्या बढ़ रही है। हर दिन लगभग ढाई हजार टन मलबा निकलता है, लेकिन निस्तारण क्षमता केवल एक हजार टन है। इस वजह से सड़कों पर मलबे का ढेर लग जाता है, जिससे यातायात और पर्यावरण की समस्या हो रही है। समस्या से निपटने के लिए निस्तारण क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता है।

फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। ऐसे वक्त में मलबे को लेकर नगर निगम की लापरवाही वातावरण पर और भारी पड़ रही है। निगम के जितने मलबा डलावघर हैं, वह सड़क किनारे खुले में बने हैं। हवा चलने पर वहां से धूल उड़ती है। कई जगह लोग अवैध रूप से मलबा डाल देते हैं, उन पर काबू पाने के लिए निगम कोई कदम नहीं उठा रहा है।
सड़क पर मलबा डलने से वाहन चालकों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लोगों की इस समस्या का मुद्दा कुछ माह पहले विधानसभा में उठा था, उसके बावजूद निगम की लापरवाही जारी है।
स्वामी दयानंद मार्ग पर सबसे बुरा हाल है। कड़कड़ी मोड़ के पास रोड के ऊपर चढ़ने वाले रैंप पर निगम ने एक मलबा डलावघर बना रखा है। लोगों की नजर में यह डलावघर की जगह नहीं है। रैंप दो लेन का है, उस पर खुले में मलबा डलने के कारण एक लेन हमेशा घिरी रहती है। जिससे वाहन चालकों को समस्या होती है, कई बार जाम भी लगता है।
हवा चलने पर मलबे से धूल उड़ती है। इस रैंप और स्वामी दयानंद मार्ग के मर्जिंग प्वाइंट के पास लोग अवैध रूप से खुले में मलबा डाल जाते हैं। यह पिछले दो साल से हो रहा है। इससे रास्ता बाधित होने के साथ ही पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है लेकिन नगर निगम के अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं।
इसी मार्ग पर हसनपुर डिपो के सामने जहां पहले मजार हुआ करती थी, अब वहां मलबा डलता है। यह मलबा आधी सड़क तक आ जाता है। यही स्थिति इस मार्ग पर पटपड़गंज औद्योगिक क्षेत्र के पास टेल्को फ्लाईओवर से पहले है। यहां मलबा हर समय पड़ा रहता है। लोग अवैध रूप से यहां पर मलबा डालते हैं।
कड़कड़ी मोड़ से पटपड़गंज औद्योगिक क्षेत्र तक यह मार्ग विश्वास नगर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। यहां के क्षेत्रीय विधायक ओपी शर्मा ने मलबे का मुद्दा कई माह पहले विधानसभा में उठाया था। उन्होंने तो नगर निगम के साथ पीडब्ल्यूडी पर गंभीर आरोप लगाए थे, क्योंकि यह मार्ग पीडब्ल्यूडी का है।
इसके बावजूद समस्या जस की तस है। इसके साथ ही मुल्ला कालोनी, मयूर विहार फेज-एक, गाजीपुर के पास आनंद विहार रोड, आइपी एक्सटेंशन, वसुंधरा एन्क्लेव में यह समस्या बहुत है।
निस्तारण की क्षमता कम
यमुनापार में रोजाना दो से ढाई हजार टन मलबा निकलता है। लेकिन नगर निगम के पास एक हजार टन मलबे के निस्तारण की व्यवस्था है। बाकी एक से डेढ़ हजार टन मलबा सड़कों पर ही पड़ा रहता है।
मलबा निस्तारण की क्षमता को बढ़ाने पर मंथन चल रहा है। ग्रेप लागू हुआ है, उसे देखते हुए ज्यादा से ज्यादा मलबा उठवाया जा रहा है।
-संदीप कपूर, चेयरमैन, डेम्स, नगर निगम
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