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    दिल्ली-एनसीआर में तेज हवा से टला इथियोपिया के ज्वालामुखी की राख का संकट, वायुमंडल के ऊपरी स्तर पर था गुबार

    Updated: Tue, 25 Nov 2025 10:01 PM (IST)

    दिल्ली और एनसीआर में इथियोपिया के ज्वालामुखी विस्फोट से उठी राख का गुबार का कोई खास असर नहीं हुआ। मौसम विभाग के अनुसार, राख का गुबार ऊपरी वायुमंडल में था, इसलिए धरती की सतह पर इसका असर नहीं हुआ। तेज धूप और हवा के कारण दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ। राख का रुख अब चीन की ओर है।

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    राज्य ब्यूरो,  नई दिल्ली। पहले से ही 'बहुत खराब' श्रेणी की वायु गुणवत्ता से घिरी दिल्ली एवं एनसीआर के शहरों को इथियोपिया में ज्वालामुखी विस्फोट से उठा राख का गुबार कोई असर नहीं डालेगा। इस राख के गुबार का रुख अब चीन की ओर है।

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    मौसम विभाग की मानें तो दिल्ली- एनसीआर के शहरों में बुधवार सुबह के वक्त हल्का कोहरा नजर आ सकता है। कहीं-कहीं पर इसकी तीव्रता मध्यम स्तर की देखी जा सकती है।

    मौसम विज्ञानियों के अनुसार राख का गुबार सोमवार रात करीब 11 बजे दिल्ली पहुंचा। इसके बाद यह गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा के ऊपर से गुजरा। हालांकि राहत की बात यह कि दिल्ली एनसीआर से जल्द ही यह संकट दूर होता नजर आया।

    दिल्ली के साथ एनसीआर के लोगों के लिए राहत वाली खबर यह रही कि मंगलवार को दिन भर चटक धूप खिली रही। हवा की रफ्तार भी तेज थी। मौसम साफ देखा गया।

    ऐसे में दिल्ली एनसीआर की वायु गुणवत्ता में वृद्धि के बजाए गिरावट ही देखी गई। हालांकि आने वाले दिनों में दिल्ली एनसीआर के शहरों में एक्यूआइ का मिलाजुला रुख देखने को मिल सकता है।

    मौसम विभाग के महानिदेशक डाॅ. मृत्यंजय महापात्रा की मानें तो राख का यह गुबार वायुमंडल के ऊपरी लेवल पर था। इस वजह से धरती की सतह पर इसका कोई खास असर देखने को नहीं मिला।

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    हालांकि पहले ऐसा कहा गया था कि राख के गुबार के असर से आसमान धुंधला और बादलों वाला नजर आ सकता है। लेकिन अब चूंकि यह पूरब की ओर बढ़ रहा है इसलिए चिंता की बात नहीं है।

    महापात्रा ने कहा कि राख के गुबार का असर केवल ऊपरी ट्रोपोस्फीयर में ही देखा जा रहा है। यही कारण है कि यह उड़ानों पर असर डाल रहा है। इसका एक्यूआई और मौसम पर कोई असर नहीं है।

    अनुमान है कि यह पूरी तरह से चीन की ओर बढ़ गया है। वहीं गुजरात के मौसम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि ऊपरी वायुमंडल पर तेज हवाएं राख को लंबी दूरी तक ले गईं।

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