फिल्म यूपी-77 विकास दुबे पर आधारित नहीं... हर एपिसोड से पहले दिखाया जाएगा डिस्क्लेमर
फिल्म यूपी-77 के प्रसारण के खिलाफ दायर याचिका पर फिल्म निर्माता ने दिल्ली हाई कोर्ट में कहा कि वेब सीरीज काल्पनिक है और किसी व्यक्ति की जिंदगी पर आधार ...और पढ़ें

अदालत ने प्रसारण पर रोक नहीं लगाई और मामले की सुनवाई सात जनवरी 2026 के लिए सूचीबद्ध कर दी।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। गैंग्स्टर विकास दुबे की जिंदगी पर आधारित होने के दावा करते हुए फिल्म यूपी-77 के प्रसारण के खिलाफ दायर याचिका पर फिल्म निर्माता ने दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष कहा कि वेब सीरीज पूरी तरह से काल्पनिक है और किसी भी व्यक्ति की जिंदगी पर आधारित नहीं है। यह भी बताया गया कि इस तथ्य को साफ करने के लिए हर एपिसोड से पहले एक डिस्क्लेमर दिखाया जाएगा।
उक्त तथ्यों को रिकार्ड पर लेते हुए न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने कहा कि फिल्म निर्माता ने स्पष्ट किया है कि फिल्म विकास दुबे की जिंदगी पर आधारित नहीं है और इस संबंध में डिस्क्लेमर लगाया जाएगा। ऐसे में अदालत 25 दिसंबर को प्रसारित होने वाली वेब सीरीज के प्रसारण पर रोक नहीं लगाएगी।
इसके साथ ही अदालत ने मामले की सुनवाई सात जनवरी 2026 के लिए सूचीबद्ध कर दी। पीठ ने इसके साथ ही फिल्म निर्माता को डिस्क्लेमर के संबंध में दी गई अंडरटेकिंग के अनुसार एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। विकास दुबे को जुलाई 2020 में उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक एनकाउंटर में मार गिराया था। वेब सीरीज के खिलाफ विकास दुबे की पत्नी ऋचा दुबे ने याचिका दायर की थी।
याचिका में दावा किया गया कि वेब सीरीज एक अनधिकृत बायोलॉजिकल चित्रण है और इसमें नाटकीय, सनसनीखेज सामग्री है और इसके प्रसारण से याचिकाकर्ता को अपूरणीय क्षति होगी। उन्होंने अपनी निजता के अधिकार, गरिमा, प्रतिष्ठा और व्यक्तित्व अधिकारों की सुरक्षा की मांग की।
उल्लेखनीय है कि विकास दुबे को 2020 में उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक एनकाउंटर में मार गिराया था। विकास दुबे पर कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या का आरोप था। वारदात के बाद वह उज्जैन भाग गया था। उज्जैन में आत्मसमर्पण करने के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस उसे उज्जैन से कानपुर ला रही थी, लेकिन रास्ते में गाड़ी पलट गई थी। इस दौरान भागने की कोशिश करने पर पुलिस ने एंकाउंटर में उसे मार गिराया था।

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