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भारत में बनेगी विश्व की सबसे ऊंची रेल लाइन, दिल्ली से लेह का सफर सिर्फ 20 घंटे में

रेल सेवा शुरू होने से पूरे वर्ष आवागमन संभव हो सकेगा। चीन की सीमा के नजदीक होने के कारण यह रेल परियोजना सामरिक रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण है।

By Edited By: Published: Wed, 17 Oct 2018 10:33 PM (IST)Updated: Thu, 18 Oct 2018 08:50 AM (IST)
भारत में बनेगी विश्व की सबसे ऊंची रेल लाइन, दिल्ली से लेह का सफर सिर्फ 20 घंटे में
भारत में बनेगी विश्व की सबसे ऊंची रेल लाइन, दिल्ली से लेह का सफर सिर्फ 20 घंटे में

नई दिल्ली, जेएनएन)। आने वाले वर्षों में दिल्ली से लेह (जम्मू-कश्मीर) का सफर ट्रेन से संभव हो सकेगा। इसके लिए उत्तर रेलवे ने काम भी शुरू कर दिया है। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर से लेह तक रेल लाइन बिछाने का सर्वे किया जा रहा है। तीन चरणों में होने वाले सर्वे का पहला चरण पूरा हो चुका है। सर्वे के बाद रेल लाइन बिछाने का काम शुरू होगा।

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करीब 465 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन पर 75 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चल सकेगी। इसके बाद दिल्ली से महज 20 घंटे में लेह का सफर संभव हो सकेगा। अभी सड़क मार्ग से जाने में कम से कम 40 घंटे लग जाते हैं। इस परियोजना की अनुमानित लागत 83 हजार 360 करोड़ रुपये है। इस रेल लाइन पर यात्री 244 किलोमीटर का सफर सुरंग के अंदर करेंगे। इस पर 74 सुरंग बनेंगी, जिसमें सबसे लंबी 27 किलोमीटर की होगी।

सामरिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण
उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक विश्वेश चौबे का कहना है कि यह परियोजना देश की सामरिक जरूरतों, सामाजिक-आर्थिक विकास और पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इससे लेह-लद्दाख के विकास में तेजी आएगी और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। अभी लेह से सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन हिमाचल प्रदेश का भानुपल्ली है और वहां से लेह की दूरी 730 किलोमीटर है। बिलासपुर से लेह-मनाली हाईवे से होकर इसकी दूरी 645 किलोमीटर है, जोकि साल में भारी बर्फबारी की वजह से छह से सात माह तक बंद रहता है। रेल सेवा शुरू होने से पूरे वर्ष आवागमन संभव हो सकेगा। चीन की सीमा के नजदीक होने के कारण यह रेल परियोजना सामरिक रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण है। इसलिए इसके निर्माण में भारतीय सेना की जरूरतों का भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है।

चुनौतीपूर्ण होगा रेल निर्माण का कार्य
बिलासपुर-मनाली-लेह रेल लाइन विश्व की सबसे ऊंची रेल लाइन होगी, जोकि जोखिम भरे दुर्गम और ऊबड़-खाबड़, विभिन्न ऊंचाई वाले क्षेत्रों से होकर गुजरेगी। भौगोलिक स्थिति की वजह से भारतीय रेल के लिए यह सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य होगा। इस क्षेत्र में ऑक्सीजन की कमी, कच्चे पहाड़, हिमस्खलन, भूस्खलन और शून्य से काफी नीचे तापमान जैसी कठिन चुनौतियां हैं। इससे पार पाने के लिए आधुनिक इंजीनिय¨रग तकनीक का प्रयोग करना होगा। चिंगहई-तिब्बत रेलवे लाइन समुद्रतल से 5072 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। वहीं, बिलासपुर-मनाली-लेह रेल लाइन 5370 मीटर की ऊंचाई पर होगा।

सुरंग में बनेगा रेलवे स्टेशन
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि बिलासपुर-लेह रेल परियोजना के तहत 30 रेलवे स्टेशन बनाएं जाएंगे। देश में पहली बार सुरंग के अंदर रेलवे स्टेशन बनाया जाएगा, जोकि लाहौल स्पीति के केलाग में निर्मित किया जाएगा। इस रेल मार्ग पर 124 बड़े पुल और 396 छोटे पुल बनाए जाएंगे। इस रेल लाइन से हिमाचल प्रदेश के मंडी, मनाली, केलाग, कोकसर, दारचा और जम्मू-कश्मीर के उपसी और कारू सहित कई स्थान जुड़ेंगे।

ट्रेन में लगाए जाएंगे विशेष तरह के कोच
अधिक ऊंचाई की वजह से लेह-लद्दाख में ऑक्सीजन की कमी रहती है। इसे ध्यान में रखकर यहां चलने वाली ट्रेन में विशेष तरह के कोच लगाए जाएंगे। स्टेशन के बनावट में भी इसका ध्यान रखा जाएगा कि यात्रियों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो।


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