हाई कोर्ट का तिहाड़ जेल के अधिकारियों पर कार्रवाई का आदेश, दिल्ली सरकार और CBI से मांगी स्टेटस रिपोर्ट
दिल्ली उच्च न्यायालय ने तिहाड़ जेल में जबरन वसूली के मामले में दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग को जांच पूरी कर जेल अधिकारियों पर कार्रवाई करने का आदेश दिया है। अदालत ने दो सप्ताह में जांच अधिकारी नियुक्त करने और अगली सुनवाई तक स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। यह आदेश जेल में अवैधता और कदाचार की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया गया, जिसमें जेल अधिकारियों पर जबरन वसूली रैकेट चलाने का आरोप है।

अदालत ने दिल्ली सरकार व सीबीआइ को मामले में रिपोर्ट दाखिल करने का दिया निर्देश।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। तिहाड़ जेल में जबरन वसूली रैकेट चलाने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग को अनुशासनात्मक जांच शीघ्र पूरी कर संबंधित जेल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया।
याचिकाकर्ता मोहित कुमार गोयल की याचिका पर गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने सतर्कता विभाग को दो सप्ताह के भीतर एक जांच अधिकारी नियुक्त करने का आदेश दिया।
पीठ ने उक्त आदेश दिल्ली सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) के एक बयान को रिकार्ड पर लेते हुए दिया। उन्होंने पीठ को सूचित किया कि सतर्कता विभाग के साथ इस मामले को आगे बढ़ाया जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जांच करने के लिए एक अधिकारी की नियुक्ति कर जांच जल्द से जल्द पूरी की जाए।
पीठ ने मामले की सुनवाई सात जनवरी तक के लिए स्थगित करते हुए कहा कि उक्त तिथि तक दिल्ली सरकार को एक स्थिति रिपोर्ट पेश करनी होगी। साथ ही यह भी कहा कि सीबीआई कार्रवाई में प्रगति के संबंध में एक स्थिति रिपोर्ट भी दाखिल करेगी।
अदालत तिहाड़ जेल में अवैधताओं, कदाचार और दुर्व्यवहार से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि जेल के अंदर कैदियों की मदद से और जेल अधिकारियों की मिलीभगत से जबरन वसूली का रैकेट चलाया जा रहा है।
आरोपों की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने पहले एक न्यायिक अधिकारी को जेल का दौरा करने और जांच करने के लिए कहा था। न्यायाधीश ने अपनी रिपोर्ट एक सीलबंद लिफाफे में दाखिल की। अदालत ने रिपोर्ट की जांच के बाद, सीबीआई जांच का आदेश दिया।
इसके अलावा, अदालत ने दिल्ली सरकार को जेल अधिकारियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच करने का भी निर्देश दिया। पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने दिल्ली सरकार को उसके उदासीन रवैये के लिए फटकार लगाई थी। साथ ही अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) को तलब किया था।

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