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    किरायेदार सत्यापन में लापरवाही: नवंबर में 540 मकान मालिकों पर केस दर्ज, दिल्ली पुलिस ने बढ़ाई सख्ती

    Updated: Wed, 03 Dec 2025 08:07 PM (IST)

    दिल्ली पुलिस ने किरायेदार सत्यापन को लेकर सख्ती दिखाई है। नवंबर में 540 मकान मालिकों पर लापरवाही के चलते केस दर्ज किए गए। पुलिस के अनुसार, सत्यापन न क ...और पढ़ें

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    राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली। पिछले माह लाल किला के बाहर हुए धमाके के बाद राजधानी में दिल्ली पुलिस ने सख्ती बढ़ा दी है। केवल उत्तरी जिला पुलिस के आंकड़ों को देखा जाए तो किराएदारों व घरेलू सहायकों का पुलिस सत्यापन न कराने पर जिला पुलिस ने एक माह (नवंबर) में 540 मकान मालिकों के खिलाफ सरकारी आदेश का उल्लंघन करने की धारा (223) में केस दर्ज किया है।

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    सत्यापन प्रक्रिया का पालन नहीं करते

    राजधानी के उत्तरी जिले में 10 माह में 23093 किरायेदारों व घरेलू सहायकाें का पुलिस सत्यापन किया गया। यानी अक्टूबर तक हर माह जिला पुलिस द्वारा करीब 2000 लोगों का सत्यापन किया गया, वहीं धमाके के बाद पुलिस ने सक्रियता बढ़ाकर नवंबर माह में करीब 3321 लोगों का सत्यापन कर दिया। बढ़ते खतरों के बावजूद, हजारों मकान मालिक अनिवार्य किरायेदार सत्यापन प्रक्रिया का पालन नहीं करते हैं।

    दिल्ली पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर तक मकान मालिकों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 (सरकारी कर्मचारी के वैध आदेश की अवहेलना) के तहत 4,650 मामले दर्ज किए गए। दस माह में पूरी दिल्ली में पुलिस ने करीब 2.25 लाख किरायेदारों व घरेलू सहायकों की सत्यापन जांच की।

    छह माह तक जेल या जुर्माने का प्रविधान

    पुलिस अधिकारी का कहना है कि मुकदमों की बढ़ी संख्या पुलिस के अलावा मकान मालिकों की लापरवाही को दर्शाती है। कई मकान मालिक या तो कानून से अंजान थे या जानबूझकर किरायेदारों की पृष्ठभूमि की जानकारी पुलिस से सत्यापित नहीं करवाई। नियमों का पालन न करने पर छह माह तक जेल या जुर्माने का प्रविधान है।

    जिम्मेदारियों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए

    विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध शाखा) देवेश चंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि किरायेदारों का सत्यापन अनिवार्य कानूनी प्रक्रिया है जो सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम है। पुलिस लोगों पर नजर रखने और किसी भी आपराधिक गतिविधि पर तुरंत कार्रवाई करने के लिए इस प्रक्रिया पर निर्भर करती है। इसलिए मकान मालिकों को कानूनी और नागरिक जिम्मेदारियों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

    ऑनलाइन और ऑफलाइन दो तरह के प्रविधान

    किरायेदार सत्यापन से यह पता लगाने में मदद मिलती है कि उस इलाके में कौन रह रहा है। अपराधियों को किराए के मकानों को सुरक्षित पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल करने से रोकता है। पुलिस को लोगों का तुरंत पता लगाने, जांच या आपात स्थिति के दौरान कुशलतापूर्वक प्रतिक्रिया करने में सक्षम बनाता है। किरायेदारों का सत्यापन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से किया जा सकता है।

    सत्यापन ठीक तरीके से नहीं हो पा रहा

    ऑनलाइन फाइलिंग सिस्टम दिल्ली पुलिस की वेबसाइट पर उपलब्ध है जिससे मकान मालिक फार्म को डाउनलोड कर उसे संबंधित थाने में सहायक दस्तावेज के साथ जमा कर सकते हैं। एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि बीट अफसरों की लापरवाही व लोगों में जागरूकता के अभाव से सत्यापन का काम ठीक तरीके से नहीं हो पा रहा है।

    तय की जानी चाहिए जिम्मेदारी

    बीट अफसरों को इसकी जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए और वरिष्ठ अधिकारियों की बीट अफसरों पर नियमित मानिटरिंग रहनी चाहिए तभी सत्यापन का काम सौ प्रतिशत सफल हो सकता है। आरडब्ल्यूए व मार्केट एसोसिएशन के साथ निरंतर बैठक कर सत्यापन के काम में आने वाले बाधाओं को दूर किया जा सकता है।

    मकान मालिक भी हों गंभीर

    पुलिस अधिकारी का कहना है कि पुलिस सत्यापन बहुत ही जरूरी कानूनी प्रक्रिया है, लेकिन न तो मकान मालिक इसे गंभीरता से ले रहे हैं और न ही बीट अफसर। किरायेदार, घरेलू सहायक व कर्मचारियों को रखने पर लोगों को तुरंत सत्यापन फाॅर्म भरकर उसके साथ आधार कार्ड, वोटरकार्ड व मोबाइल नंबर आदि डिटेल भरकर संबंधित थाने में जमा कराने का प्रविधान है।

    उसके बाद दिल्ली के थाने से उनके स्थायी पते से संबंधित थाने से पता लगाया जाता है कि उनका कोई आपराधिक रिकाॅर्ड तो नहीं है। यदि है तो किस तरह के और कितने केस दर्ज हैं ताकि उनके बारे में दिल्ली पुलिस को पूरी जानकारी रहे।

    सत्यापन कार्य में सजग भूमिका जरूरी

    पहले दिल्ली से डाक से बाहरी राज्यों के संबंधित थाने को सत्यापन डिटेल भेजकर जानकारी प्राप्त की जाती थी अब सीसीटीएनएस पर डिटेल डालकर जानकारी प्राप्त की जाती है। अगर किसी की आपराधिक पृष्ठभूमि के बारे में पता चलता है कि उसके बारे में सारी जानकारी क्राइम मेक एप पर डाल दिया जाता है ताकि जरूरत पड़ने पर किसी भी राज्य की पुलिस उस व्यक्ति के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सके। आरडब्ल्यूए व मार्केट एसोसिएशन के पदाधिकारियों को भी सत्यापन के मसले पर सक्रिय भूमिका निभाने की जरूरत है।

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