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    शिक्षकों की प्रताड़ता से टूटे छात्र की आत्महत्या के मामले की जांच CBI से कराने की मांग, HC ने दिल्ली पुलिस से मांगा जवाब

    Updated: Thu, 04 Dec 2025 09:37 PM (IST)

    दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक छात्र की आत्महत्या के मामले में सीबीआई जांच की मांग पर दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है। याचिका में आरोप है कि शिक्षकों की प्र ...और पढ़ें

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    प्रतीकात्मक तस्वीर।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। सेंट कोलंबस स्कूल के शिक्षकों पर मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए आत्महत्या करने वाले कक्षा-10 के छात्र के मामले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) से कराने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है।

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    दिल्ली पुलिस ने याचिका का किया विरोध 

    न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने छात्र के पिता की तरफ से दायर याचिका पर सीबीआई को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। साथ ही, दिल्ली पुलिस को अब तक की गई जांच के बारे में चार सप्ताह के अंदर स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। मामले पिर अगली सुनवाई 12 मार्च को होगी। वहीं, दूसरी तरफ दिल्ली पुलिस ने याचिका का विरोध करते हुए दावा किया कि सीबीआई पर बहुत ज्यादा बोझ है।

    सुसाइड नोट में चार शिक्षकों का नाम लिया

    16 वर्ष छात्र ने 18 नवंबर को राजेंद्र प्लेस मेट्रो स्टेशन पर एक ट्रेन के आगे छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली थी। उसके पास से मिले सुसाइड नोट में चार शिक्षकों का नाम लिया गया था। छात्र ने उन पर लगातार मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था।

    दिल्ली पुलिस ने सुसाइड के लिए उकसाने से जुड़ी धाराओं के तहत प्राथमिकी की थी। छात्र के पिता ने याचिका दायर कर कहा कि मामले की जांच दिल्ली पुलिस से सीबीआई को मामला स्थानांतरित करना मामले की एक स्वतंत्र, पारदर्शी व भरोसेमंद जांच सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है।

    एसआईटी का गठन किया जाए

    याचिका में कहा गया है कि मृतक के पिता ने स्थानीय पुलिस पर निष्पक्ष व बिना भेदभाव के जांच करने पर सवाल उठाया। याचिका में कहा गया कि शिक्षकों द्वारा परेशान करने, मानसिक प्रताड़ित और संभावित गलत व्यवहार के गंभीर आरोपों को देखते हुए मामले की जांच सीबीआई को स्थानांतरित किया जाए या फिर एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया जाए।

    याचिका में कहा गया कि मरने वाले उनके बेटे की आखिरी इच्छा को देखते हुए जांच स्थानांतरित करना जरूरी है, क्योंकि सुसाइड नोट में साफ तौर पर शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा गया था।

    निष्पक्ष एजेंसी को स्थानांतरित करना आवश्यक

    याचिका में यह भी कहा गया कि सुसाइड नोट सिर्फ उसके दर्द का बयान नहीं है, बल्कि एक गंभीर अपील है कि उसकी आवाज सुनी जाए और किसी दूसरे छात्र को ऐसी प्रताड़ना और परेशानी का सामना न करना पड़े। उसके आखिरी शब्दों का सम्मान करते हुए और बगैर किसी दबाव के जांच करने के लिए मामला निष्पक्ष एजेंसी को स्थानांतरित करना आवश्यक है।

    पुलिस पर याचिकाकर्ता पिता ने लगाए पक्षपात के आरोप

    याचिका में पुलिस पर पक्षपाती होने का आरोप लगाते हुए कहा गया कि प्राथमिकी करने के बावजूद सुसाइड नोट में नामजद आरोपितों को पुलिस बचा रही थी। यह भी कहा कि उनके बेटे को उसके साथी छात्रों के सामने सरेआम इतना परेशान किया गया कि उसके पास अपनी जान लेने के अलावा कोई चारा नहीं बचा।

    यह कहा कि जांच एजेंसी ने उस अपराध की ठीक से जांच नहीं की है और उसने पिछले 20 दिनों में कोई कार्रवाई नहीं की है। यह भी दावा किया कि पुलिस अधिकारियों ने 19 नवंबर को प्राथमिकी करने में चार घंटे से ज्यादा समय लिया और बच्चे के पिता को स्कूल का नाम न लेने का निर्देश दिया। सुसाइड नोट में बताए गए चार शिक्षकों को घटना के बाद निलंबित कर दिया गया था।

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