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    नौ महीने बाद पिता की हत्या का कलंक धुला, रोहिणी कोर्ट ने कहा- सिर्फ मोटिव के आधार पर आरोप तय नहीं हो सकते

    Updated: Thu, 20 Nov 2025 10:50 PM (IST)

    रोहिणी न्यायालय ने पिता की हत्या के षड्यंत्र के आरोप में नौ महीने से जेल में बंद बेटे को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। न्यायालय ने कहा कि केवल मकसद और स्टेटमेंट के आधार पर आरोप नहीं लगाया जा सकता। सह-आरोपियों के खिलाफ हत्या के आरोप तय किए गए हैं। लव भारद्वाज ने न्यायालय को धन्यवाद दिया और कहा कि कोर्ट ने कलंक धोया।

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    जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली। पिता की हत्या के आरोप में लगभग नौ माह से जेल में बंद बेटे को रोहिणी न्यायालय ने सुबूतों के अभाव में आरोप मुक्त कर दिया है। पुलिस ने आरोपपत्र में बेटे को मुख्य षड्यंत्रकारी बताया था, न्यायालय ने उसे बरी कर दिया है।

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    न्यायालय ने कहा कि कोर्ट को आरोपी की मंशा के अलावा अपराध से जोड़ने वाले कुछ ठोस सबूत की आवश्यकता होती है। बिना सुबूत केवल मकसद और स्टेटमेंट के आधार पर चार्ज नहीं लगाया जा सकता। न्यायालय ने इस मामले के दो अन्य सह आरोपी पिता व पुत्र के खिलाफ हत्या के आरोप तय किए हैं।

    पिता की हत्या के पड्यंत्र में शामिल होने के आरोप से बरी होने के बाद लव भारद्वाज ने कहा कि पुुलिस की वजह से कलंक लगा, लेकिन कोर्ट ने आरोपमुक्त करके इसे धोया है।

    रोहिणी जिला न्यायालय की प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश निशा सहाय सक्सेना ने हत्या के इस मामले में आरोपपत्र पर बहस के बाद मृतक के बेटे लव भारद्वाज को आरोप मुक्त कर दिया। अपने फैसले में न्यायालय ने कहा कि कथित मकसद के आधार पर सिर्फ शक के अलावा आरोपी लव भारद्वाज के खिलाफ पहली नजर में कोई सबूत नहीं है।

    सह-आरोपी अभिषेक उर्फ विशाल का लव भारद्वाज के खिलाफ दिया गया डिस्क्लोजर स्टेटमेंट कोई स्वीकार्य सुबूत नहीं है, इसलिए आरोपी लव भारद्वाज को दूसरे सह-आरोपियों के साथ नहीं जोड़ा जा सकता।

    आरोपी या सह-आरोपी द्वारा गिरफ्तारी के बाद दिया गया डिस्क्लोजर स्टेटमेंट, आरोपी लव भारद्वाज और सह-आरोपित के बीच किसी भी आपराधिक षड्यंत्र को साबित करने के लिए पक्का सबूत नहीं कहा जा सकता।

    इसलिए, आरोपी लव भारद्वाज को बरी किया जाना चाहिए। पुलिस ने लव भारद्वाज के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने, हत्या, हत्या के इरादे से अपहरण, सुबूत नष्ट करने की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

    आरोपी लव भारद्वाज के अधिवक्ता प्रदीप खत्री ने बताया कि न्यायालय ने हमारी इस दलील को स्वीकार कर लिया कि किसी भी व्यक्ति को केवल मकसद या स्वतंत्र पुष्टि के बिना केवल बयान के आधार पर मुकदमे का सामना करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने उसे सभी आरोपों से मुक्त कर दिया है। सह-आरोपी के खिलाफ हत्या के आरोप तय किए गए हैं।

    ये था मामला

    लव भारद्वाज के 67 वर्षीय पिता रमेश भारद्वाज गत 28 जनवरी को अपनी फैक्ट्री के कर्मचारी जितेंद्र से मिलने के लिए नरेला में उसके घर गए थे। उसके बाद घर नहीं लौटे। 13 दिन बाद रमेश भारद्वाज की स्कूटी जहांगीरपुरी मेट्रो स्टेशन के पास मिली।

    जितेंद्र के बेटे अभिषेक उर्फ विशाल की निशानदेही पर नरेला में रमेश भारद्वाज का शव बरामद किया गया। पुलिस को दिए अपने बयान में अभिषेक ने बताया कि रमेश भारद्वाज की हत्या का षड्यंत्र उसने अपने पिता (जितेंद्र) और लव भारद्वाज के साथ मिलकर रचा था। पुलिस ने तीनों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की और अभिषेक उर्फ विशाल व लव भारद्वाज को गिरफ्तार कर लिया। जबकि, जितेंद्र फरार है।

    लव भारद्वाज ने आरोप से मुक्त होने पर कहा कि वे इस बुरे समय को अब भूल जाना चाहते हैं। पुलिस ने पिता की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया तो पूरा परिवार स्तब्ध था। चिंता में डूबे स्वजन जेल में आकर मुझसे मिले और मैंने सारी बात बताई तो चीजें ठीक होनी शुरू हुई।

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