पहली बार स्कूल निर्माण में लापरवाही पर कंपनी ब्लैकलिस्ट, PWD का सख्त कदम; IIT गुवाहाटी ने घटिया निर्माण की पुष्टि की
दिल्ली में पहली बार स्कूल निर्माण में लापरवाही बरतने पर एक कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। लोक निर्माण विभाग (PWD) ने यह सख्त कदम उठाया है। आईआईटी ...और पढ़ें

वीके शुक्ला, नई दिल्ली। सरकारी स्कूलों के कमरों के निर्माण मामले में पहली बार किसी कंपनी पर कार्रवाई हुई है। स्कूल में निर्माण करने वाली प्रोफाइल कंसट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड पर निर्माण विभाग ने प्रतिबंध लगा दिया है। यह कंपनी दो साल तक लोक निर्माण विभाग के किसी कार्य में टेंडर नहीं डाल सकेगी। इस कंपनी पर शाहबाद डेरी में दिल्ली सरकार के स्कूल में 148 कमरे बनाने में घटिया काम करने का आरोप है। विभाग के अनुसार, इस कंपनी को मरम्मत कार्य के लिए भी कहा गया तो कंपनी उस पर भी नहीं हुई राजी। आईआईटी गुवाहाटी ने निर्माण कार्य के बारे में घटिया काम होने की पुष्टि कर दी है।
पीडब्ल्यूडी के अनुसार प्रोफाइल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने शाहबाद डेयरी में लड़कियाें के सरकारी स्कूल में 148 क्लासरूम का निर्माण का काम किया था। यह काम 28 अगस्त 2018 को पूरा होना था। मगर 17 मार्च 2020 को पूरा हुआ। मगर काम पूरा होने के दो साल के भीतर इमारत की संरचना में खराबी के बारे में शिकायतें मिलने लगीं थीं। इस पर विभाग की गुणवत्ता आश्वासन टीम ने छह मई 2022 और 12 मई 2022 को इमारत का निरीक्षण किया और बड़ी खामियां पाईं।
इमारत की बीम और कालम में दरारें पड़ गईं और कंक्रीट को ग्लास फाइबर से मजबूत बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली जीअारसी (ग्लास रीइन्फोर्स्ड कंक्रीट टाइल) टाइलें गिरने की शिकायत मिली। निरीक्षण करने पर यह देखा गया कि आरसीसी से कवर कंक्रीट जंग लगने के कारण झड़ रहा था। इमारत का स्ट्रक्चरल आडिट आईआईटी गुवाहाटी के माध्यम से कराया गया।
दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से टेस्ट करवाए गए और दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी द्वारा दी गई टेस्ट रिपोर्ट से पता चला कि आरसीसी में क्लोराइड की मात्रा तय सीमा से बहुत अधिक है। आरोप है कि विभाग ने खामियों को ठीक करने के लिए कंपनी काे कई पत्र और रिमाइंडर लिखे गए, लेकिन कंपनी ने सुधार का काम नहीं किया। यहां तक कि एजेंसी ने वाटरप्रूफिंग और स्टोन क्लैडिंग का सुधार कार्य भी नहीं किया।
इसी बीच पीडब्ल्यूडी ने नेशनल टेस्ट हाउस (एनटीएच) गाजियाबाद से भी स्कूल अधिकारियों की मौजूदगी में टेस्ट करवाए, जिसमें फिर से आरसीसी फ्रेमवर्क में ज़्यादा क्लोराइड की मौजूदगी की पुष्टि हुई। इस दौरान कंपनी काे भी माैजूद रहने के लिए कहा गया, मगर कंपनी मौजूद नहीं रही। आईआईटी गुवाहाटी ने गत 17 अप्रैल को पीडब्ल्यूडी को फाइनल रिपोर्ट सौंपी। पीडब्ल्यूडी के अनुसार उन्हें रिपोर्ट में बताया गया कि थर्ड-पार्टी एजेंसी से मिली क्लोराइड टेस्ट रिपोर्ट में तय सीमा से काफी ज़्यादा क्लोराइड है और पाया कि साइट पर दिख रहा रीइन्फोर्समेंट का जंग लगना भी टेस्ट रिपोर्ट की पुष्टि करता है।
क्लोराइड का क्या है मानक?
आरसीसी ( रीइन्फोर्स्ड सीमेंट कंक्रीट) के लिए उपयोग किए जाने वाले पानी में क्लोराइड की अधिकतम सीमा 500 मिलीग्राम प्रति लीटर होना निर्धारित है। इस सीमा का पालन करना महत्वपूर्ण है ताकि कंक्रीट के अंदर लगे स्टील (सरिया) में जंग लगने से बचा जा सके, क्योंकि क्लोराइड जंग लगने की प्रक्रिया को तेज करता है, जिससे संरचनात्मक क्षति हो सकती है।

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