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    पीयूसी जांच की 25 साल पुरानी व्यवस्था पर सवाल, यूरोप में हो रही रियल-टाइम जांच, दिल्ली अब भी लैब टेस्ट पर निर्भर

    Updated: Sun, 21 Dec 2025 10:15 PM (IST)

    दिल्ली में पीयूसी जांच की 25 साल पुरानी व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं, जबकि यूरोप में रियल-टाइम जांच हो रही है। दिल्ली अभी भी लैब टेस्ट पर निर्भर है। इस ...और पढ़ें

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    नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। वायु प्रदूषण की खतरनाक स्थिति के मद्देनजर 'पीयूसी नहीं तो ईंधन नहीं' अभियान दिल्ली में जोर-शोर से चल रहा है, जिसमें ईंधन के लिए वाहनों का वैध पीयूसीसी होना अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसे में पीयूसी सेंटरों पर वाहनों की लंबी कतारें देखी जा रही है लेकिन विशेषज्ञ 25 वर्ष पुरानी वाहनों की प्रदूषण जांच व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं। उनके अनुसार, जब दिल्ली विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शामिल हो गई है तो यहां वाहनों की प्रदूषण जांच व्यवस्था भी वैश्विक स्तर की होनी चाहिए, लेकिन यहां तरीका, मशीनें और तकनीक 25 वर्ष पुरानी ही है। इसमें जांच में गड़बड़ियां और कमी की शिकायतें हैं।

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    अन्प्य देशों में बदल चुके हैं प्रदूषण मापने के तरीके

    सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद वर्ष 2000 में वाहनों के लिए पीयूसी जांच अनिवार्य हुई थी, लेकिन वर्तमान में मशीने और तरीका वहीं अभी भी 25 वर्ष पूर्व का बरकरार है। मौजूदा समय में दिल्ली में 900 से अधिक पीयूसी सेंटरों में अभियान के बाद से प्रतिदिन 30 हजार से अधिक वाहनों की प्रदूषण जांच हो रही है जबकि इतने वर्षों में यूरोपियन संघ के साथ अन्य देशों में प्रदूषण के तरीके बदल गए हैं।

    अन्य देशों में एआई से हो रही मापी

    यूरोप में एआई के जमाने में रियल टाइम जांच पर जोर दे रहे हैं, जबकि दिल्ली में गैस एनालाइजर मशीनों से जांच होती है जो सड़क पर चलने की जगह लैब जैसे हालात में टेस्ट करती हैं। इसके चलते यह सड़क पर उत्सर्जन नहीं पकड़ पाता है। एक विशेषज्ञ के अनुसार, कई देश में पीयूसी रियल-ड्राइविंग एमिशन (आरडीई) पर आधारित है, जो वाहनों को सड़क पर ही टेस्ट करती है। यूरोपीय संघ (ईयू) में पोर्टेबल एमिशन मेजरमेंट सिस्टम (पीईएमएस) का उपयोग होता है। जो वाहनों में लगा होता है या बाहर स्थापित होता है। यह जीपीएस, गैस एनालाइजर, फ्लोमीटर और मौसम स्टेशन से सीओ2, एनओएक्स और पीएम को रीयल-टाइम मापता है।

    पंप संचालक सहयोग को तैयार

    अमेरिका में रिमोट सेंसिंग डिवाइसेस (आएसडी) प्रमुख हैं, जिसमें इंफ्रारेड व लेजर बीम से सड़क पर गुजरते हजारों वाहनों का उत्सर्जन स्कैन किया जाता है। इसी तरह, व्हीकल स्पेसिफिक पावर (वीएसपी) भी जांच का आधुनिक तरीका है। दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन (डीपीडीए) के अध्यक्ष निश्चल सिंघानिया भी जोर देकर कहते हैं कि वाहनों के प्रदूषण जांच की मौजूदा व्यवस्था काफी पुरानी है, अब प्रदूषण के प्रकार में बदलाव तथा स्थिति को देखते हुए जांच प्रक्रिया में भी बदलाव की आवश्यकता है। उसमें पंप संचालक सहयोग को तैयार हैं।

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