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    Delhi: सौरभ कृपाल बनेंगे दिल्ली हाईकोर्ट के समलैंगिक जज? SC कॉलेजियम ने नियुक्ति की सिफारिश फिर से दोहराई

    By Jagran NewsEdited By: Shyamji Tiwari
    Updated: Thu, 19 Jan 2023 07:59 PM (IST)

    Delhi सुप्रीम कोर्ट कॉलेजिय ने एक बार फिर से समलैंगिक सौरभ भरद्वाज को दिल्ली हाईकोर्ट का जज बनाने की सिफारिश की है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सिफारिश ...और पढ़ें

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    समलैंगिक वकील सौरभ कृपाल को दिल्ली हाईकोर्ट का जज बनाने के लिए कॉलेजियम ने एक बार फिर से सिफारिश की।

    नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने सीनियर वकील सौरभ कृपाल को दिल्ली हाईकोर्ट का जज नियुक्त करने को लेकर केंद्र सरकार को फिर से अपनी सिफारिश भेजा है। कॉलेजियम की इस सिफारिश से एक बार फिर केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के बीच तकरार पैदा हो सकती है।

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    11 नवंबर 2021 को की थी सिफारिश

    कॉलेजियम ने दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस के रूप में सौरभ कृपाल की नियुक्ति के लिए 11 नवंबर, 2021 की अपनी सिफारिश को फिर से दोहराया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल और केएम जोसेफ के बीच आयोजित एक कॉलेजियम की बैठक में, दिल्ली हाईकोर्ट के जज के रूप में सौरभ किरपाल की नियुक्ति की सिफारिश को दोहराने का निर्णय लिया गया।

    सौरभ कृपाल के आचरण की सराहना की

    एससी कॉलेजियम ने कहा कि सौरभ कृपाल के पास क्षमता, अखंडता और बुद्धि है और उनकी नियुक्ति हाईकोर्ट की खंडपीठ के लिए विविधता प्रदान करेगी। कॉलेजियम ने कृपाल के आचरण और व्यवहार की सराहना की और कहा, "उम्मीदवार के लिए यह सलाह दी जा सकती है कि वह उन कारणों के संबंध में प्रेस से बात न करें, जो कॉलेजियम की सिफारिशों पर पुनर्विचार के लिए वापस भेजे जाने के कारण हो सकते हैं।"

    5 साल से अधिक समय से नाम लंबित

    सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने आगे कहा कि इस पहलू को एक नकारात्मक विशेषता के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। उनका नाम पांच साल से अधिक समय से लंबित है। सौरभ किरपाल की उम्मीदवारी के अत्यधिक सकारात्मक पहलुओं को इसलिए अधर में तौलना चाहिए। कॉलेजियम ने कहा, "कॉलेजियम दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस के रूप में सौरभ किरपाल की नियुक्ति के लिए 11 नवंबर, 2021 की अपनी सिफारिश को दोहराने का संकल्प लेता है, जिस पर शीघ्रता से कार्रवाई करने की आवश्यकता है।"

    बता दें कि कॉलेजियम ने 1 अप्रैल 2021 के कानून मंत्री के पत्र का जिक्र किया है। पत्र में कहा गया है कि समलैंगिकता भारत में गैर-अपराध है, फिर भी समान-सेक्स विवाह अभी भी भारत में संहिताबद्ध वैधानिक कानून या असंहिताबद्ध व्यक्तिगत कानून और उम्मीदवार की मान्यता से वंचित है। 

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