कंज्यूमर फोरम ने SBI पर लगाया 1.7 लाख का मुआवजा, बैंक को उपभोक्ता सेवा में कमी का दोषी पाया
दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने SBI को सेवा में कमी का दोषी पाया है। बैंक पर ग्राहक के खाते में पर्याप्त धन होने के बावजूद ईएमआई अस्वीकृत करने और बाउंस शुल्क लगाने का आरोप है। आयोग ने एसबीआई को ग्राहक को 1.7 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। यह मामला करावल नगर निवासी छाया शर्मा से जुड़ा है, जिनकी 11 ईएमआई अस्वीकृत कर दी गई थीं।

कंज्यूमर फोरम ने SBI पर लगाया 1.7 लाख का मुआवजा।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को सेवा में कमी का दोषी ठहराया है। बैंक पर आरोप था कि उसने ग्राहक के खाते में पर्याप्त धनराशि होने के बावजूद उसकी ईएमआई अस्वीकृत कर दीं और उस पर बाउंस शुल्क भी वसूला।
आयोग ने इस मामले में एसबीआई को ग्राहक को 1.7 लाख रुपये का मुआवजा मानसिक पीड़ा और मुकदमे में हुए खर्च के रूप में देने का आदेश दिया है। आयोग ने यह भी पाया कि एसबीआई यह साबित करने में असफल रहा कि खाते में धन की कमी थी।
आयोग ने कहा कि एसबीआई को एक ही समय में दो विपरीत बातें नहीं कहनी चाहिए। जब एक ही ईसीएस मैंडेट के तहत अन्य ईएमआई का भुगतान हो गया, तो 11 ईएमआई अस्वीकृत करना असंगत है। ईसीएस यानी इलेक्ट्राॅनिक क्लियरिंग सिस्टम के तहत बैंक, ग्राहक की अनुमति से उसके खाते से स्वत: भुगतान काटता है।
आयोग ने कहा कि जब बाकी किस्तें उसी ईसीएस फार्म पर पास हुईं, तो यह मानना मुश्किल है कि खाते में धन की कमी थी। यह मामला करावल नगर निवासी छाया शर्मा से जुड़ा है, जिनका एसबीआई की करावल नगर शाखा में बचत खाता है। शिकायतकर्ता ने वर्ष 2021 में जिला उपभोक्ता फोरम के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनकी शिकायत खारिज कर दी गई थी।
उन्होंने शिकायत की कि उन्होंने एचडीएफसी बैंक से 2.6 लाख रुपये का कार लोन लिया था, जिसकी 48 मासिक किश्तें सात हजार के करीब थीं। उनका आरोप था कि खाते में पर्याप्त राशि होने के बावजूद उनकी 11 ईएमआई अस्वीकृत कर दी गईं और उन पर 4,400 रुपये का बाउंस चार्ज लगाया गया।

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