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    'लेटे हैं या बैठे, मेट्रो में हैं या लिफ्ट में...', सब जानता है आपका फोन, IIT दिल्ली के शोध में डराने वाला खुलासा

    Updated: Thu, 30 Oct 2025 04:30 PM (IST)

    आईआईटी दिल्ली के शोधकर्ताओं ने खुलासा किया है कि स्मार्टफोन के जीपीएस से आपकी निजी जानकारी लीक हो सकती है। 'एंड्रोकान' नामक सिस्टम विकसित किया गया है, जो जीपीएस सिग्नल का विश्लेषण करके व्यक्ति की गतिविधियों और आसपास के माहौल की जानकारी दे सकता है। यह तकनीक 99% तक सटीक है और बिना कैमरे के भी निगरानी कर सकती है, जो निजता के लिए गंभीर खतरा है।

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    सटीक लोकेशन अनुमति देने वाले मोबाइल ऐप्स से लीक हो सकती है निजी जानकारी।

    लोकेश शर्मा, नई दिल्ली। अब आपका स्मार्टफोन सिर्फ रास्ता बताने वाला उपकरण नहीं, बल्कि यह आपकी निजी जिंदगी की झलक भी दिखा सकता है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआई्टी) दिल्ली के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी सच्चाई उजागर की है, जिससे यह साबित होता है कि मोबाइल एप्स में प्रिसाइस लोकेशन यानी सटीक स्थान अनुमति देना कितना बड़ा खतरा बन सकता है।

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    आईआईटी दिल्ली के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर स्मृति आर सारंगी और एम टेक छात्र सोहम नाग द्वारा किए गए इस शोध अध्ययन में पाया गया है कि जीपीएस सिग्नल आपके स्थान ही नहीं बल्कि आपके आसपास के माहौल और गतिविधियों तक की जानकारी उजागर कर सकते हैं।

    इस अध्ययन का शीर्षक है एंड्रोकान एक जीपीएस सूचना का उपयोग करके परिवेश, मानव गतिविधि और लेआउट सेंसिंग के लिए एक एंड्राइड फोन आधारित सेंसर रखा गया है। जो एसीएम ट्रांजेक्शन आन सेंसर नेटवर्क्स जैसे अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

    बिना कैमरा-माइक के भी संभव निगरानी

    शोध में विकसित सिस्टम एंड्रोकाॅन यह दिखाता है कि स्मार्टफोन के जीपीएस में मौजूद बेहद संकेत जैसे डाॅप्लर शिफ्ट, सिग्नल की ताकत और मल्टीपाथ इंटरफेरेंस का विश्लेषण करके यह जाना जा सकता है कि व्यक्ति बैठा है, खड़ा है, चल रहा है या लेटा हुआ है।

    यहां तक कि यह भी पहचाना जा सकता है कि व्यक्ति मेट्रो में हैं, पार्क में है या किसी भीड़भाड़ वाले स्थान में। चौंकाने वाली बात यह है कि यह सब जानकारी कैमरा, माइक्रोफोन या मोशन सेंसर का उपयोग किए बिना केवल जीपीएस डेटा से ही प्राप्त की जा सकती है।

    99 प्रतिशत तक सटीकता

    आईआईटी दिल्ली की टीम ने बताया कि सालभर चले एक अध्ययन में 40,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र और अनेक परिवेशों में यह तकनीक 99% तक सटीकता से मानव गतिविधियों को पहचानने में सक्षम रही। यही नहीं एंड्रोकाॅन इमारत के नक्शे, कमरों की स्थिति, सीढ़ियों और लिफ्ट की पहचान भी कर सकता है।

    निजता पर बड़ा खतरा

    प्रोफेसर सारंगी के अनुसार, यह अध्ययन जीपीएस तकनीक का अनदेखा और खतरनाक पहलू सामने लाता है। उन्होंने कहा, एंड्रोकाॅन यह दिखाता है कि जीपीएस जैसी साधारण लगने वाली तकनीक भी हमारे आसपास के माहौल को गहराई से भांप सकती है। यह विज्ञान की दृष्टि से रोचक है, लेकिन गोपनीयता की दृष्टि से गंभीर चेतावनी भी।

    सावधानी जरूरी

    विशेषज्ञों ने कहा कि उपयोगकर्ताओं को मोबाइल ऐप्स को ‘प्रिसाइस लोकेशन एक्सेस’ देने से पहले सोचना चाहिए, क्योंकि यह अनुमति कई बार आपकी जानकारी से अधिक कुछ साझा कर सकती है।

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