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    दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर पर अब बनेंगे 18 स्टेशन

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 02 Oct 2017 03:00 AM (IST)

    संजीव गुप्ता, नई दिल्ली न्यू अशोक नगर से आइजीआइ एयरपोर्ट का सफर निकट भविष्य में सिर्फ 20 मिनट म

    दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर पर अब बनेंगे 18 स्टेशन

    संजीव गुप्ता, नई दिल्ली

    न्यू अशोक नगर से आइजीआइ एयरपोर्ट का सफर निकट भविष्य में सिर्फ 20 मिनट में जबकि मोदीनगर से एक घंटे में पूरा हो सकेगा। एनसीआर परिवहन निगम ने रैपिड रेल के दिल्ली- मेरठ कॉरिडोर पर अब न्यू अशोक नगर और मोदीनगर में दो नए स्टेशन बनाने का निर्णय लिया है। न्यू अशोक नगर में दिल्ली मेट्रो का स्टेशन भी है, अत: यहां इंटरचेंज स्टेशन बनेगा।

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    सराय काले खां से मोदीपुरम के बीच 92 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर पर अभी तक 16 स्टेशन प्रस्तावित थे, लेकिन विभिन्न राज्यों और विभागों के प्रतिनिधियों वाली सेंट्रल कंसल्टेंसी रिव्यू कमेटी (सीआरएस) ने पिछले दिनों हुई बैठक में दिल्ली एवं मेरठ में एक- एक स्टेशन की कमी महसूस की। न्यू अशोक नगर में स्टेशन बन जाने से मयूर विहार व नोएडा में रहने वाले सहजता से रैपिड रेल में सवार हो सकेंगे। न्यू अशोक नगर में मेट्रो का स्टेशन पहले से है। लिहाजा, यहां यात्री इंटरचेंज भी कर सकेंगे। वहीं मोदीनगर लंबाई में बसा हुआ शहर है। इसलिए यहां लोगों की सुविधा के लिए दो स्टेशन होगा, मोदी नगर नार्थ और मोदी नगर साउथ। जागरण से बातचीत में एनसीआर परिवहन निगम के सीपीआरओ ने बताया कि दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर पर अब 16 नहीं बल्कि 18 स्टेशन होंगे। न्यू अशोक नगर स्टेशन से यात्री इंटरचेंज भी कर सकेंगे।

    बॉक्स-1

    अभी तक तीन मेट्रो स्टेशन थे जंक्शन प्वाइंट

    दिल्ली में अभी तक आनंद विहार, सराय काले खां और एयरपोर्ट एरिया ही दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर के जंक्शन प्वाइंट थे। यानी, यात्री रैपिड रेल से उतर कर आगे की यात्रा के लिए सार्वजनिक परिवहन के रूप में यहां से बस या मेट्रो ले सकेंगे। न्यू अशोक नगर अब चौथा जंक्शन प्वाइंट होगा।

    बॉक्स-2

    जीयो टेक्निकल जांच कार्य शुरू

    विजयादशमी के अवसर पर शनिवार से गाजियाबाद में कॉरिडोर के निर्माण की दिशा में पहला चरण यानी जीयो टेक्निकल जांच शुरू हो गई। ये जांच प्रस्तावित रूट पर हर उस जगह होगी जहां पिलर लगने हैं। ड्रिलिंग मशीन से जांचा जाएगा कि जमीन में कितनी गहराई पर पत्थर हैं और वहां की मिंट्टी कितना भार सहने की क्षमता रखती है। जहां जमीन की क्षमता कम होगी या मिंट्टी धंसने वाली होगी, वहां की नींव उसी के अनुरूप डाली जाएगी।

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