पति ने डॉक्टरों और अस्पताल पर लगाया था लापरवाही से इलाज करने का आरोप, आयोग ने महिला की मौत के आरोप से किया बरी
नई दिल्ली जिला उपभोक्ता आयोग ने आरपी मेमोरियल अस्पताल और डॉक्टरों को चिकित्सा लापरवाही के आरोप से बरी कर दिया। 2015 के एक मामले में, आयोग ने कहा कि गर्भवती महिला की मृत्यु दुखद है, लेकिन यह डॉक्टरों की लापरवाही नहीं थी। महिला को गंभीर हालत में लाया गया था और अस्पताल ने उसे बचाने की पूरी कोशिश की थी।

प्रतीकात्मक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। नई दिल्ली जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने एक वर्ष 2015 के मामले में आरपी मेमोरियल अस्पताल और उसके चार डाॅक्टरों को चिकित्सा लापरवाही के आरोपों से पूरी तरह मुक्त कर दिया है।
आयोग ने शिकायतकर्ता की याचिका खारिज करते हुए कहा कि मरीज की मृत्यु दुखद है, लेकिन इसे डाॅक्टरों की लापरवाही नहीं माना जा सकता।
आयोग ने पाया कि अस्पताल ने उपलब्ध साधनों में महिला को बचाने की पूरी कोशिश की थी और ऑपरेशन मेडिकल इमरजेंसी में किया गया था।
यह मामला उस समय का है, जब एक गर्भवती महिला को प्लेसेंटा प्रिविया ग्रेड-4 जैसी बेहद खतरनाक स्थिति में अस्पताल लाया गया था। उस दौरान महिला 18-19 सप्ताह की गर्भवती थी और उसे भारी रक्तस्राव हो रहा था।
अस्पताल के अनुसार, महिला की जान बचाने के लिए इमरजेंसी में आपरेशन किया गया। भ्रूण मृत अवस्था में मिला और प्लेसेंटा गर्भाशय से चिपका होने के कारण उसे निकालते समय काफी खून बहा।
अस्पताल ने खून चढ़ाने, दवाएं देने और अन्य जरूरी उपायों से मरीज को बचाने की कोशिश की लेकिन हालत गंभीर होने के कारण उसे तुरंत लेडी हार्डिंग अस्पताल रेफर कर दिया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
शिकायतकर्ता ने डाॅक्टरों पर बिना विशेषज्ञ के ऑपरेशन करने और गलत इलाज का आरोप लगाया था।
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