'मनी लाॅन्ड्रिंग के दायरे में नहीं आता यह मामला, क्योंकि...', गुरुग्राम जमीन घोटाले में कोर्ट में रॉबर्ट वाड्रा की दलील
गुरुग्राम जमीन घोटाले से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में राबर्ट वाड्रा और अन्य आरोपियों की राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने ईडी की शिकायत पर संज्ञान लेने से पहले दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। वाड्रा के वकील ने कहा कि यह मामला मनी लाॅन्ड्रिंग के दायरे में नहीं आता क्योंकि कोई आधारभूत अपराध नहीं है। ईडी ने इसे मनी लांड्रिंग का क्लासिक मामला बताया, जिसमें अवैध लेन-देन से संपत्ति खरीदी गई। मामले की अगली सुनवाई 4 नवंबर को होगी।

गुरुग्राम जमीन घोटाले से जुड़े मनी लाॅन्ड्रिंग मामले में राबर्ट वाड्रा व अन्य आरोपियों को लेकर सुनवाई हुई।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश की अदालत में गुरुग्राम जमीन घोटाले से जुड़े मनी लाॅन्ड्रिंग मामले में राबर्ट वाड्रा व अन्य आरोपियों को लेकर सुनवाई हुई। अदालत ने वाड्रा और अन्य आरोपियों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से दायर अभियोजन पर संज्ञान लेने से पहले दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं।
विशेष न्यायाधीश सुशांत चांगोत्रा ने राबर्ट वाड्रा और सात अन्य आरोपियों की ओर से पेश वकीलों की दलीलें सुनने के बाद, बाकी तीन आरोपियों की सुनवाई के लिए चार नवंबर की तारीख तय की। सुनवाई के दौरान ईडी ने अदालत में सीलबंद लिफाफे में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की, जिसे कोर्ट ने देखने के बाद दोबारा सील करवा दिया।
वाड्रा की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि यह मामला मनी लाॅन्ड्रिंग अधिनियम (पीएमएलए) के दायरे में नहीं आता, क्योंकि इसमें कोई आधारभूत अपराध नहीं है। जब मूल अपराध ही नहीं है, तो ईडी की शिकायत पर संज्ञान नहीं लिया जा सकता है।
ईडी ने इसे क्लासिक केस आफ मनी लाॅन्ड्रिंग बताया और दलील दी कि अवैध लेन-देन से अर्जित धन का उपयोग कर अचल संपत्तियां खरीदी गईं।
ईडी के अनुसार, जांच में सामने आया कि स्काईलाइट हास्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड, जिसमें 99 प्रतिशत हिस्सेदारी राबर्ट वाड्रा की है, ने गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में तीन एकड़ जमीन झूठी घोषणाओं के आधार पर खरीदी थी।
ईडी ने बताया कि साढ़े सात करोड़ रुपये की राशि भुगतान के तौर पर दिखाई गई, लेकिन वह तत्काल अदा नहीं की गई, ताकि स्टांप ड्यूटी से बचा जा सके। बाद में यह जमीन डीएलएफ को ऊंचे दाम पर बेच दी गई। ईडी की ओर से पेश वकील जोहेब हुसैन ने दलील दी कि इस सौदे से अपराध की आय उत्पन्न हुई, जिसे विभिन्न कंपनियों में लेयरिंग और निवेश के जरिए छिपाया गया।
जांच में पाया गया कि ओंकारेश्वर प्रापर्टीज के निदेशक सत्यनंद यादव ने भी जानबूझकर मदद की, जिससे धन शोधन संभव हुआ। ईडी ने दलील दी कि मनी लांड्रिंग की गतिविधि आज तक जारी है, क्योंकि वाड्रा और उनकी कंपनियों ने इन संपत्तियों का उपयोग जुलाई 2025 तक किया, जब ईडी ने उन्हें अस्थायी रूप से जब्त किया।
ईडी ने 17 जुलाई 2025 को 11 व्यक्तियों और कंपनियों के खिलाफ अभियोजन शिकायत दायर की, जिनमें राबर्ट वाड्रा, उनकी कंपनी स्काईलाइट हास्पिटैलिटी, सत्यनंद यादव, और केवल सिंह विरक के नाम शामिल हैं।
इससे पहले, 16 जुलाई 2025 को ईडी ने 43 संपत्तियां, जिनकी कीमत लगभग 37.64 करोड़ रुपये बताई गई, अस्थायी रूप से जब्त की थीं।
यह पूरा मामला गुरुग्राम पुलिस की प्राथमिकी से शुरू हुआ था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि वाड्रा ने अपनी कंपनी के जरिए 12 फरवरी 2008 को शिकोहपुर गांव (सेक्टर 83, गुरुग्राम) में 3.53 एकड़ जमीन खरीदी और झूठे दस्तावेज व घोषणाओं के माध्यम से वाणिज्यिक लाइसेंस प्राप्त किया।
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