Road Safety: सड़कों पर जानलेवा बन रहे खड़े वाहन, दिल्ली की 98% सड़कों से ट्रक-बे नदारद
राजधानी में सड़कों पर खड़े वाहन खतरनाक होते जा रहे हैं। ट्रक-बे गायब होने से यातायात में बाधा आ रही है और दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ गई है। सड़क सुरक्षा को लेकर चिंता जताई जा रही है।

मां आनंदमयी मार्ग पर कालकाजी फ्लाईओवर से गोविंदपुरी मेट्रो स्टेशन जाने वाली लेन पर खड़े माल वाहक। जागरण
नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। इस वर्ष 28 अगस्त को दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के कापसहेड़ा क्षेत्र में सड़क पर खड़े खराब डंपर से एक कार टकरा गई थी, जिससे उसमें सवार तीन लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में डंपर चालक को गिरफ्तार किया गया था, क्योंकि उसने वहां वाहन नहीं खड़े करने से संबंधित चेतावनी संकेत की अनदेखी की थी। इसी तरह, चार अक्टूबर को सरिता विहार में एक ट्रक ने खड़े डंपर को टक्कर मार दी, जिससे उसके चालक की मौत हो गई थी।
भयावह दुर्घटनाओं का है कारण
इस दुर्घटना के पीछे भी चालक की लापरवाही सामने आई। हालांकि, किसी का ध्यान सड़क निर्माण की आधारभूत संरचना में बड़ी कमी तरफ नहीं गया, जो ट्रक-बे बनाने से जुड़ा है। दिल्ली की 98 प्रतिशत सड़कों के किनारे ट्रक-बे नहीं हैं। इसके चलते खराब वाहनों के साथ ही आपात स्थिति में वाहनों को सड़क किनारे सुरक्षित खड़ा करने की व्यवस्था नहीं है, जो अक्सर भयावह दुर्घटनाओं का कारण बनती है।
पूर्वी दिल्ली के पटपड़गंज स्थित नरवाना रोड व लक्ष्मी नगर रोड की संरचना में बदलाव कर ट्रक-बे बनाया गया है, लेकिन वह रखरखाव के अभाव में खराब स्थिति में है। दिल्ली के सड़क विशेषज्ञों के अनुसार, राजधानी की अधिकतर सड़कें एक समान नहीं है।
ऐसे में चौड़े स्थानों पर आसानी से ट्रक-बे बनाया जा सकता है, लेकिन उस दिशा में गंभीरता नहीं नजर आती है। वैसे, वर्ष 2012 में पीडब्ल्यूडी ने दिल्ली की 160 से अधिक सड़कों को 3.5 मीटर की इमरजेंसी लेन के रूप में विकसित करने और वार्निंग सिस्टम लगाने की योजना तैयार की थी, लेकिन वह भी ठंडे बस्ते में चला गया है।
जगह-जगह अवैध रूप से खड़े रहते हैं वाहन
बात चाहे दिल्ली के मध्य बहादुर शाह जफर मार्ग की हो या दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे, आनंद विहार, बवाना रोड, किशनगंज अंडरपास से आजाद मार्केट की ओर जाने वाले मार्ग हो, देशबंधु गुप्ता सड़क कहीं भी ट्रक-वे नहीं है, या है तो एक-दो। ऐसे में बीच सड़क पर खराब या अवैध रूप से जगह-जगह खड़े किए गए ट्रक व अन्य वाहन मिल जाएंगे, जो वहां से गुजरने वाले वाहनों के लिए दुर्घटना की आशंका पैदा कर रहे हैं।
पूर्वी दिल्ली में एक-दो सड़कों को छोड़ दें तो बाकी दिल्ली की अधिकांश सड़कों के किनारे ट्रक-बे नहीं बनाए गए हैं। ऐसे में जहां-तहां सड़कों के किनारे अवैध रूप से ट्रक खड़े किए जाते हैं। इन ट्रकों में माल की लोडिंग व अनलोडिंग होती है।
गांधी नगर बाजार, शाहदरा, रोहतास नगर, वजीराबाद रोड, एनएच-गाजीपुर के पास, पांडव नगर, दिल्ली नोएडा लिंक रोड समेत कई स्थानों पर रात में भी ट्रक खड़े रहते हैं। इसके बावजूद यातायात पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती है।
पार्किंग के लिए भी जगह नहीं होने से समस्या बढ़ी
बाहरी दिल्ली में तो और बुरा हाल है। यहां प्रमुख सड़कों के साथ ही अंदुरूनी सड़कों पर ट्रक व अन्य वाहन खड़े रहते हैं। इसका मुख्य यहां न तो ट्रक बे बनाए गए हैं और न यहां पार्किंग के लिए कोई निर्धारित जगह है।
खासकर, आजादपुर मंडी, संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर, मंगोलपुरी औद्योगिक क्षेत्र के आसपास प्रमुख सड़कों पर खड़े ट्रकों से हादसे का खतरा बना रहता था। मंगोलपुरी पत्थर मार्केट के पास बाहरी रिंग रोड के किनारे ही कई बड़े कंटेनर व ट्रक खड़े होते हैं, जिस पर पत्थर व टाइल्स आते हैं।
सड़कों के किनारे खड़े रहते हैं बड़े-बड़े कंटेनर
मंगोलपुरी बी ब्लाक औद्योगिक क्षेत्र के मुख्य सड़कों पर बड़े-बड़े कंटेनर रखे रहते हैं, जिससे रात के समय हादसे का खतरा बढ़ जता है। सुल्तानपुरी टर्मिनल के पास काफी संख्या में सड़क पर ही ट्रक लगे होते हैं। यहां कंटेनरों में मछली भी मंगाई जाती है। ऐसे वाहन भी घंटों सड़कों के किनारे खड़े रहते हैं।
इसके अलावा सुल्तानपुरी जलेबी चौक, बादली औद्योगिक क्षेत्र, वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र, सुल्तानपुरी लोहा मार्केट के सामने, रोहतक रोड स्थित टिकरी बार्डर, उद्योग नगर औद्योगिक क्षेत्र समेत सिंघु बार्डर, रोहिणी सेक्टर-21 व 22 की डिवाइडिंग रोड समेत अन्य सड़कों पर रात के समय मालवाहक वाहन व अन्य वाहन खड़े होते हैं।
अवैध पार्किंग से अक्सर लगता है जाम
दक्षिणी दिल्ली में कई प्रमुख इलाके हैं, जहां व्यावसायिक गतिविधियां होती हैं। इनमें ओखला इंडस्ट्रियल एस्टेट, चिराग दिल्ली, कालू सराय, बेर सराय, लाडो सराय, हौज खास गांव, मुनिरका आदि हैं।
सामान की आवाजाही के लिए ट्रक पार्किंग की आवश्यकता तो है, पर इन क्षेत्रों में या यहां जाने वाले प्रमुख मार्गों पर कहीं भी ट्रकों के खड़ा होने के लिए 'ट्रक- बे' नहीं बनाया गया है। मां आनंदमयी मार्ग, ओखला एस्टेट मार्ग आदि पर सड़क किनारे और सर्विस लेन पर ट्रक खड़े रहते हैं। इसके चलते कई बार इन मार्गों पर वाहन चालकों को जाम की समस्या भी झेलनी पड़ती है।
क्या होता है ट्रक-बे
ट्रक-बे सड़कों पर वह स्थान होता है, जो निर्धारित वाहन लेन से अलग स्थान होता है, जहां खराब वाहनों को खड़ा किया जा सकता है या आपात स्थिति में कोई अपनी गाड़ी वहां सुरक्षित कर फोन पर बात कर सकता है। इसे इमरजेंसी हाल्टिंग प्वाइंट भी कहते हैं। उसके लिए कुछ दूर पहले से ही ट्रक-बे के संकेतक लगाए होते हैं। यह सुरक्षित यातायात का अभिन्न हिस्सा है, लेकिन यह देश की राजधानी में पूरी तरह से गायब है।
"ट्रक-बे पर कभी ध्यान नहीं दिया गया जबकि यह सुरक्षित यातायात व्यवस्था का अभिन्न अंग है। दिल्ली में सड़कें कई जगहों पर तीन तो कहीं छह लेन तक चौड़ी हैं। चौड़े स्थानों पर इसका निर्माण किया जा सकता है। इसी तरह, बाहरी दिल्ली की सड़कों पर कच्ची जगह होती है, जहां गंदगी और धूल होती है, वहां इसका निर्माण हो सकता है। जरूरी है कि निर्माण के साथ ही उसका रखरखाव हो और पार्किंग बनाने जैसे मामलों में दुरुपयोग पर कार्रवाई भी हो।"
-अनुराग कुलश्रेष्ठ, अध्यक्ष, ट्रैक्स रोड सुरक्षा एनजीओ
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