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    Delhi Blast: प्यार के टैटू बने मौत का सबूत, अमर की कहानी ने सबको रुलाया!

    Updated: Wed, 12 Nov 2025 01:09 AM (IST)

    दिल्ली के लाल किले के सामने हुए विस्फोट में कई लोगों की जान चली गई। मृतकों की पहचान करना मुश्किल हो गया था। कुछ लोगों की पहचान उनके टैटू से हुई, तो कुछ की कपड़ों से। अभी भी दो शवों की पहचान नहीं हो पाई है। अस्पताल में मृतकों के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था।

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    दिल्ली के लाल किले के सामने हुए विस्फोट में कई लोगों की जान चली गई।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। लाल किले के सामने हुए भीषण विस्फोट ने राजधानी को हिलाकर रख दिया। इस त्रासदी में अपनों को खोने वाले परिवारों के लिए टैटू, फटे कपड़े और जैकेट ही अपनों की पहचान के आखिरी निशान थे। मृतकों में भागीरथ पैलेस में दवा व्यवसायी 34 वर्षीय अमर कटारिया भी शामिल थे। उनका शरीर इतना झुलस गया था कि पहचान असंभव थी, लेकिन उनके परिजनों ने उनके टैटू देखकर उन्हें पहचान लिया।

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    अमर ने ये टैटू अपने माता-पिता और पत्नी के लिए बनवाए थे। कभी प्यार की निशानी रहे ये टैटू उनकी पहचान का आखिरी सबूत बन गए। कई परिवारों के लिए कपड़े ही आखिरी कड़ी बन गए। इदरीस ने अपने 35 वर्षीय भतीजे मोहम्मद जुम्मन के शव की पहचान उसकी नीली शर्ट और जैकेट से की। इसी तरह, विस्फोट में मारे गए पंकज साहनी के शव की पहचान उसकी शर्ट और नीली जींस से हुई।

    पोस्टमार्टम के बाद आठ शव परिजनों को सौंपे गए, दो की पहचान नहीं हो पाई। अब तक आठ शवों की पहचान कर पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया गया है, जबकि दो शव अभी भी अज्ञात हैं। सूत्रों के अनुसार, दोनों शव क्षत-विक्षत अवस्था में हैं, जिससे पुलिस के लिए पहचान करना चुनौती बन गया है।

    मोर्चरी में भीड़ और अफरा-तफरी को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने आधी रात को ही कई मृतकों का पोस्टमार्टम कराकर शव उनके परिजनों को सौंप दिए। मंगलवार दोपहर केवल पंकज सैनी, नौमान और जुम्मन का ही पोस्टमार्टम हुआ। बॉक्स 2: दिन भर अफरा-तफरी का माहौल रहा।

    धमाके के बाद लोग अपनों से संपर्क करने की कोशिश में जुट गए। जिन लोगों से संपर्क नहीं हो पाया, उनके परेशान परिजन एलएन अस्पताल पहुंचे। अफरा-तफरी के बीच लोग पूरा दिन अपनों की तलाश में जुटे रहे। इस बीच, जैसे-जैसे मृतकों की पहचान होती गई, पुलिस उनके परिजनों को सूचित करती रही। मृतकों के परिजन रोते हुए अस्पताल पहुंचे। बाद में उन्होंने मोर्चरी में अपनों की पहचान की।