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    लाल किला विस्फोट: कार में आतंकी उमर ने तीन घंटे में बनाया बम, जैश हैंडलर से ली थी ट्रेनिंग, CCTV से छुपाता रहा चेहरा

    By RAKESH KR. SINGHEdited By: Neeraj Tiwari
    Updated: Fri, 14 Nov 2025 01:24 AM (IST)

    लाल किला विस्फोट की जांच में खुलासा हुआ कि आतंकी उमर ने तीन घंटे में कार में बम बनाया था। उसने जैश हैंडलर से ट्रेनिंग ली थी और सीसीटीवी से चेहरा छुपाया। सुरक्षा एजेंसियों को जैश के इशारे पर हमले की योजना बनाने के सबूत मिले हैं। उमर के साथियों की तलाश जारी है।

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    राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली। अल फलाह यूनिवर्सिटी में जांच एजेंसियों की कार्रवाई से परेशान जैश के आतंकी डाॅ. उमर ने लाल किले की पार्किंग में ही कार के अंदर बैठकर तीन घंटे में बम बनाया और हमले को अंजाम दिया। इसके लिए उसने पार्किंग में पीछे का वह हिस्सा चुना, जहां सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हैं। जांच में यह भी पता चला है कि डाॅ. उमर ने जैश-ए-मोहम्मद के हैंडलर से बम बनाने का प्रशिक्षण लिया था। उसे कुछ ही समय में अमोनियम नाइट्रेट, फ्यूल आयल, टाइमर, डेटोनेटर आदि की मदद से बम बनाने में महारत थी।

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    तीन घंटे तक छुपा रहा कार में

    जांच एजेंसियों को मिले सीसीटीवी फुटेज के मुताबिक डाॅ. उमर ने सोमवार दोपहर लाल किला की पार्किंग में 3:20 बजे प्रवेश करने के बाद शाम को 6:22 बजे बाहर निकला। इन तीन घंटों तक वह पार्किंग के अंदर ही आइ-20 कार में बैठा रहा। खुफिया सूत्रों के मुताबिक यह जानकारी सामने आने के बाद जांच एजेंसियों ने उमर के साथियों से पूछताछ की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।

    पार्किंग में एकांत वाली जगह तलाशी

    पता चला है कि अल फलाह यूनिर्सिटी में कार्रवाई के बाद वह अमोनियम नाइट्रेट के अलावा फ्यूल ऑयल, टाइमर, डेटोनेटर सहित बम बनाने का अन्य सामान लेकर निकला था। सूत्र बताते हैं कि वह कुछ ही समय में बम बना लेता था। ऐसे में जांच एजेंसियां मान रही हैं कि उसने पार्किंग में बैठकर बम बनाया। इसके बाद वह लाल किला के पास लोगों की भीड़ जुटने के लिए शाम होने का इंतजार करता रहा। उसकी कारस्तानी सीसीटीवी कैमरे में कैद न हो पाए, इसके लिए ही उसने पार्किंग में एकांत वाली जगह ढूंढी थी।

    सीसीटीवी की जद से रहा दूर

    पार्किंग में प्रवेश व निकासी द्वारों के अलावा अंदर भी 10 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, लेकिन उसकी कार जहां खड़ी थी वह हिस्सा कैमरे की जद में नहीं था। पुलिस अधिकारी का कहना है कि सोमवार को लाल किला बंद रहने के कारण पार्किंग में बहुत कम गाड़ियां थीं। वैसे यह बहुत बड़ा पार्किंग एरिया है। इसमें आम दिनों में बड़ी संख्या में टूरिस्ट बसें भी खड़ी होती हैं।

    रेकी कर ढूंढा था भीड़भाड़ वाला इलाका

    सूत्रों के मुताबिक, उमर की साजिश दिल्ली में भीड़भाड़ वाले जगह पर विस्फोट करने की थी। इसके लिए फरीदाबाद से दिल्ली में घुसते ही उसने भीड़भाड़ वाली जगहों की रेकी की थी। रेकी करते हुए ही वह लाल किला तक आया था। फरीदाबाद से दिल्ली आने के दौरान उमर ने किन-किन मार्गों का इस्तेमाल किया और किन-किन लोगों से मुलाकात की। इसकी जानकारी जुटाई जा रही है।

    कार में था काले रंग का बड़ा बैग

    10 नवंबर को उमर के दिल्ली में प्रवेश करते हुए पुलिस को एक और सीसीटीवी फुटेज मिला है, जिसमें उमर सीसीटीवी कैमरों को देखते नजर आ रहा है। फुटेज में कार में पीछे वाली सीट पर काले रंग का एक बड़ा बैग रखा हुआ दिखाई दिया है। यह फुटेज बदरपुर सीमा पर टोल का है। उमर जिस तरह बार-बार कैमरे की तरफ देख रहा था, उससे पता चलता है कि वह काफी डरा हुआ था। उसे पता था कि पुलिस उसे ढूंढ रही है। पहचान में आने से बचने के लिए उसने कार में भी मास्क लगा रखा था। कनाट प्लेस के आउटर सर्किल में दोपहर 2:30 बजे उमर को विस्फोटक से भरी कार लेकर भागते हुए देखा गया। वहां से महज तीन किलोमीटर पर संसद भवन है।

    जांच में अमोनियम नाइट्रेट की पुष्टि

    उधर लाल किला के बाहर मौके से उठाए गए नमूनों की जांच में अमोनियम नाइट्रेट की पुष्टि हो गई है। धमाके में क्षतिग्रस्त कई वाहनों से उठाए गए नमूने की जांच में इसकी पुष्टि हुई है। पुलिस को मौके से जो एक कारतूस व एक खोखा मिला था। वे 9 एमएम के पाए गए।

    50 से अधिक कैमरों की फुटेज खंगाली

    जानकारी के अनुसार, दिल्ली पुलिस ने 50 से अधिक कैमरों की फुटेज का इस्तेमाल करके विस्फोट से एक रात पहले फरीदाबाद छोड़ने से लेकर विस्फोट की घटना तक डाॅ. उमर नबी के आखिरी घंटों को भी खंगाला। हरियाणा से दिल्ली तक की उसकी यात्रा को क्रमवार जोड़ा गया।

    एक पुलिस सूत्र ने बताया कि वह रविवार को दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे से चला और फिर एक्सप्रेसवे से उतरकर हरियाणा के नूंह जिले के फिरोजपुर जिरका पहुंचा। वह वहां एक ढाबे पर रुका और खाना खाया।

    दिल्ली में प्रवेश करने से पहले उसने अपनी कार के अंदर रात बिताई। वह छिपने की कोशिश करता हुआ लग रहा था, लेकिन घबराया हुआ नहीं था। वह बड़े शहरों से दूर रहा और राजमार्गों और छोटे ढाबों को तरजीह देता रहा।

    सोमवार सुबह उसे धीमी गति से दिल्ली की ओर गाड़ी चलाते हुए देखा गया। वह दो बार रुका, एक बार चाय पीने के लिए और एक बार अपना मोबाइल चेक करने के लिए। वह लगभग 8.02 बजे बदरपुर बार्डर से दिल्ली में दाखिल हुआ। टोल गेट पर रुककर उसने नकदी निकालकर टोल आपरेटर को दी।

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