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    किरायेदारों का सत्यापन न कराने पर 50 मकान मालिकों पर FIR, दिल्ली में आतंकी हमले के बाद मस्जिद-मदरसों पर नजर

    Updated: Fri, 14 Nov 2025 01:06 AM (IST)

    दिल्ली पुलिस ने किरायेदारों का सत्यापन न कराने वाले 50 मकान मालिकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। दिल्ली में आतंकी हमले की आशंका के बाद पुलिस मस्जिद और मदरसों पर भी कड़ी नजर रख रही है। पुलिस ने लोगों से संदिग्ध गतिविधियों की सूचना देने और किरायेदारों का सत्यापन कराने में सहयोग करने की अपील की है।

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    प्रतीकात्मक तस्वीर।

    जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। लालकिले के पास हुए आतंकी हमले के बाद दिल्ली पुलिस अलर्ट पर है। यमुनापार में किरायेदारों का पुलिस सत्यापन न करवाने वालों पर पुलिस ने नकेल कसनी शुरू कर दी है। दो दिनों के अंदर पुलिस ने 50 लोगों पर सरकारी के आदेश के उल्लंघन का केस दर्ज किया है। पुलिस की यह कार्रवाई जारी है।

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    पूर्वी, उत्तर पूर्वी और शाहदरा जिले में पुलिस सत्यापन न करवाने वालो पर कार्रवाई की जा रही है। पुलिस का कहना है वैसे तो सालभर कार्रवाई की जाती है लेकिन लालकिले पर हुए हमले के बाद सतर्कता बढ़ा दी गई है।

    बीट अफसर अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर देख रहे हैं किन किरायेदारों का सत्यापन नहीं हुआ है। उसके मकान मालिक के खिलाफ केस दर्ज किया जा रहा है। पुलिस का कहना है लोगों से अपील की जा रही है वह थाने जाकर अपने किरायेदारों का सत्यापन करवाएं।

    उनके कागजात की काॅपी थाने में जमा करवाएं, इस कार्य में ज्यादा समय नहीं लगता है। वहीं, पुलिस ने पार्किंग में निगरानी बढ़ा दी है। पुलिसकर्मी पार्किंग में जाकर रजिस्टर चेक कर रहे हैं। वे यह जांच रहे हैं कि कितने वाहन खड़े हैं कब से खड़े हैं?

    संदिग्ध वाहनों की तलाशी भी ली जा रही है। पुराने वाहनों का कारोबार करने वालों के कागजात भी पुलिस खंगाल रही है। इस साल कितने वाहन बेचे और किसको बेचे यह सारा डाटा पुलिस जुटा रही है।

    मुस्लिम बहुल इलाकों में पुलिस की सक्रियता बढ़ी

    मुस्लिम बहुल इलाके वेलकम, जाफराबाद, सीलमपुर, ब्रह्मपुरी, चौहान बांगर, मुस्तफाबाद, श्रीराम कालोनी, सुंदर नगरी समेत अन्य इलाकों में पुलिस की सक्रियता बढ़ गई है। यहां की मस्जिद व मदरसों पर पुलिस ने निगाह बनाई हुई है। पता किया जा रहा है मदरसे पढ़ाने वाले मौलाना किस क्षेत्र के हैं। कितने विद्यार्थी पढ़ रहे हैं और किस राज्य के वह मूल निवासी हैं। इन लोगाें का फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी के डाक्टरों से कोई संबंध तो नहीं है।

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