रेयर बोन सिस्ट से पीड़ित महिला की हुई जटिल हिप ट्रांसप्लांट, फिर से चलने-फिरने में हुई सक्षम
मैक्स अस्पताल, शालीमार बाग के चिकित्सकों ने एक 36 वर्षीय महिला की जटिल हिप ट्रांसप्लांट रिवीजन सर्जरी सफलतापूर्वक की। महिला के दाहिने कूल्हे में एक दु ...और पढ़ें
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36 वर्षीय महिला मरीज की जटिल हिप ट्रांसप्लांट रिवीजन सर्जरी कर चिकित्सकों ने दिया जीवनदान।
जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली। एक दुर्लभ मेडिकल हिस्ट्री वाली 36 वर्षीय महिला मरीज की जटिल हिप ट्रांसप्लांट रिवीजन सर्जरी कर चिकित्सकों ने उसे फिर से चलने-फिरने में सक्षम बनाया। महिला के राइट हिप में बोन सिस्ट था, जो कई वर्षों बाद बोन ट्यूमर बन चुका था। यह स्थिति कैंसरकारक नहीं थी, लेकिन गांठ तेजी से बढ़ रही थी।
मरीज की करीब 10 वर्ष पहले एक बड़े सेल ट्यूमर की सर्जरी हुई थी। नियमित जांच के दौरान कुछ वर्षों बाद बोन सिस्ट का पता लगा, जो फ्लूड से भरी कैविटी थी। इससे उनकी हड्डियां कमजोर हो रही थीं। सर्जरी के अगले ही दिन से महिला सामान्य रूप से चलने लगी।
मैक्स अस्पताल शालीमार बाग स्थित रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट एंड आर्थोपेडिक्स के सीनियर डायरेक्टर डॉ. साइमन थॉमस ने बताया कि जांच में सामने आया कि हिप इम्प्लांट की प्लास्टिक लाइनिंग घिस रही है। साथ ही इम्प्लांट हेड माइग्रेट हो रहा है। इससे आसपास की हड्डियों पर भी दुष्प्रभाव पड़ने लगा था।
इस पर हिप इम्प्लांट रिवीजन का फैसला किया, ताकि उनकी चलने-फिरने की क्षमता को बनाए रखने में मदद मिले और उन्हें भविष्य में बहुत जटिल सर्जरी न करानी पड़े। सर्जरी के दौरान सिर्फ हिप इम्प्लांट के घिसे हुए हिस्से को नए और ज्यादा टिकाऊ हिस्से से बदला गया। सफल सर्जरी के बाद अगले दिन से ही वह सामान्य तरीके से चलने-फिरने में सक्षम हो गईं।
डॉ. थॉमस ने कहा कि किसी तरह के दर्द और लक्षण के बिना भी एन्यूरिज्मल बोन सिस्ट जैसी स्थितियां धीरे-धीरे हड्डी को अंदर से कमजोर कर सकती हैं। सही समय पर रिवीजन ने आसपास की हड्डी को बचाने, भविष्य की मुश्किलों को रोकने और मरीज को जल्दी ही सक्रिय और आरामदायक जिंदगी में लौटने में मदद की।

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