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    90 दिनों तक जिंदगी और मौत से लड़ा नवजात, अब मिला जीवनदान; मात्र 24 सप्ताह की प्रेग्नेंसी में जन्मा था बच्चा

    Updated: Thu, 20 Nov 2025 09:39 AM (IST)

    दक्षिणी दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल ने 24 सप्ताह की गर्भावस्था में जन्मे 640 ग्राम के नवजात शिशु को जीवनदान दिया। शिशु समय से 16 सप्ताह पहले जन्मा था और उसके फेफड़े पूरी तरह विकसित नहीं थे। 90 दिनों तक चले गहन उपचार के बाद शिशु स्वस्थ हुआ और उसे अस्पताल से छुट्टी मिली। डॉक्टरों के अनुसार, ऐसे मामलों में शिशु के बचने की संभावना कम होती है, लेकिन समय पर देखभाल से यह संभव हो पाया।

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    जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली। दक्षिणी दिल्ली में वसंतकुंज स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल की टीम ने मात्र 24 सप्ताह की प्रेग्नेंसी के बाद जन्मे एक नवजात शिशु को नया जीवनदान दिया है। जन्म के समय इस शिशु का वजन 640 ग्राम और आकार महज एक हथेली के बराबर था।

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    बताया गया कि सामान्य से काफी कम वजन का यह शिशु 40 सप्ताह की सामान्य गर्भावस्था से 16 सप्ताह पूर्व जन्मा था। जन्म लेते ही नवजात रोया नहीं और उसकी हृदयगति भी काफी कमजोर थी। चुनौतियों के बावजूद हॉस्पिटल के बाल रोग विशेषज्ञों ने उसे 24 घंटे गहन निगरानी व जीवनरक्षक प्रणालियों पर रखा गया।

    वहीं, समय पूर्व प्रसव के चलते उसके फेफड़े पूरी तरह विकसित नहीं थे, जिसके चलते वह सांस नहीं ले पा रहा था। उसे एडवांस और लंबे समय तक वेंटिलेशन सपोर्ट पर रखा गया और साथ ही जरूरी दवाएं भी दी गईं। लगभग 90 दिनों तक चले संघर्ष के बाद आखिरकार वह स्वस्थ हुआ और उसे अस्पताल से छुट्टी मिली।

    टीम के मुताबिक, उसके गुर्दे भी पूरी तरह विकसित नहीं थे। उपचार के पहले सप्ताह के दौरान उसका वजन घटकर 550 ग्राम रह गया। मेडिकल टीम ने शिशु की स्थिरता बनाए रखी और उसे रिकवरी की राह पर आगे बढ़ाया।

    हॉस्पिटल के प्रिंसिपल डायरेक्टर व पिडियाट्रिक्स एंड नियोनेटोलाजी के विभागाध्यक्ष डा. राहुल नागपाल ने बताया कि 24 सप्ताह के नवजातों के बचने की संभावना महज 10-15 प्रतिशत होती है, जिसका मतलब है कि तीन में से केवल एक प्री-मैच्योर शिशु ही बचता है। तमाम चुनौतियों के बावजूद इस शिशु को बचाने में सफलता मिली जो समय पर समुचित देखभाल और टीमवर्क का परिणाम है।

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    नियोनेटोलाजी विभाग की वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ. श्रद्धा जोशी ने कहा कि एनआइसीयू में पूरे 90 दिनों तक रहने के बाद इस शिशु को 1.8 किलोग्राम वजन का होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दी गई। यह शिशु अब छह माह का हो गया है और उसका वजन बढ़कर छह किलोग्राम हो गया है। उसकी आंखों की रोशनी, सुनने की क्षमता और ब्रेन स्कैन भी सामान्य हैं।