स्वामी दयानंद ने आर्य समाज के जरिये इतिहास की धारा को नई दिशा दी, महासम्मेलन में बोले पीएम नरेन्द्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोहिणी में आर्य समाज की 150वीं वर्षगांठ और महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन का उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने उनका स्वागत किया। इस चार दिवसीय कार्यक्रम में कई देशों के प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं।

अतंरराष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन के उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी। जागरण
जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली। रोहिणी स्थित जापानी पार्क में आर्य समाज की 150वीं वर्षगांठ और महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती के उपलक्ष्य में अंतरराष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।
इस महासम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुक्रवार शाम करीब सवा चार बजे पहुंचे और महासम्मेलन का उद्घाटन किया। मंच पर पहुंचने पर लोगों ने जोश और उत्साह के साथ प्रधानमंत्री का स्वागत किया। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने रोहिणी हेलीपोर्ट पहुंचने पर पीएम मोदी का स्वागत किया। चार दिवसीय इस कार्यक्रम में कई देशों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं।
महासम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा कि आज मुझे एक बार फिर आर्य समाज के आयोजन में पहुंचने का अवसर मिला। मैं स्वामी दयानंद सरस्वती को प्रणाम करता हूं। उन्हें आदरपूर्वक श्रद्धांजलि देता हूं।
आर्य समाज की स्थापना केवल समाज के एक हिस्से या संप्रदाय से जुड़ा नहीं है। यह पूरे भारत की वैदिक पहचान से जुड़ा है। गंगा के प्रवाह की तरह खुद को हर परिस्थिति में ढालने की महान परंपरा से जुड़ा है।
इसने समाज सुधार की महान परंपरा को निरंतर आगे बढ़ाया। लाला लाजपत राय जैसे क्रांतिकारियों ने आर्य समाज से प्रेरणा लेकर आजादी की लड़ाई लड़ी। आजादी की लड़ाई में आर्य समाज की भूमिका को सम्मान नहीं मिला, जिसका वह हकदार था।
150 वर्ष हो रहे हैं तो समाज और देश स्वामी दयानंद के महान विचारों को इस विराट स्वरूप में नमन कर रहा है, क्योंकि स्वामी दयानंद ने आर्य समाज के जरिये इतिहास की धारा को एक नई दिशा दी। आज शिक्षा में उन सब की ऊर्जा और आशीर्वाद भी शामिल है।
हमारे समक्ष किसी भी कारणवश जब नई चुनौतियां आती हैं, समय नए सवाल पूछता है तो कोई न कोई महान विभूति उनके उत्तर लेकर अवतरित हो जाती है। हमारे समाज को नई दिशा दिखाई आनंद सरस्वती जी भी इसी विराट परंपरा के महर्षि थे।

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